Mumbai Diaries 26/11 Review: मुंबई हमले का जवाब मेडिकल स्टाफ ने कैसे दिए, एक नई कहानी...
13 साल पहले साल 2008 के नवंबर में आर्थिक राजधानी मुंबई में हुए आतंकी हमलों ने पूरे देश को झकझोर दिया था. इसमें हमारे सुरक्षा बलों के कई जवान शहीद हुए थे. 174 लोगों की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी. इस आतंकी घटना पर कई फिल्में और वेब सीरीज बन चुकी हैं.
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26 नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों पर अभी तक कई वेब सीरीज और फिल्में बनाई जा चुकी हैं. इनमें नाना पाटेकर की फिल्म 'द अटैक ऑफ 26/11', देव पटेल और अनुपम खेर की 'होटल मुंबई', कबीर सिंह की 'वन लेस गॉड' से लेकर वेब सीरीज 'स्टे ऑफ सीज: 26/11' तक शामिल हैं. इस आतंकी हमले को पुलिस, सुरक्षाबलों, चश्मदीदों और पीड़ितों के नज़रिए के साथ ही हूबहू सत्य घटना की तरह पहले भी दिखाया जा चुका है, लेकिन निखिल आडवाणी ने पहली बार इसे डॉक्टरों, नर्सों और मेडिकल स्टाफ के नज़रिए से दिखाने की कोशिश की है. यह बेव सीरीज 26/11 आतंकी हमले पर आधारित तो है, लेकिन इसमें कल्पना का भी समावेश किया गया है. सिनेमाई स्वतंत्रता के साथ इसके जरिए आतंकी हमलों में घायल हुए लोगों की व्यथा कथा को मजबूती के साथ पेश किया गया है.
वेब सीरीज 'मुंबई डायरीज 26/11' में आतंकी हमलों को एक नए नजरिए से पेश किया गया है.
अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज 'मुंबई डायरीज 26/11' में एक्टर मोहित रैना और एक्ट्रेस कोंकणा सेन शर्मा प्रमुख भूमिका में हैं. इनके साथ मृण्मयी देशपांडे, नताशा भारद्वाज, सत्यजीत दुबे, प्रकाश बेलावाड़ी और श्रेया धनवंतरी भी अहम किरदारों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. निखिल आडवाणी और निखिल गोंसाल्विस के निर्देशन में बनी इस वेब सीरीज की सबसे खास बात ये है कि एक आतंकी हमले के दौरान हमारे मेडिकल फर्टिनिटी से जुड़े लोग कैसे अपनी जान दांव पर लगाकर हमारी रक्षा करते हैं, कैसे असलहों की लड़ाई में लोगों की जान बचाने में मेडिकल किट हथियार बन जाती है, इसमें बखूबी दिखाया गया है. वैसे हमारे देश में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर किस हालात में हैं, ये किसी से छुपा नहीं है. कोरोना महामारी में लोगों की जो हालत हुई है, उसे भुलाया नहीं जा सकता है. लेकिन विषम परिस्थितियों और मेडिकल सुविधाओं के अभाव में रहते हुए भी हमारे डॉक्टर्स अपनी हिम्मत से लोगों की जान बचाने में कामयाब हो जाते हैं.
'मुंबई डायरीज 26/11' वेब सीरीज आज से 13 साल पहले के मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की हालत बयां करते हुए वर्तमान में भी इस पर चिंता करने का मजबूत संदेश देती है. जिस तरह इस वक्त भी लोग मेडिकल सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ रहे हैं, उसी तरह उस वक्त आतंकी हमलों के दौरान लोगों ने दम तोड़ा था. यदि सही समय पर उचित इलाज मिल गया होता, तो शायद कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी. इस वेब सीरीज में एक सीन भी है, जिसमें अस्पताल के ही एक कर्मचारी की पत्नी घायल अवस्था में पड़ी होती है. अस्पताल में एक ही सर्जन होता है, जो दूसरे मरीज का ऑपरेशन कर रहा होता है. सहकर्मी की पत्नी की हालत पता चलने पर वो एक जूनियर डॉक्टर को उसके ऑपरेशन के लिए तैयार करता है. खुद एक ऑपरेशन करते हुए जूनियर को मौखिक निर्देश देते हुए दूसरा ऑपरेशन करा रहा होता है.
Mumbai Diaries 26/11 वेब सीरीज की कहानी
वैसे तो वेब सीरीज 'मुंबई डायरीज 26/11' की कहानी के केंद्र में मुंबई में हुआ आतंकी हमला ही है, लेकिन इसमें ज्यादा फोकस मेडिकल स्टाफ और उनके हालात पर किया गया है. मुंबई स्थित बॉम्बे जनरल हॉस्पिटल के ईर्द-गिर्द ही सभी घटनाक्रम को बुना गया है. इस अस्पताल में डॉ. कौशिक ओबेराय (मोहित रैना) से ट्रेनिंग के लिए तीन जूनियर डॉक्टर (नताशा भारद्वाज, मृणमयी देशपांडे और सत्यजित दुबे) आते हैं. उनका पहला दिन होता है. इसी बीच पता चलता है कि मुंबई में आतंकी हमला हो चुका है. अस्पताल में बड़ी संख्या में घायल आने लगते हैं. हर तरफ अफरा-तफरी मच जाती है. अभी तीनों जूनियर डॉक्टरों को फॉर्मेल्टी भी पूरी नहीं होती है, लेकिन उनको काम पर लगा दिया जाता है. इस बीच कहानी कई अलग-अलग दिशाओं में भी जाती है, जिसमें मीडिया के रोल को भी दिखाया जाता है. एक रिपोर्टर कैसे अपने जान पर खेलकर रिपोर्टिंग करती है, लेकिन उसकी रिपोर्ट आतंकियों के काम आ जाती है. वो होटल के अंदर बैठकर बाहर की सारी गतिविधियों के बारे में जानते रहते हैं.
इसी बीच बॉम्बे जनरल हॉस्पिटल में गोलियों से छलनी एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड चीफ और पकड़े गए दो आतंकियों को अस्पताल में लाया जाता है. इनमें एक आतंकी बुरी तरह घायल है. डॉक्टर के सामने मुश्किल यह कि दोनों में से पहले किसे अटेंड करे, किसे बचाए. इससे भी बड़ा सवाल कि अस्पताल में जरूरत की मेडिकल सुविधाएं न होने पर कैसे इस विषम हालात का सामना किए जाए. मुश्किल तब और बढ़ती है जब अस्पताल के अंदर की खबरें मीडिया में आती हैं. पाकिस्तान में बैठ कर भारतीय टीवी न्यूज चैनल देख रहा हेंडलर दो आतंकियों से अस्पताल पर हमला करने को कहता है. आतंकी अंदर घुस जाते हैं और इसके बाद दिल दहला देने वाले दृश्य उभरते हैं. अस्पताल में घुसे आतंकी पुलिस से अपने साथी को छुड़ाने में कामयाब हो जाते हैं. इसी बीच एटीएस चीफ की मौत हो जाती है. उसकी पत्नी को लगता है कि इलाज के अभाव में उनकी मौत हुई है, तो वो डॉक्टर को थप्पड़ मार देती है. इतना ही नहीं आतंकी का इलाज करने पर एक इंस्पेक्टर डॉक्टर के माथे पिस्तौल तान देता है.
Mumbai Diaries 26/11 वेब सीरीज की समीक्षा
निखिल आडवाणी और निखिल गोंजाल्विस का निर्देशन दर्शकों के अंदर भावनाओं का संचार करने में कामयाब है. यही वजह है कि सीरीज में गोलियों की मार से ज्यादा भावनात्मक दृश्य दर्शकों को आहत करते हैं. प्रिया सुहास का प्रोडक्शन डिजाइन कमाल का है, जो निर्देशक द्वय की मदद करता है. इस पर कौशल शाह का छायाकंन चार चांद लगा देता है. सीरीज के लिए संवाद लिखने वाली संयुक्ता चावला शेख अपना काम बहुत ईमानदारी से किया है. एक ही सीन में आपस में बात कर रहे दो लोग अपनी-अपनी मातृभाषा में बात करते हैं, जो विविधता को दर्शता है. जहां तक कलाकारों की परफॉर्मेंश की बात है, तो डॉ कौशिक ओबेरॉय के किरदार में मोहित रैना और ट्रॉमा सर्वाइवर चित्रा दास के किरदार में कोंकणा सेन शर्मा ने असरदार अभिनय किया है. श्रेया धनवंतरी जिन्हें आखिरी बार द स्कैम 1992 में देखा गया था, एक रिपोर्टर की भूमिका में जान डाल देती हैं. एक पत्रकार कैसे अपनी जान जोखिम में डालकर कठिन से कठिन हालात का सामना करते हुए अपने को अंजाम देता है, इसे श्रेया ने शिद्दत से निभाया है. मृण्मयी देशपांडे, नताशा भारद्वाज, सत्यजीत दुबे और प्रकाश बेलावाड़ी ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है.
कुल मिलाकर, यदि आप मुंबई में हुए आतंकी हमलों को एक नए नजरिए से देखना चाहते हैं, तो आपको अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज 'मुंबई डायरीज 26/11' को एक बार जरूर देखनी चाहिए. पहले दो एपिसोड के बाद ये वेब सीरीज ज्यादा रोचक लगती है.
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