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Updated: 25 अप्रिल, 2022 10:51 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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शिवसेना भवन 'मातोश्री' के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान करने वाली अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा (Navneet Kaur Rana) ने महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल ला दिया है. उनको उनके विधायक पति रवि राणा के साथ जेल में डाल दिया गया है, लेकिन उनके तेवर अभी भी सख्त नजर आ रहे हैं. जेल के अंदर से लिखे एक पत्र के जरिए उन्होंने मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार पर कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि दलित होने की वजह से उनको न तो जेल में पीने का पानी दिया गया और न ही वाशरूम का इस्तेमाल करने दिया गया. खार थाने में भी पूरी रात वो प्यास से तड़पती रहीं, लेकिन पानी मांगने पर पुलिसवालों ने उनके साथ अभद्रता करते हुए अपशब्द कहे हैं. नवनीत राणा प्रकरण ने महाराष्ट्र की सियासत को गरम कर दिया है. इस मामले ने शिवसेना के सामने सुस्त पड़ चुकी भारतीय जनता पार्टी में नई जान फूंक दी है.

नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा की गिरफ्तारी के बाद से ही महाराष्ट्र बीजेपी हरकत में आ गई. खार पुलिस स्टेशन में राणा दंपति से मिलने के लिए वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया पहुंच गए. इस दौरान उनको शिवसैनिकों के हमले का सामना भी करना पड़ा. इसमें उनको गंभीर चोट भी आई. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी महाराष्ट्र सरकार पर गंभीर आरोप लगा दिए. उन्होंने नवनीत राणा के पक्ष में कहा कि एक महिला लोकप्रतिनिधि को लेकर शिव सैनिकों ने 20 फुट जमीन में गाड़ने तक की बात कही, ऐसी भाषा का इस्तेमाल हुआ, लेकिन अब तक मामले में एक साधारण नोट भी दर्ज नहीं हुआ, लेकिन राणा दंपत्ति हनुमान चालीसा पाठ करने की बात करते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है. शिवसेना गुंडों की पार्टी बन गई है, सीएम उद्धव ठाकरे सिर्फ लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज करना और उन्हें सलाखों के पीछे डालना जानते हैं, वे महाराष्ट्र में बंगाल जैसी स्थिति पैदा कर रहे हैं. इस तरह नवनीत राणा महाराष्ट्र की राजनीति में जो हलचल पैदा की है, वो शायद ही बीजेपी का कोई नेता कर पाता.

नवनीत राणा में वो सभी तत्व मौजूद हैं, जो इस वक्त बीजेपी को महाराष्ट्र में मौजूद अपने किसी नेता में चाहिए. वो आरएसएस और बीजेपी के सिद्धांतों पर पूरी तरह खरी उतरती हैं. आइए इसको समझने की कोशिश करते हैं कि नवनीत राणा महाराष्ट्र में जो कर रही हैं, वो बीजेपी के फार्मूले में फिट कैसे बैठती हैं.

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- हिंदुत्व का झंडा

नवनीत राणा महाराष्ट्र के अमरावती लोकसभा सीट से निर्दलीय सांसद हैं. उनके पति रवि राणा अमरावती के ही बडनेरा विधानसभा सीट से तीसरी बार विधायक हैं. रवि लंबे समय से अमरावती के किसानों के लिए काम कर रहे हैं. यही वजह है कि इस क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ है. वो भी निर्दलीय चुनाव लड़ते रहे हैं. लेकिन अब राणा दंपति ने हिंदुत्व का झंडा बुलंद कर दिया है. इस मामले की शुरूआत ही हिंदू छवि को मजबूत करने को लेकर हुई है. नवनीत ने ऐलान किया था कि वो उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री के बाहर बैठकर हनुमान चालिसा का पाठ करेंगी, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हो गई. अब हनुमान चालिसा पढ़ना कोई गैर कानूनी कार्य तो है नहीं, ऐसे में महाराष्ट्र सरकार की इस कार्रवाई के बाद राणा दपंति को लोगों की सहानुभूति मिलनी तय है.

इसके साथ ही पति-पत्नी के वेशभूषा ही देख लीजिए. भगवा साड़ी और गले में श्रीराम नाम का गमछा पहने नवनीत राणा पुलिस के साथ थाने पहुंची थी. उनके पति भी गले में भगवा गमछा पहने हुए थे. नवनीत का कहना है, ''मैंने शिवसेना में हिंदुत्व की लौ को फिर से जगाने की सच्ची आशा के साथ घोषणा की थी कि मैं मुख्यमंत्री के आवास पर जाऊंगी और उनके आवास के बाहर "हनुमान चालीसा" का जाप करुंगी. यह किसी धार्मिक तनाव को भड़काने के लिए नहीं था. वास्तव में, मैंने मुख्यमंत्री को "हनुमान चालीसा" के जाप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना अस्पष्ट कारणों से अपने स्पष्ट 'हिंदुत्व' सिद्धांतों से पूरी तरह से भटक गई है. महाराष्ट्र में अभी तक 'हिंदुत्व' के पैरोकार होने की लड़ाई शिवसेना और बीजेपी के बीच थी.

- राज ठाकरे का जवाब

महाराष्ट्र की सियासत में राज ठाकरे एक मजबूत राजनीतिक खिलाड़ी माने जाते हैं. लोग उनमें बाल ठाकरे की छवि देखते हैं. पिछले कुछ वर्षों से शिथिल पड़ चुकी अपनी राजनीतिक पार्टी मनसे को वो एक बार फिर नए सिरे से सक्रिय कर रहे हैं. कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन करके सरकार चला रहे उद्धव ठाकरे की हिंदुत्व छवि के कमजोर पड़ने की वजह से वो उस खाली जगह को भरना चाहते हैं. ऐसे में उन्होंने हिंदू कार्ड खेलना शुरू कर दिया है. सबसे पहले उन्होंने ही कहा था कि यदि मुस्लिम समाज के लोग मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाते हैं तो वो लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा चलाएंगे. इसके तुरंत बाद नवनीत राणा ने उद्वव ठाकरे पर 'हिंदुत्व' के सिद्धांतों से भटकने का आरोप लगाते हुए उनके घर के बाहर हनुमान चालिसा का जप करने का ऐलान कर दिया. उनकी इस घोषणा के बाद उद्धव सरकार हरकत में आ गई. राज ठाकरे के बयान पर तो कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन नवनीत को उनके पति के साथ जबरन गिरफ्तार कर लिया गया. यहां तक थाने और जेल में यातना भी दी गई. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नवनीत का रानीतिक कद राज ठाकरे से बड़ा है? क्या उद्धव सरकार को राज ठाकरे की बजाए नवनीत राणा से खतरा है? मुंबई पुलिस की कार्रवाई को देखकर तो ऐसा ही लग रहा है.

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- हिंदुत्व का दलित चेहरा

सियासत में वोट बैंक का महत्व बहुत ज्यादा होता है. इसमें दलित वोट बैंक सबसे मजबूत माना जाता है. नवनीत राणा दलित हैं. ऊपर से फायरब्रांड हिंदू नेता भी बन गई है. राजनीति में ऐसे नेताओं की पूछ बहुत ज्यादा है. खासकर के बीजेपी के पाले में ऐसे नेताओं की जरूरत ज्यादा है. हिंदुत्व की बात करने वाले राणा दंपति जेल जाने के बाद से ये आरोप बार-बार लगा रहे हैं कि उनको दलित होने की वजह से ज्यादा प्रताड़ित किया जा रहा है. यहां तक कि प्यास लगने पर पुलिसवाले यह कहकर पानी नहीं दे रहे हैं कि वो लोग अनुसूचित जाति के हैं. लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को लिखे खत में नवनीत ने लिखा है, ''खार पुलिस स्टेशन मुझे पूरी रात रखा गया. मैंने रात भर पीने के पानी के लिए कई बार मांग की, लेकिन पूरी रात मुझे पीने का पानी उपलब्ध नहीं कराया गया. यह मेरे लिए शॉक का विषय था कि वहां मौजूद पुलिस कर्मचारियों ने मुझसे कहा कि मैं अनुसूचित जाति की हूं और इसलिए वे मुझे एक ही गिलास में पानी नहीं देंगे. इस प्रकार, मुझे मेरी जाति के आधार पर सीधे तौर पर प्रताड़ित किया गया और केवल इस कारण से मुझे पीने का पानी उपलब्ध नहीं कराया गया. पानी पीने जैसे बुनियादी मानवाधिकारों से मुझे इस आधार पर वंचित किया गया था कि मैं अनुसूचित जाति (नीची जात) से हूं. मुझे सबसे गंदी भाषा में गाली भी दी गई है''. वैसे गाली तो उद्वव सरकार के एक मंत्री सरेआम दे रहे हैं. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री विजय वडेट्टीवार ने राणा दंपति को नीच और ह@#$मी कहा है.

- सेलिब्रिटी-नेता का कॉम्बो

सभी जानते हैं कि नवनीत राणा सियासत में आने से पहले साउथ सिनेमा में सक्रिय रह चुकी हैं. उन्होंने लंबे समय तक तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में काम किया है. शादी से पहले उनको नवनीत कौर के नाम से लोग जानते थे. उन्होंने कन्नड़ फिल्म 'दर्शन' के जरिए अपना फिल्मी डेब्यू किया, जो कि साल 2004 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में नवनीत के अपोजिट कन्नड सुपरस्टार दर्शन थुगुदीप थे. इस के बाद इसी साल रिलीज हुई फिल्म 'सीनू वसंती' के जरिए तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में भी डेब्यू किया था. इसके बाद साल 2005 में रिलीज हुई फिल्म 'चेतना: द एक्साइटमेंट' के जरिए हिंदी फिल्मों में भी डेब्यू किया. साल 2010 तक नवनीत ने साउथ सिनेमा की करीब दो दर्जन से ज्यादा फिल्मों में काम किया है, जिनमें ज्यादातर तेलुगू फिल्में हैं. साल 2011 में रवि राणा से शादी होने के बाद उन्होंने सिनेमा को बॉय बोलकर सियासत में एंट्री ले ली. इस तरह सेलिब्रिटी राजनेता बन गईं. अपनी आकर्षक छवि, बॉडी लैंग्वेज और बोलचाल की वजह से वो जल्दी ही अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हो गईं. उनमें फायरब्रांड नेता के वो सारे गुण मौजूद हैं, जो इस वक्त महाराष्ट्र की सियासत में भारतीय जनता पार्टी को अपनी किसी नेता में चाहिए, जो कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे से मुकाबला कर सके. उनकी भाषा में उनको जवाब दे सके.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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