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Updated: 20 अप्रिल, 2019 04:24 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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बॉलीवुड में ऐसे कई एक्टर हैं जिन्हें उनकी काबिलियत के हिसाब से काम नहीं मिला और उनके लिए संघर्ष कुछ ज्यादा रहा है. ऐसा ही एक नाम नीना गुप्ता का भी है. नीना गुप्ता के पास भरपूर टैलेंट है और ये वो कई बार साबित कर चुकी हैं, लेकिन इंडस्ट्री में जिस हिसाब से उन्हें काम मिला है वो किसी से छुपा नहीं है. हाल ही में नीना गुप्ता ने राजीव मसंद को दिए अपने इंटरव्यू में कई बातें कहीं जो शायद एक कड़वी सच्चाई के अलावा और भी बहुत से मायने रखती हैं. नीना ने इंटरव्यू में वो सच्चाई बताई जो शायद किसी के लिए भी सुनना थोड़ा मुश्किल होगा नीना के अनुसार “मैंने मसाबा से कहा कि अगर तुमको एक्टर बनना है तो तुम भारत से बाहर जाओ. जिस तरह की तुम्हारी शक्ल है, बॉडी है, तुम्हें इंडियन फ़िल्मों में बहुत कम रोल मिलेंगे. भले ही तुम कितनी ही अच्छी एक्टिंग करती हो. तुमको हिरोइन का रोल नहीं मिलेगा. तुम हेमा मालिनी नहीं बनोगी. अलिया भट्ट नहीं बनोगी.”

हमारी फिल्म इंडस्ट्री में शक्ल और सूरत बहुत मायने रखती है. शक्ल सुंदर होनी चाहिए, लड़की पतली होनी चाहिए, होठ, नाक, कान, दांत, माथा, बाल सब कुछ परफेक्ट. मतलब बॉलीवुड की हिरोइनों के लिए एक तय पैमाना है. एक मां के लिए अपना बच्चा सबसे ज्यादा सुंदर होता है, लेकिन नीना गुप्ता ने बड़े ही कड़े शब्दों में अपनी बेटी को ये कह दिया कि तुम भारतीय पैमाने के हिसाब से सुंदर नहीं हो.

नीना गुप्ता, मसाबा गुप्ता, बॉलीवुड, काला रंगनीना गुप्ता ने मसाबा को जो सीख दी है वो बॉलीवुड की सच्चाई ही है.

जी हां, इस सुंदरता के लिए तो कई हिरोइने प्लास्टिक सर्जरी ही करवा लेती हैं. काजोल का मेकओवर किसी से छुपा हुआ नहीं हैं. किसी ऐसी हिरोइन का नाम बताइए जो बहुत ज्यादा ग्लैमरस न हो और कमर्शियल सिनेमा में हिट रही हो? यहां राधिका आप्टे, रिचा चड्ढा से लेकर स्मिता पाटिल, शबाना आज्मी और नूतन जैसे बहुत से नाम दिए जा सकते हैं जो बॉलीवुड के टैलेंट की खदान रही हों, लेकिन इन्हें फिर कमर्शियल फिल्मों की कैटेगरी में नहीं रखा जाएगा. खुद काजोल का मेकओवर उन्हें अपवाद बनने से रोकता है. इस लिस्ट में सिर्फ एक नाम ही याद आता है वो भी जया भादुड़ी का. जो छोटी और नाटी होने के बावजूद अपने दम पर टिकी रहीं. लेकिन ये भी सच है कि उस दौर में ग्लैमर को डांसिंग जैसे टैलेंट से भी आंका जाता था. उस दौर में जया बच्चन बेहद अच्छी डांसर थीं. पर बॉलीवुड में अब तो ग्लैमर की पहचान ही बदल गई है. ब्यूटी क्वीन वाला दौर बॉलीवुड को एक अलग ही पैमाना दे गया है. 

नीना गुप्ता के इस बयान को लेकर कई लोगों की अलग-अलग राय है. लोगों का कहना है कि टैलेंट भी पहचाना जा रहा है, सिर्फ रंग पर नहीं जाना चाहिए.

पर अब मैं फिर यही बात दोहराऊंगी कि नीना गुप्ता का उदाहरण कहां गलत था? खुद उन्हें बहुत टैलेंटेड होने के बाद भी काम मिलने में दिक्कत हुई जब्कि उनकी तो शक्ल भी भारतीय पैमाने के हिसाब से ही थी. नीना गुप्ता ने ये स्वीकार किया कि जब मसाबा पैदा हुई थीं तो उनके अकाउंट में सिर्फ 2000 रुपए थे और जिन मुश्किलों का सामना उन्होंने किया है वो किसी के लिए उदाहरण नहीं बनना चाहतीं. उनका मानना है कि उन्होंने अपनी बेटी के साथ भी गलत किया.

नीना गुप्ता ने मसाबा को ये नहीं कहा कि वो अपने सपने को पूरा न करें बल्कि ये कहा कि अगर ये करना है तो सही जगह जाकर करें. विदेश जाएं जहां टैलेंट की कद्र होती है.

क्या बॉलीवुड में लुपिता को फिल्मफेयर मिलता?

लुपिता न्योंग (Lupita Nyong'o) ये हैं कीनियाई-मेक्सिकन एक्ट्रेस जिन्हें अपनी फिल्म के लिए ऑस्कर मिल चुका है. लुपिता को लेकर गूगल सर्च करेंगे तो कई जगह उनके ब्यूटी सीक्रेट्स भी सामने आएंगे. लुपिता ने खुद एक इंटरव्यू में कहा है कि जहां वो पैदा हुई और बड़ी हुई हैं वहां अधिकतर लोग काले ही थे तो कोई पैमाना यहां से शुरू नहीं होता था कि तुम काले हो या गोरे हो. बॉलीवुड में लुपिता की फिल्म का ऑस्कर जाना छोड़िए यहां तो उन्हें उनके रंग के लिए ट्रोल किया जाता और उन्हें अवॉर्ड तो भूल ही जाना होता. 

ऑस्कर अवॉर्ड लेती हुई लुपिता.ऑस्कर अवॉर्ड लेती हुई लुपिता.

हॉलीवुड में रेहाना, हेली बैरी, जेनिफर लोपैज़ को उनके रंग की वजह से या उनकी शारीरिक बनावट की वजह से अलग नहीं रखा जाता. ओप्रा विन्फ्रे ने एक समय में रंगभेद झेला पर अब तो हॉलीवुड उतना मैच्योर हो गया है. कोई कह सकता है कि प्रियंका चोपड़ा को साइड एक्ट्रेस रहते हुए रिबेल विल्सन को लीड रोल दिया जाएगा? और जो लोग ये तर्क देते हैं कि प्रियंका को भी हॉलीवुड में रंगभेद का सामना करना पड़ा है उन्हें ये भी देखना चाहिए कि हॉलीवुड में प्रियंका की शुरुआत भी एक टीवी सीरीज में लीड रोल से हुई थी.

ये हॉलीवुड की बात थी जहां जाने के लिए नीना गुप्ता ने मसाबा को कहा, लेकिन यही बात अगर बॉलीवुड की होती तो? बॉलीवुड जहां गोरे रंग ने कई हिरोइनों को काम दिलवाया है. ये देश जहां मैट्रिमोनियल विज्ञापनों से लेकर नौकरी के कैंडिडेट तक के लिए अच्छा दिखना बहुत जरूरी होता है. वैसे तो भारत में रंग को लेकर बहुत ही ज्यादा चर्चा पहले ही हो चुकी है और गोरा रंग हमारे देश में कितना जरूरी है ये तो ResearchAndMarkets.com की रिपोर्ट ही बता देती है. अकेले भारत में ही 5000 करोड़ का फेयरनेस क्रीम मार्केट 2023 तक होगा.

यहां तो फेयरनेस क्रीम का विज्ञापन भी ऐसा दिखाया जाता है कि अगर कोई लड़की गोरी हो गई तो उसकी जिंदगी बहुत आसान हो जाएगी और नौकरी, लड़का, शादी सब कुछ आसानी से हो जाएगा.

ये वो देश है जहां अजन्मे बच्चे को गोरा करने के लिए मां को दूध-केसर पिलाया जाता है तो इस देश की फिल्म इंडस्ट्री से आप क्या उम्मीदें रखते हैं? ऐसे ही नीना गुप्ता ने भी नहीं रखीं. वो उस सच को जानती हैं जो उन्होंने झेला है और हर मां ये चाहेगी कि उसके बच्चे के टैलेंट की कद्र हो. वो अपने बच्चे को बदसूरत नहीं कह रही थीं बल्कि वो तो उस समाज की आंखों को बदसूरत कह रही थीं जो किसी की भी खूबसूरती को गोरेपन का चश्मा लगाकर देखता है.

क्या टुनटुन में टैलेंट नहीं था? लेकिन वो कभी रेबेल विल्सन की तरह मेन लीड नहीं बन पाईं. भूमी पेडनेकर ने भी मोटापा कम किया तब दूसरी फिल्मों में आईं. विद्या बालन को भी लोग अपना शरीर सुधारने को कहते हैं, कोई उनका टैलेंट नहीं देखता. गोरी और छरहरी का ये ऑब्सेशन भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को घेरे हुए है. ऐसे में नीना गुप्ता की बात 100 टका सही साबित होती है.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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