नस्लभेद : नवाजुद्दीन तुम अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा और रेखा की लाइन में हो
सिर्फ नवाजुद्दीन सिद्दीक़ी ही नहीं बल्कि बॉलीवुड के हर दौर में भेदभाव होता आया है. कुछ क़िस्से उन कलाकारों के जिनका अलग अलग बातों के लिये उड़ाया गया मजाक.
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हाल ही में एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीक़ी ने ट्वीट किया ‘शुक्रिया मुझे एहसास दिलाने के लिये कि मुझे फेयर और हैंडसम के साथ कास्ट नहीं किया जा सकता, क्योंकि मेरा रंग काला है और मैं देखने में बहुत अच्छा नहीं लगता हूं, लेकिन मैं इन चीज़ों की तरफ ध्यान नहीं देता हूं’.
Thank U 4 making me realise dat I cannot b paired along wid d fair & handsome bcz I m dark & not good looking, but I never focus on that.
— Nawazuddin Siddiqui (@Nawazuddin_S) July 17, 2017
दरअसल एक अखबार को दिये इंटरव्यू में कास्टिंग डायरेक्टर संजय चौहान का कमेंट छपा था ‘फिल्म बंदूकबाज में नवाज पहले से ही प्रोजेक्ट में थे, लेकिन पूरी कास्टिंग और लीडिंग लेडी उनकी पर्सनालिटी के हिसाब से कास्ट करनी थी, नवाज को ध्यान में रखते हुए कास्ट करना था, कोई फेयर और हैंडसम को नवाज के सामने कास्ट नहीं कर सकते, वो अजीब लगता’.
नवाजु्द्दीन सिद्दीकी ने ट्वीट करके भेदभाव के बारे में बताया
नवाज के ट्वीट करने के बाद कास्टिंग डायरेक्टर संजय चौहान ने कहा कि उन्हें मिसकोट किया गया है और नवाज ने कहा बात सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री की नहीं है, ऐसा तो हर जगह होता है, मानसिकता बदलनी होगी, छोटे बच्चे से भी मां-पिता मजाक में कहते हैं, ‘जब बड़ा होगा तो गोरी मेम से तेरी शादी करेंगे’.
अफसोस की बात ये है कि नवाज ना पहले कलाकार हैं और ना पहले इंसान जिनके साथ भेदभाव हुआ. नेता अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने बताया भेदभाव से अमिताभ बच्चन जैसे महानायक भी नहीं बच सके थे.
अमिताभ बच्चन
अमिताभ बच्चन भी हुए थे भेदभाव का शिकार
शत्रुघ्न के मुताबिक ‘मैं अमिताभ को स्ट्रगल के दौर से जानता हूं, उनकी लंबी टांगें और दुबलेबपन, को लेकर उनका मजाक उड़ाया जाता था’ लेकिन उनमें दम था और अपने टेलेंट के बल पर उन्होंने मजाक उड़ानेवालों को गलत साबित किया. अमिताभ की खासियत ये भी थी कि उन्होंने अपनी कमजोरी को अपनी ताकत में तब्दील किया, अमिताभ के कान बड़े थे, इस बात पर भी उनका मजाक उड़ता था, चेहरे को बैलेंस करने के लिये उन्होंने बालों से अपने कान ढके जो 70 और 80 के दशक में अपने आप में एक बहुत शानदार स्टाइल बन गया.
शत्रुघ्न सिन्हा
शत्रुघ्न सिन्हा का भी मजाक बनाया जाता था कि कटे होठ वाला आदमी शो बिज़नेस में कैसे आगे बढ़ सकता है, लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा जब परदे पर डायलॉग बोलते तो तालियों से उनका स्वागत होता, दर्शक नायक से ज्यादा खलनायक की वाहवाही करते और शत्रुघ्न की फैन फॉलोइंग का ये आलम हुआ, कि उनके चाहनेवाले ना सिर्फ उनकी डायलॉगबाजी की नकल करते बल्कि, कुछ फैन्स ने जानबूझकर अपने होठों के पास ब्लेड से काट कर वैसा ही निशान बना लिया, जो शत्रुघ्न के था. सफलता सारे दाग मिटा देती है.
शत्रुघ्न सिन्हा का भी बनाया गया था मज़ाक
रेखा
70 के दशक में रेखा ने फिल्म ‘सावन भादों’ से डेब्यू किया, हिट फिल्म की हीरोइन कहलाने के बावजूद रेखा को काली और मोटी जैसे शब्दों का सामना करना पड़ा, लेकिन रेखा ने हिम्मत नहीं हारी अपनी कमियों पर काम किया और 180 से ज्यादा फिल्में की, 40 साल से भी ज्यादा वक्त से वो टिकी हुई हैं और उनकी खूबसूरती की मिसाल दी जाती है.
आज रेखा से खूबसूरत और कौन..
मिथुन चक्रवर्ती
मिथुन चक्रवर्ती को 1976 में अपनी पहली फिल्म ‘मृगया’ के लिये नेशनल अवॉर्ड मिला उनकी एक्टिंग का लोहा सबने माना, लेकिन कमर्शियल फिल्मों में उन्हे बहुत अच्छे रोल्स नहीं मिल रहे थे, उनका रंग हर बार आड़े आ जाता, निर्माता केसी बोकाडिया ने बताया ‘80 के दशक में जब मैंने अपनी फिल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ के लिये मिथुन को कास्ट किया’ तब तक डिस्को डांसर से वो फेमस हो चुके थे फिर भी बहुत से फिल्म फाइनेन्सर नहीं चाहते थे कि रोमांटिक फिल्म के हीरो मिथुन हों.
फाइनेन्सर मिथुन को हीरो नहीं चाहते थे
कुछ ने तो यहां तक कहा कि हीरो गोरा होता है, काला होता है, लेकिन तुम्हारा हीरो तो नीला है’. ‘प्यार झुकता नहीं’ रिलीज़ हुई और सुपरहिट रही और वही मिथुन जिन्हें लोग काला और नीला कहते थे, उन्हें फिर वही लोग टॉल डार्क एंड हैंडसम कहने लगे.
राजेश खन्ना
हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना जब स्ट्रगल कर रहे थे, तब नेपाली और गुरखा कहकर उनका मजाक उड़ाया जाता था, क्योंकि उनकी आंखें छोटी थीं, बाद में उन्हीं आंखों में लोगों को रोमांटिक हीरो को अंदाज दिखने लगा.
राजेश खन्ना और डैनी को पहाड़ी कहा जाता था
डैनी डेंगज़प्पा
डैनी डेंगज़प्पा का भी मजाक उड़ाया जाता था क्योकिं वो नॉर्थ ईस्ट से थे और कुछ लोग उन्हें भारतीय ही नहीं मानते थे. एक बड़े निर्देशक ने डैनी को यहां तक कह दिया था कि वो पहाड़ों में जाकर वॉचमैन बन जाएं, सब्र का घूंट पीने का बाद डैनी ने खुद से वादा किया कि एक दिन उस निर्देशक के घर से बड़ा बंगला बनाएंगे, डायरेक्टर का नाम तो नहीं बताया लेकिन ये सच है कि डैनी का बंगला जूहू इलाक़े में है और वाकई बहुत बड़ा भी है.
ओम पुरी-नसीरुद्दीन शाह
ओम पुरी के चेहरे को देखते ही लोग कह देते थे कि चेचक के दाग वाला ये आदमी एक्टर कैसे बन सकता है, नसीरुद्दीन शाह को बदशक्ल और बुरा दिखनेवाला कहा गया, लेकिन इन दोनों कलाकरों ने अपने टेलेंट से ये साबित कर दिया कि टेलेंट से बढ़कर कुछ नहीं होता.
ओम पुरी और नसिरुद्दीन के टेलेंट के आगे कुछ नहीं टिका
स्मिता पाटिल
स्मिता पाटिल जैसी बेहतरीन एक्ट्रेस को भी शुरूआती दौर में काली लड़की कहा जाता था, लेकिन उनकी कला के आगे हर रंग बेरंग हो गया. स्मिता ने ना सिर्फ आर्ट मूवीज़ में एक्टिंग के जौहर दिखाये बल्कि अमिताभ बच्चन जैसे कमर्शियल सुपर स्टार के साथ 1982 में दो फिल्मों में लीड हीरोइन की भूमिका निभाई. नमक हलाल, शक्ति, ऐसी अनगिनत मिसालें और दी जा सकती हैं.
स्मिता पाटिल को भी शुरुआत में भेदभाव सहना पड़ा था
लेकिन इसलिये इस विषय पर चर्चा होती रहनी चाहिये, भेदभाव किसी भी किस्म का नहीं होना चाहिये, चाहे नवाज हों या अमिताभ बच्चन या फिर कोई आम आदमी, क्यों कोई गुजरे इस अपमान से या किसी भी तरह के अपमान से.
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