ओम के तर्क बचकाने हैं, आदिपुरुष सिर्फ स्पाइडरमैन-आयरन मैन का दीवाना युवा नहीं देखेगा!
एक ऐसे समय में जब तथ्यों से छेड़छाड़ करने के कारण आदिपुरुष आलोचकों के निशाने पर है. फिल्म और मच रहे बवाल पर अपना पक्ष रखने के लिए निर्देशक ओम राउत सामने आए हैं. ओम ने अपनी गलती को जस्टिफाई करने की नाकाम कोशिश करते हुए फिल्म की तुलना स्पाइडर मैन और आयरन मैन से की है.
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निर्देशक ओम राउत की अपकमिंग फिल्म 'आदिपुरुष' का सिर्फ टीजर ही आया है. और फिल्म विवादों के घेरे में आ गई है. क्या अयोध्या-काशी क्या दिल्ली मुंबई एक सुर में फिल्म की बुराई हो रही है. चाहे वो भगवान श्री राम का रोल करने वाले प्रभास हों या माता सीता का रोल करने वाली कीर्ति सेनन. फैंस को आदिपुरुष में कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है. सबसे ज्यादा विवाद हनुमान जी और रावण का रोल करने वाले सैफ अली खान को लेकर है. फिल्म में सैफ का मेकअप कुछ इस दर्जे का घटिया है कि वो राक्षस कम मुग़ल आक्रांता ज्यादा नजर आ रहे हैं. चाहे वो अलग-अलग हिंदूवादी संगठन हों या फिर नरोत्तम मिश्रा और ब्रजेश पाठक जैसे भाजपा के नेता, सभी ने इस फिल्म के लिए निर्देशक ओम राउत को आड़े हाथों लिया है. अब बात फिल्म के बैन पर आ गयी है. मामला क्योंकि धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है कोई कुछ सुनने समझने को तैयार नहीं है. ऐसी परिस्थितियों में फिल्म के निर्देशक ओम राउत सामने आए हैं और उन्होंने अपने द्वारा की गयी गलती को जस्टिफाई करने की नाकाम कोशिश करते हुए फिल्म की तुलना स्पाइडर मैन और आयरन मैन से की है.
आदिपुरुष से विवादों में घिरे ओम राउत अपने को सही साबित करने फिर गलत तर्कों का सहारा ले रहे हैं
फिल्म क्योंकि लगातार नए विवादों को जन्म दे रही है. एक प्रोग्राम में फिल्म और विवादों पर अपना पक्ष रखते हुए ओम राउत ने कहा है कि वह आदिपुरुष के माध्यम से 'स्पाइडर-मैन, आयरन मैन' का उपभोग करने वाली पीढ़ी तक पहुंचना चाहते हैं. ओम राउत ने सवाल करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी क्या चाहती है? मार्वल का उपभोग करने वाली पीढ़ी, स्पाइडर-मैन, आयरन मैन, हैरी पॉटर, द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स क्या-क्या नहीं देख रही. आदिपुरुष के जरिये मैं वर्तमान पीढ़ी के बीच अपनी पैठ बनाना चाहता हूं. इस फिल्म का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को रामायण का अनुभव इस तरह से करना है कि वे समझ सकें और मनोरंजक पा सकें.
वहीं ओम ने इस बात पर भी बल दिया कि जब तक हम युवाओं को उनके अंदाज में नहीं समझाएंगे कंटेंट उन तक नहीं पहुंच पाएगा और हमारा मकसद अधूरा रह जाएगा वहीं ओम ने उन आरोपों को भी ख़ारिज किया जिनमें कहा गया था कि फिल्म विदेशी स्टूडियो की मिली भगत से बनाई गयी है. ओम ने बताया कि, 'इस फिल्म के निर्माण में कोई विदेशी स्टूडियो नहीं है. फिल्म में छोटे से लेकर बड़े तक जो भी स्टूडियो लगे हैं वो सब भारत के ही हैं और आदिपुरुष को संभव बनाने के लिए सब ने एक साथ काम किया है.'
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मामले पर भले ही ओम रावत ने अपना पक्ष रख दिया हो. लेकिन क्या उनकी बातें उतनी ही सहज हैं जितना वो प्रतीत हो रही हैं? जवाब है नहीं. अब जबकि आदिपुरुष के चलते ओम राउत अपने ही बिछाए जाल में फंस गए हैंतो वो युवाओं को कितना भी ढाल क्यों न बना लें लेकिन उन्होंने जो गलती की है उसके लिए न तो उन्हें माफ़ किया जा सकता है न ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नाम देकर फिल्म को किसी भी हाल में जस्टिफाई किया जा सकता है.
ओम बताएं क्या उनकी मोस्ट अवेटेड फिल्म आदिपुरुष को सिर्फ देश विदेश के वो युवा ही देखेंगे जो अब तक स्पाइडर-मैन, आयरन मैन, हैरी पॉटर, द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स देखते आए हैं? इसका भी जवाब नहीं है. चूंकि रामायण और भगवन श्री राम भारत की एक बड़ी आबादी के लिए आस्था का विषय रहे हैं तो जाहिर है कि अगर भविष्य में आदिपुरुष रिलीज हुई तो युवाओं के मुकाबले बुजुर्ग और बच्चे इस फिल्म को देखने ज्यादा जाएंगे. एक निर्देशक के रूप में ओम राउत से हमारा सवाल बस इतना है कि जब उनकी फिल्म आस्था का विषय है तो फिर उन्हें फिल्म में इतनी फेरबदल करने की जरूरत ही क्या थी?
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अपनी फिल्म को सही साबित करने के लिए ओम राउत ने स्पाइडर-मैन,आयरन मैन, हैरी पॉटर, द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स जैसी फिल्मों और मार्वल पिक्चर्स का जिक्र किया है. तो हम ओम से बस इतना ही कहेंगे कि अच्छी बात है कि उन्हें युवाओं की फ़िक्र है लेकिन क्रिएटिविटी का हवाला देकर एक ऐसी फिल्म क्यों जो हमारी, हम सब की आस्था से जुड़ी है. बिलकुल ओम को युवाओं के लिए अच्छे कंटेंट वाली फिल्म बनानी चाहिए लेकिन उन्हें धर्म को अपने एजेंडे से दूर रखना चाहिए.
बतौर निर्देशक ओम को इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि जब जब बात धर्म संग खिलवाड़ की आएगी विरोध और उसका स्वरूप वैसे ही होगा जैसा हम आदिपुरुष के परिदृश्य में आज देख रहे हैं. इस बात से कोई गुरेज नहीं है कि हमें क्रिएटिव लिबर्टी का हवाला नहीं लेना चाहिए, इंसान बिल्कुल ले लेकिन बस इस बात का ख्याल रखे कि वो देवी देवता ईष्ट और आराध्य से न जुड़ा हो वरना इंसान चाहे जितना भी प्रभावशाली क्यों न हो शर्तिया नुकसान होना है.
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