नये ज़माने में नई गारी, ऊं उं अंटावा का हिन्दी वर्ज़न 'उ बोलेगा या ऊं उं बोलेगा'!
Oo Bolega Ya Oo Oo Bolega Pushpa Song : अनुवाद यानी डब.डब ने डुबा डुबा कर गाने को ऐसा बनाया कि ध्यान से सुने तो पुरुष सर ही तोड़ ले अपना. पर क्या है कि सामंथा जी के आगे अपने गिरेबां में क्या ही झांके. तो बस सब नाच रहे हैं झूम रहे हैं और कह रहे हैं उ बोलेगा या ऊं उं बोलेगा साला.
-
Total Shares
ज़रा सोचिए. बस सोचिएगा ही. खुदा खैर करे सोच सच न बने. तो बस सोचिए. बिटिया रानी प्यारी सी पायल की रुनझुन पर गुनगुनाती हुई थिरक रही. कित्ती तो प्यारी लगती हैं न. फिर आप पूछो बिट्टो क्या गा रही पापा/ चाचा/ मामा को सुनाओ और वो मुस्कराती हुई गाये
नज़रे गंदी, सोच गंदी
मर्द है बिन पेंदे का लोटा
उ बोलेगा या ऊं उं बोलेगा साला
पुष्पा का आइटम नंबर पुरुषों के लिए किसी गाली से कम नहीं है
वाह वाह मतलब क्या प्यारा गाना. नहीं? अर्रे नाराज़ न हो भैया मतलब सब भाषाओं में यही है. हां हिंदी में महा वाहियात मतलब बोले तो कमाल का घटिया गाना बना डाले अल्लू भैया. फिर जो कैरक्टर में घुस के महा घटिया करेक्टरलेस प्ले किये हो मतलब वाह! कतई जहर नहीं? ऐसी ही थोड़ी आपके भाई लोग फ्री में आपको चुम्मियां दे रहे.
आप खरीदो 5000 में पर आप पर तो फ्री में कुर्बान है भाई लोगो का प्यार. प्यार अंधा होता है इसका नया ऊंचापन गहरापन घटियापन सब पेश किया गया है. मेरी भाषा पर उंगली न उठाएं.
काले गोरे से क्या मतलब
मधु मिले या फिर मट्ठा
एक ही रट्टा देख दुपट्टा
मर्द है बिन पैंदे का लोटा
जब इसपर खुशी से झूम सकते है तो घटियापन पर ऐतराज क्यों? हां तो कह रहे थे कि प्यार अंधा होता है और बहरा भी और शायद दिमागी असंतुलन से भी ग्रसित. मल्लब जो हम कहे कि मर्द की नजर गंदी सब औरत को बस मांस समझ के गिद्ध की तरह घूरते है छोटी बड़ी, उम्र बनावट से कोई फर्क नहीं पड़ता और कपड़े? वो तो बस बहाना है बिन पेंदे के लोटे मर्द गंदी सोच रखते है तो!
तो भैया हमहिं से तुहीं सवाल पुछबा, की काहे से हम मर्दजात के बदनाम करत हई अउर इहां गाय गाय तोहरे सबके गरियावत हैं और तू सब बुड़बक यस नागिन डांस करे के मउका ढूढत इहा! जा भैया कउन भांग चढाइला है?
दो भागों में बंट गया है इस फ़िल्म को देखने वालों का खेमा.एक जो कहते नहीं थक रहे कि दक्षिण की फ़िल्म ऐसी ही होती हैं और दिमाग मत लगाइये. बात सही है कोई इतिहास तो है नही जो बदल लेंगे बन गई सो बन गई.बस ज़रा डर है कि कम्पटीशन में बॉलीवुड इसी घटियापन पर उतरा तब?
दूसरा खेमा जो यह कहता नही थक रहा कि फ़िल्म है घटिया पर हम और आपके ए जी, ओ जी, पिताजी, भाई जी, बेटा जी कोई नहीं ऐसा तो पिलीज हमे लपेट कर गरियाये न. और व्हाट इज पेट्रियार्की मल्लब क्या कहीं भी पितृसत्ता डालेंगी क्या? धनिया है कहीं भी डाल दो? हैं नहीं तो!
तो भैया, ए बाबू पितृसत्ता समझेक पड़ी न. बाकी छोड़ो, चीज़ समझ के कीमत लगाए अल्लू बाबू! और समांथा जी गाना गा गा के बताई तो है कि कैसे हो तुम लोग
साड़ी साड़ी पहन के साड़ी
आये तो उसको घूरे
छोटी छोटी स्कर्ट जो
पहन के आये उसको घूरे!!
मतलब होना तो चाहिए कि औरते रट ले ये गाना. उ होत है न गारी! तो ई नए जमाना का गारी! बाह ! मल्लब कहना ये चाह रहे थे अल्लु भैया, कि बहुत बुरा लगा कहे से की सब मर्द लोग ऐसा बिन पैंदे को लौटा नहीं है और जो है वो घटिया लाइक विलेन ऑफ यॉर मूभी.
तो पुरुषों के घटियापन को तो कम कर नहीं पाएंगे कम से कम अनुवाद करने वाला तो बेहतर हो. हमारी हिन्दी बॉलीवुड इंडस्ट्री भी ऐसे घटिया गाने और महिलाओं के बाज़ारीकरण में पीछे नहीं. भूल गए हो तो ,"में तो तंदूरी मुर्गी हूँ यार गटका ले एल्कोहल से",पर करीना ही थिरकी थी.
समझते है गंदा है पर धंधा है.तो अगर बिकेगा तो और बनेगा ,बाकी जनता जनार्दन जाए भाड़ में.वो बनाये एंटरटेनमेंट एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट अब इसमें तुमको दिमाग लगाना है तो लगाओ!
मूवी मेकिंग इज़ माय हक
यू गो एंड ट्राई योर लक
आप क्या तुकबंदी किये ?भाईसाहब लैंग्वेझ का ध्यान रखे ! पुष्पा - फायर है जी. दूसरा भी आएगा
तब तक उं उं बोले जाओ
पुष्पा के गुण गाये जाओ
ये भी पढ़ें -
पुष्पा का यह गाना महिलाओं को उपभोग की वस्तु समझने वाले मर्दों पर कटाक्ष है!
'मेरी ब्रा का साइज भगवान ले रहे हैं', श्वेता तिवारी का बयान पब्लिसिटी स्टंट तो नहीं है?
Pushpa फ्लावर नहीं फायर है और ये सच है, इसके पीछे पर्याप्त कारण भी हैं!
आपकी राय