दीपिका पादुकोण समझें कि नोरा बनना उनके लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है!
दीपिका बिकिनी में बहुत ख़ूबसूरत लगती हैं. कॉकटेल और हालिया फ़िल्म गहराईयां में वे बड़ी अच्छी लगी हैं पर यहां नोरा फतेही के डांस मूव्स कॉपी करती हुई तनिक अटपटी लग रही हैं. नोरा बेहतरीन डांसर हैं और दीपिका अच्छी अभिनेत्री हैं पर डांस के मसले में वे नोरा के सामने कहीं नहीं टिकतीं.
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सांच बोलिए बात चाहे कैसी भी हो… सच यह है कि मुझे बेशरम गीत बेहद वाहियात लगा. कुमार अच्छे गाने लिखते हैं पर यह पैरोडी की लिरिक्स ख़राब है. नुसरत साहब के गाये और फ़ना बुलन्दशहरी के लिखे गीतों को अब तक केवल मनोज मुंतशिर चुरा रहे थे, अब कुमार सरीखे समर्थ गीतकार भी वही करने लगे हैं. गीत के बोल ही ख़राब हों, इतना भर नहीं है. गाने का कलात्मक पक्ष भी बिगड़ा हुआ है. इसी लोकेशन पर ऋतिक और बानी कपूर वाला गीत घुंघरू है, वह अधिक कलात्मक और कर्णप्रिय है.
पठान के गाने बेशर्म रंग में दीपिका पादुकोण
दीपिका बिकिनी में बहुत ख़ूबसूरत लगती हैं. कॉकटेल और हालिया फ़िल्म गहराईयां में वे बड़ी अच्छी लगी हैं पर यहां नोरा फतेही के डांस मूव्स कॉपी करती हुई तनिक अटपटी लग रही हैं. नोरा बेहतरीन डांसर हैं और दीपिका अच्छी अभिनेत्री हैं पर डांस के मसले में वे नोरा के सामने कहीं नहीं टिकतीं.
यह एक सच है… वैसे इसे दृश्यांकन की कमी भी मानी जा सकती है.
रंग बेशरम हों, बेशरम का पौधा हो, क्या फ़र्क़ पड़ता है पर गाना काफ़ी चलताऊ है. एकदम भुला दिया जाने वाला. न शाहरुख़ की वीइफ़एक्सी बॉडी भी नहीं प्रभावित कर पाई मुझे. मुझे नुसरत साब की आवाज़ में ‘लूट लिया हुस्न वालों ने’ ही याद रहेगा.
और वैसे भाजपाई मंत्री सह ट्रोलों का क्या है, वे तो हैं ही मकरध्वज, सब के सब. हंगामा नहीं होगा तो उन बिचारों की बात कौन करेगा? उन पर ध्यान देना ही उनकी जीत है.
(नोट - हमें तो लूट लिया हुस्न वालों के गीतकार शेवान रिज़वी थे)
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