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Updated: 17 दिसम्बर, 2022 08:50 PM
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पहलवानों को केसरिया या भगवा लंगोट पहन अखाड़े में लड़ते देखा है, योगगुरुओं को देखा है, लेकिन दीपिका पादुकोण का भगवा लुक नागवार गुजर रहा है. भई ! कलर है. ब्राइट येलो कह लो या पीला कह लो और कूल रहो ना. और यदि केसरिया या भगवा ही समझ आया तो रूल ऑफ़ जेंडर इक्वलिटी अप्लाई कर लो ना. बेवजह ड्रेस कोड को ना उलझाओ क्योंकि बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी. और फिर तमाम 'बेशर्म रंग' हतप्रभ हैं कि बायकाट गैंग की नजर दीगर रंगों पर क्यों नहीं गई चूंकि  पूरे गाने में दीपिका तक़रीबन हर कलर की बिकनी/ऑउटफिट या मोनोकिनी लुक में थिरकती नजर आती है. स्पष्ट है सैफ्रॉन आउटफिट में दीपिका का नजर आना अनइंटेंशनल है लेकिन हंगामा खड़ा करना इंटेंशनल है.

Shahrukh Khan, Deepika Padukone, Pathan, Besharam Rang, Song, Controversy, Saffron, Hinduदेखा जाए तो कपड़ों को लेकर जिस विवाद का सामना दीपिका बेशर्म रंग में कर रही हैं वो व्यर्थ का है

दरअसल बेशर्म धर्मांध लोगों की सरासर और बेबुनियाद आपत्ति है. वे तब तो इस कदर मुखर नहीं हुए थे जब भगवा धारी ढोंगी संत बलात्कारी करार दिए गए थे. इस ‘बेशरम रंग' वाले गाने में दीपिका पादुकोण का ग्लैमरस अवतार नजर आ रहा है और यकीन मानिये वे सोलो होती तो कोई बवाल नहीं होता. लेकिन शाहरुख के साथ उनका इंटीमेट डांस ही बॉयकॉट गैंग की असल परेशानी है.

फिर थोड़ी खुन्नस दीपिका से भी तब से हो गई थी जब वे 'छपाक' के प्रमोशन के लिए जेएनयू पहुंच गयी थीं और सीएए के आंदोलन को मूक समर्थन दे दिया था. सो विरोध के लिए बॉयकॉट का आह्वान करने के लिए पॉइंट तो होना चाहिए ना. अश्लीलता वाला पॉइंट उठा नहीं सकते क्योंकि हर दूसरी फिल्म अश्लीलता की हदें पार कर रही हैं, वर्जना रही ही नहीं है. सो दिख गया बिकनी का सैफ्रॉन कलर.

वस्तुतः दीपिका पादुकोण के ऑउटफिट के बहाने निशाना 'पठान' फिल्म है, शाहरुख़ खान है. लेकिन यदि फिल्म कंटेंट के हिसाब से कुछ नया प्रस्तुत करेगी तो यकीन मानिये व्यूअर्स सर आंखों पर लेगा, फिल्म हिट होगी जिसे मौजूदा बॉयकॉट कैम्पेन कंट्रीब्यूट ही करेगा. और फिर कहते हैं ना बातें हैं बातों का क्या; शाहरुख़ की 'रईस' , 'ज़ीरो' , 'माई नेम इज़ खान' और 'डॉन 2' पर भी तो विवाद जुड़े थे,'वजह' कोई न कोई निकाल कर ! 

सब बातों की एक बात है पहनावे पर विवाद हो ही क्यों ? अन्य कोई वाजिब वजह है भी तो सेंसर बोर्ड है ना, उसके विवेक पर छोड़ दीजिये। और सबसे बड़ी बात है व्यूअर्स के हवाले ही न होगी फिल्म, उन्हें निर्णय लेने दीजिये. 

लेखक

prakash kumar jain prakash kumar jain @prakash.jain.5688

Once a work alcoholic starting career from a cost accountant turned marketeer finally turned novice writer. Gradually, I gained expertise and now ever ready to express myself about daily happenings be it politics or social or legal or even films/web series for which I do imbibe various  conversations and ideas surfing online or viewing all sorts of contents including live sessions as well .

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