Pathaan की 3 आफत रिलीज हो रही हैं- अखंडा, द कश्मीर फाइल्स और मिशन मजनूं!
सिद्धार्थ मल्होत्रा की मिशन मजनूं की बहुत चर्चा नहीं हो रही है. जबकि पठान से पहले ओटीटी पर आ रही यह फिल्म किसी का भी खेल बिगाड़ने में सक्षम है. मिशन मजनूं असल में रॉ के जासूसों की सच्ची कहानी है. एक जासूस पाकिस्तान में क्या करता है. पठान में तो पाकिस्तान ही गायब है...
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इस बार रिपब्लिक डे वीक पर टिकट खिड़की पर जबरदस्त घमासान देखने को मिलेगा. एक घमासान सिनेमाघर और ओटीटी के बीच भी नजर आने ही वाला है. 19 जनवरी से 25 जनवरी के बीच कुल चार फ़िल्में रिलीज होंगी. इसमें से तीन सिनेमाघरों में और एक नेटफ्लिक्स के प्लेटफॉर्म पर आएगी. 19 जनवरी को द कश्मीर फाइल्स को दोबारा रिलीज किया जा रहा है. जबकि 20 जनवरी को एन बालकृष्ण की तेलुगु ब्लॉकबस्टर अखंडा को हिंदी में डबकर लाया जा रहा है. 20 जनवरी को नेटफ्लिक्स पर मिशन मजनूं स्ट्रीम होगी. 25 जनवरी को शाहरुख खान की पठान है. गांधी गोडसे एक युद्ध भी 26 जनवरी को आ रही है. इसमें मिशन मजनूं एक ऐसी फिल्म है जिसकी चर्चा नहीं की जा रही है. जबकि यह फिल्म अपने कॉन्टेंट की वजह से दर्शकों के दिलों पर राज करते दिख सकती है.
कितना, इसका अंदाजा ऐसे भी लगाए कि यूट्यूब पर शाहरुख की पठान के ट्रेलर पर अबतक 50 मिलियन व्यूज आए हैं. पठान की हाइप और पीआर जिस तरह से था- व्यूज में एक तरह से दर्शकों की नाराजगी ही दिख रही है. कहां तो उसके एक गाने पर विवाद की वजह से करोड़ों व्यूज आए. लेकिन ट्रेलर को देखना भी लोगों ने गंवारा नहीं किया. वहीं सिद्धार्थ मल्होत्रा की मिशन मजनूं का ट्रेलर भी पठान के आसपास ही आया और उसपर 35 मिलियन व्यूज हैं. जबकि यह फिल्म पठान की चर्चा कुचर्चा की वजह से बिल्कुल भी पब्लिक डिबेट में नहीं दिख रही है. बावजूद 35 मिलियन व्यू आना बहुत बड़ी बात है. इससे समझा जा सकता है कि मिशन मजनूं का दर्शकों में क्रेज तो है, मगर मीडिया पब्लिक बज बनाने से बच रही है. या उसका ध्यान ही नहीं जा रहा. क्यों, कुछ कहा नहीं जा सकता.
पठान की तरह मिशन मजनूं में कोई कन्फ्यूजन नहीं है
कायदे से देखा जाए तो मिशन मजनूं का कॉन्टेंट सीधे-सीधे पठान को हर लिहाज से नुकसान पहुंचाने वाला है. नुकसान इसलिए होने जा रहा कि दोनों फिल्मों की जमीन है तो एक जैसी, मगर उनकी बुनावट में धरती-आसमान का अंतर है. दोनों जासूसी कहानियां हैं. पठान को देसी कहानी बताया जा रहा है मगर उसमें भारत का कुछ भी नहीं दिखता. वहीं मिशन मजनूं में वह सबकुछ है, भारतीय दर्शकों को जो देखना अच्छा लगता है. पठान में भारत तो है, उसके दुश्मन हैं. देशभक्त हैं. लेकिन पठान का ट्रेलर देखकर समझ नहीं आता कि भारत का दुश्मन कौन है?
चीन और पाकिस्तान के रूप में भारत के दो परंपरागत शत्रु रहे हैं और इस्लामिक आतंकवाद भारत की पीठ पर खंजर से हमले करता रहा है. रूस भारत का मित्र देश है. मगर कुछ रिपोर्ट्स से पता चला है कि पठान में भारत का जासूस रूसी कैद में है. इसका मतलब है कि रूस को पठान में अमेरिकी तर्ज पर ही एनिमी नेशन के तौर पर दिखाया गया है. पठान का आतंकी भी मजहबी मकसद से भारत को लहूलुहान नहीं करता. बल्कि वह कॉरपोरेट टेररिस्ट है और पैसों के लिए भारत पर हमले करता है.
मिशन मजनूं का एक दृश्य.
मिशन मजनूं में इस तरह की राजनीति नहीं है. यह फिल्म सच्ची घटनाओं से प्रेरित है. पाकिस्तान में भारत के जासूसों की सच्ची कहानी दिखाती है. असल में मिशन मजनू एक कवर्ट ऑपरेशन का कोड नेम है. रा का एक जासूस पाकिस्तान में घुसता है. भारत के लिहाज से जरूरी सूचनाएं निकालता है. वह वहां प्यार करता है, शादी करता है. और ढेरों सूचनाएं बाहर निकालकर लाता है जो देश के काम आती हैं. वह तमाम जोखिमों से होकर गुजरता है. कहने की बात नहीं कि एक जासूस की सच्ची कहानी में किस तरह के थ्रिल का एक्सपीरियंस दर्शकों को मिलने जा रहा है. मिशन मजनूं की कहानी आलिया भट्ट की ब्लॉकबस्टर राजी की तरह ही प्रभावशाली दिख रही है.
शायद यही वजह है कि दर्शकों ने इसे खूब प्यार भी दिया है. शेरशाह के बाद सिद्धार्थ मल्होत्रा देशभक्ति फिल्म में जोरदार भूमिका निभाते नजर आ रही हैं. ट्रेलर में कुछ दृश्य अकल्पनीय हैं. मगर उन्हें उसी तरह फिल्माया गया है आमतौर पर चीजें जैसे होती हैं. पठान का ट्रेलर देखने वालों को बताने की जरूरत नहीं कि वह हॉलीवुड से प्रेरित कहानी है जो भारतीय दर्शकों के आसपास तो नजर नहीं आती. हो सकता है कि शाहरुख ओवरसीज स्टार हैं और उन्होंने ओवरसीज ऑडियंस की जरूरत का ध्यान रखते हुए एक इंटरनेशनल फिल्म बनाई हो.
मिशन मजनूं का ट्रेलर यहां देख सकते हैं:-
पठान पर भारी क्यों पड़ सकती है मिशन मजनूं
इसकी दो बड़ी वजहें हैं. पहली तो यह कि मिशन मजनूं का अंदाज पूरी तरह देसी और भारतीय है. मिशन मजनूं बॉलीवुड से आई वैसी ही देशभक्ति फ़िल्में हैं जैसे हकीकत, बॉर्डर और राजी जैसी फ़िल्में हैं. इसमें कोई इफ बट नहीं कि मिशन मजनूं का कॉन्टेंट पठान से हर मायने में दर्शकों से ज्यादा कनेक्ट होता नजर आ रहा है. पठान पर किसके भारी पड़ने की दूसरी बड़ी वजह सिनेमाघरों की बजाए ओटीटी पर स्ट्रीम होना है. यानी बहुत कम खर्च में दर्शक अपने घर में ही रिपब्लिक डे पर एक बेहतरीन फिल्म देख सकते हैं. मिशन मजनूं में जिस तरह के थ्रिलिंग एलिमेंट हैं- अगर उसने क्लिक किया तो फिल्म के पक्ष में भारी वर्ड ऑफ़ माउथ बनेगा. और यह दर्शकों को पठान के लिए सिनेमाघर जाने से रोक दे. वैसे भी सिनेमाघर में पठान के सामने और भी फ़िल्में हैं और उसे दर्शक तो बांटने ही पढ़ेंगे. हालांकि यह बंटवारा कितना और किस स्तर पर होगा अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी.
लग रहा है कि सिद्धार्थ मल्होत्रा मिशन मजनूं के जरिए एक बड़ी सफलता अर्जित कर सकते हैं. मिशन मजनूं में सिद्धार्थ के साथ रश्मिका मंदाना की जोड़ी है. फिल्म में परमीत सेठी, शरीब हाशमी, मीर सरवर, कुमुद मिश्रा, अर्जन बाजवा, और राजित कपूर जैसे दिग्गज कलाकार हैं. फिल्म का निर्देशन शांतनु बागची ने किया है और इसे रोनी स्क्रूवाला के बैनर ने प्रोड्यूस किया है. रोनी स्क्रूवाला एंटरटेनिंग फ़िल्में बनाने के लिए मशहूर हैं.
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