The Kashmir Files: जब PM ने प्रमोट कर ही दिया तो कपिल शर्मा शो की और उसके बायकाट की क्या जरूरत?
The Kashmir Files को लेकर जिस तरह चर्चा देखने को मिल रही है हाल फिलहाल किसी फिल्म के पक्ष में ऐसा माहौल नजर नहीं आया. कई बड़े पॉलिटिकल चेहरे फिल्म का प्रचार करते दिख रहे. ट्विटर पर कपिल शर्मा निशाने पर हैं.
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90 के दशक में जम्मू और कश्मीर में हिंदू-सिखों के सामूहिक नरसंहार पर शायद ही कभी पब्लिक के बीच इस तरह चर्चा दिखी हो जैसा कि द कश्मीर फाइल्स की रिलीज के बाद नजर आ रहा है. सोशल मीडिया पर हर कोई फिल्म के पक्ष में तर्क देता नजर आ रहा है. कई लोग निशाने पर हैं, जिसमें वामपंथी अकादमिक, कुछ समीक्षक, सिनेमा एग्जिबिटर और कथित रूप से बॉलीवुड का लेफ्ट लिबरल गैंग भी. सबसे ज्यादा निशाने पर नजर आ रहे कपिल शर्मा. ट्विटर पर तो बाकायदे कपिल की खिलाफत करने वाले हैशटैग पिछले कुछ दिनों से नजर आ रहे हैं.
आज भी तमाम हैश टैग के साथ #BoycottKapilSharma टॉप ट्रेंड में दिखा. दरअसल, जब से द कश्मीर फाइल्स के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने ट्विटर पर आरोप लगाया कि कपिल ने शो में उनकी फिल्म प्रमोट करने से मना कर दिया. तभी से कपिल के खिलाफ लोगों का गुस्सा नजर आ रहा है. हालांकि कपिल ने ट्वीट कर सफाई दी और आरोपों को एकतरफा कहानी करार दिया.
इस बीच विवेक अग्निहोत्री, पल्लवी जोशी और द कश्मीर फाइल्स की टीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की. तस्वीरें भी सामने आई हैं. कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने पूरी टीम को शुभकामनाएं दी हैं. एक दिन पहले आई तस्वीरों और मात्र 14 करोड़ से कम बजट में बनी फिल्म के जबरदस्त कारोबारी आंकड़ों ने सोशल मीडिया पर लोगों को आक्रामक बना दिया है. कई तो सोनी के ऐप डिलीट करने की मुहिम भी चलाते दिख रहे हैं.
नरेंद्र मोदी और द कश्मीर फाइल्स के मेकर्स.
अब तो लोग कहते नजर आ रहे कि जिसका प्रमोशन प्रधानमंत्री मोदी ने कर दिया उसे किसी ऐरे गैर कपिल शर्मा की जरूरत नहीं है. एक यूजर ने लिखा- कपिल शर्मा हमें आपसे यह उम्मीद नहीं थी. आपने बहुत मेहनत और संघर्ष से लोगों का आदर और सम्मान हासिल किया था. द कश्मीर फाइल्स पर आप चीजों को समझने में चूक गए. फिल्म को आपके समर्थन की जरूरत नहीं है. उसे खुद मोदी जी ने प्रमोट कर दिया. अब आपके शो को बाय कहने का वक्त आ गया है. कुछ ने तो यहां तक लिखा कि द कश्मीर फाइल्स को कपिल के शो पर प्रमोशन की दरकार ही नहीं है. उसे तो देश का हर सनातनी पहले से ही प्रमोट कर रहा है. कपिल के खिलाफ हजारों की संख्या में ट्वीट देखे जा सकते हैं.
मीडिया, कुछ समीक्षकों पर भी गुस्सा
ट्विटर और दूसरे सोशल प्लेटफॉर्म पर दर्जनों ट्रेंड देखें जा सकते हैं जिसमें मीडिया और फिल्म की निगेटिव समीक्षा करने वालों पर भी प्रहार किया गया है. ख़ासकर लोगों का गुस्सा फिल्म Film Companion की फाउंडर एडिटर और निर्माता-निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा की पत्नी अनुपमा चोपड़ा पर निकल रहा है.अनुपमा फिल्मों की समीक्षाएं करती हैं. द कश्मीर फाइल्स पर प्रोपगेंडा होने का उनका आंकलन लोगों को पसंद नहीं आ रहा.
लोग आरोप लगा रहे कि अनुभव सिन्हा की 'मुल्क' जिसमें एक काल्पनिक कहानी है उसे अनुपमा के प्लेटफॉर्म पर मास्टरपीस बताया जाता है लेकिन दूसरी फिल्म जो ऐतिहासिक तथ्यों पर है और कुछ साल पहले की ही घटना है- उसे प्रोपगेंडा बता रहे. यह बॉलीवुड की सोच को दर्शाता है. इसी सोच की वजह से द कश्मीर फाइल्स को आने में 32 साल लग गए. कितनी शर्मनाक बात है कि कश्मीर के सच को स्वीकार करने में लोगों को परेशानी होती है. लोगों ने IMDb, बुक माई शो और दूसरे इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर फिल्म को मिल रही लाइक्स के डेटा साझा करते बताया कि लोग अनुपमा जैसों की राय से चीजें तय नहीं होती. इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स पर फिल्म को जबरदस्त लाइक्स मिलते देखा जा सकता है.
अब तक शिवराज सिंह चौहान से लेकर कई राजनीतिक हस्तियों ने द कश्मीर फाइल्स की जमकर तारीफ़ की है.
द कश्मीर फाइल्स का एक दृश्य.
यासीन मलिक की वजह से मनमोहन सिंह अरुंधती राय भी निशाने पर
कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे यासीन मलिक की वजह से मनमोहन सिंह और अरुंधती राय पर निशाना साधा जा रहा है. यासीन मलिक पर आरोप है कि उसने दर्जनों हत्याएं कि बावजूद कश्मीर की सच्चाई को बाहर नहीं आने दिया गया. यासीन मलिक नाम के आतंकी को गांधीवादी के रूप में स्थापित करने की कोशिशें हुई. मनमोहन उसके साथ बैठते थे. हाथ मिलाते थे. उसे गेस्ट बनाकर बुलाया जाता था. एक आतंकी में सबको शांतिदूत नजर आता था. अरुंधती राय वामपंथी जमात का नेतृत्व करती हैं जो कश्मीर में आतंक को जायज ठहराने का कोई मौका गंवाना नहीं चाहती. इन लोगों की नजर में द कश्मीर फाइल्स प्रोपगेंडा है और यासीन मलिक समेत तमाम आतंकी गांधीवादी.
क्या है फिल्म की कहानी?
विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, पल्ल्वावी जोशी और दर्शन कुमार ने जबरदस्त अभिनय किया है. फिल्म की कहानी एक कश्मीरी बुजुर्ग की है जो आतंकी नरसंहार में सिर्फ अपने पोते को बचा पाया. घाटी में खुशहाल जिंदगी जी रहा बुजुर्ग दिल्ली में शरणार्थी बन जाता है. हालांकि वह एक दिन घाटी लौटने का सपना देखता है जो अधूरा ही रह जाता है. उसका पोता उसकी अस्थियों को लेकर घाटी जाता है कश्मीर को लेकर जिसकी राय अपने दादा से बिल्कुल उलट है. घाटी पहुंचने पर वह जो कुछ देखता सुनता है- आतंकवाद, नरसंहार, राजनीतिक मनोदशा, तुष्टिकरण, वाम चिंतकों की धारणाओं को लेकर उसका नजरिया बदल जाता है.
दावा किया जा रहा है कि फिल्म में उन सच्चाइयों को पहली बार दिखाया गया है जिन्हें कभी भी दिखाने या बताने में संकोच किया जाता था. दर्शक फिल्म को पसंद कर रहे हैं. पहले दो दिन में ही द कश्मीर फाइल्स ने 12 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली है. रविवार को फिल्म 2000 से ज्यादा स्क्रीन्स पर है. संभावना है कि तीसरे दिन फिल्म की कमाई सारे रिकॉर्ड तोड़कर रख देगी.
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