Priyanka Chopra को कथनी-करनी में फर्क के लिए ट्रोल करने वाले कुछ सच जान लें
किसी पर उंगली उठाना बहुत आसान होता है. लेकिन उसके जैसा बनना उतना ही मुश्किल. प्रियंका चोपड़ा एक इंटरनेशनल सेलिब्रिटी हैं. कुछ लोग कह रहे हैं कि वह प्रचार पाने के लिए रंगभेद का मुद्दा उठा रही हैं, लेकिन देसी गर्ल की जर्नी और उनका संघर्ष प्रेरणादायी है.
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हमेशा सुर्खियों में रहने वाली फिल्म एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा इन दिनों ट्रोलर्स के निशाने पर हैं. उनका कहना है कि प्रियंका की कथनी और करनी में बहुत अंतर है. वह अपने फायदे के लिए ही कुछ कहती और करती हैं. बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक अपनी एक्टिंग का डंका बजाने वाली देसी गर्ल से लोग आखिर इतना ट्रोल क्यों कर रहे हैं? दरअसल प्रियंका चोपड़ा ने एक इंटरव्यू में कहा कि अपने करियर के शुरूआती दिनों में एक फेयरनेस क्रीम का ऐड करने पर उन्हें आजतक पछतावा होता है. उन्हें ऐसा ऐड नहीं करना चाहिए था. पहले वह भी रंगभेद मानती थीं. उनको सगता था कि डार्क स्किन सुंदर नहीं होती. वह बचपन में इसका शिकार भी बनीं, लेकिन अब उन्हें लगता है कि यह सब गलत था.
देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा हो चुकी हैं रंगभेद का शिकार
प्रियंका चोपड़ा के मुताबिक, सांवली होने की वजह से बचपन में उनको बहुत परेशानी झेलनी पड़ी. उनके चचेरे भाई-बहन उन्हें काली कहकर बुलाते थे. यह उनको बहुत बुरा लगता था. इसलिए खुद को गोरा दिखाने के लिए वह बचपन मे चेहरे पर टैल्कम-पाउडर क्रीम लगाती थी. तब उनका मानना था कि सांवला रंग सुंदर नहीं होता है. प्रियंका ने बताया, 'मेरे सभी कज़िन गोरे-चिट्टे हैं. मैं ही सांवली पैदा हो गई. क्योंकि मेरे पिताजी सांवले हैं. मेरे पंजाबी परिवार वाले मुझे 'काली-काली' कहकर चिढ़ाते थे. इस वजह से 13 साल की उम्र में मैं फेयरनेस क्रीम लगाना चाहती थी और चाहती थी कि मेरा रंग बदल जाए. सोसाइटी का हमेशा दबाव रहा है कि खूबसूरती का पैमाना गोरा रंग ही हो.'
रंगभेद को लेकर प्रियंका की कही हर बात सही है. लेकिन इसके बावजूद लोग एक्ट्रेस को ट्रोल क्यों कर रहे हैं? यह बड़ा सवाल है. दरअसल प्रियंका चोपड़ा की एक किताब आने वाली है, जिसका नाम है 'अनफिनिश्ड'. इस किताब में एक्ट्रेस ने अपने जीवन और करियर की कई घटनाओं और उनके आंकलन के बारे में विस्तार से बताया है. उनकी यह किताब फरवरी में रिलीज होने वाली है. इसी किताब से संबंधित एक इंटरव्यू के दौरान प्रियंका ने ये बातें कही हैं. इस पर ट्रोलर्स का कहना है कि उनकी किताब अधिक से अधिक बिक सके, इसके प्रचार के लिए जानबूझकर प्रियंका इस तरह की बातें कर रही हैं. ताकि लोगों के बीच में इस पर चर्चा हो और इसी बहाने उनकी किताब के बारे में लोग जान सकें.
व्यापार और प्रचार के लिए दिया बयान?
ट्रोल करने वाले इतने पर ही नहीं रुकते, प्रियंका के पिछले कई उदाहरण भी सामने रख रहे हैं. सोशल मीडिया पर एक यूजर अभिषेक कुमार लिखते हैं, 'प्रियंका ने दिवाली के समय भी कहा था कि पटाखे मत फोड़ो. इससे प्रदूषण बढ़ता है. लेकिन अपनी शादी में उन्होंने जमकर पटाखे फोड़े. तब क्या प्रदूषण नहीं बढ़ा? इतना ही नहीं प्रदूषण की वजह से वह अस्थमा जैसी बीमारी के बढ़ने की बात कहती रही हैं, लेकिन अपनी शादी के बाद पति निक जोनस के साथ सिगरेट पीती नजर आईं. तब क्या उनको अस्थमा के मरीजों की चिंता नहीं हुई. कुछ बड़ी सेलिब्रिटी केवल अपने व्यापार और प्रचार को ध्यान में रखकर बयान जारी करते हैं. इनको वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं होता. प्रियंका भी अपने किताब का प्रचार कर रही हैं.'
रंगभेद की वजह से नहीं मिला काम
Twitter पर कुछ लोग प्रियंका चोपड़ा के इन बयानों को Selective Activism की संज्ञा दे रहे हैं. लोगों का कहना है कि चुनिंदा मुद्दों पर ही ऐसे सेलेब्स के बयान आते हैं. रंगभेद चूंकि एक इंटरनेशनल लेवल का मुद्दा है, अमेरिका में इस पर लगातार चर्चा होती रहती है. ऐसे में जानबूझकर एक्ट्रेस ने रंगभेद का राग छेड़ा है. वैसे बहुत कम लोगों को पता है कि प्रियंका लगातार इस विषय पर बोलती आई हैं. पहले भी एक बार प्रियंका ने कहा था कि रंगभेद की वजह से उनको एक हॉलीवुड फिल्म में काम नहीं मिला. उनके मैनेजर को बताया गया कि प्रियंका फिल्म के लिए फिट नहीं हैं. इसकी वजह उनकी फिजिकैलिटी बताई गई. बाद में पता चला कि फिजिकैलिटी का मतलब शारीरिक संरचना से होता है. खासकर स्किन कलर के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र की गुडविल एंबेसडर
खैर, अभिव्यक्ति का अधिकार हर किसी के पास है. इसलिए जिसे जो कहना है वो कह सकता है. लेकिन सही मायने में प्रियंका चोपड़ा सामाजिक मुद्दों पर हमेशा अपनी आवाज बुलंद करती रही हैं. वर्तमान में चल रहा किसान आंदोलन हो या महिलाओं से जुड़ा कोई भी मुद्दा, वह अपनी राय जरूर रखती हैं. जबकि अमिताभ बच्चन जैसे बड़े सेलिब्रिटी विवाद के डर से ऐसे मुद्दों पर कुछ भी कहने और लिखने से परहेज करते हैं. प्रियंका पिछले एक दशक से अधिक समय से यूनीसेफ से जुड़ी हुई हैं. वह महिलाओं और बच्चों से जुड़ी समस्याओं पर काम कर रही हैं. इतना ही नहीं उनको संयुक्त राष्ट्र का गुडविल एंबेसडर भी चुना गया है. यूएन के गुडविल एंबेसडर डेविड बेकहम ने खुद इसकी घोषणा की थी. जैकी चैन, एंजेलीना जोली और एन हैथवे गुडविल एंबेसडर रह चुके हैं. प्रियंका चोपड़ा Breathfree की ब्रांड अंबेसडर भी हैं. यह अस्थमा से जुड़ा एक कैंपेन है. इसी कैंपेन के तहत प्रियंका ने दीवाली से जुड़ा वीडियो शेयर किया था.
अपनी कमजोरी को बनाया हथियार
प्रियंका चोपड़ा ने खुद बताया कि बचपन में वह सांवली थीं. इसलिए लोग उन्हें चिढाते थे. फिर भी अपनी मेहनत और टैलेंट के दम पर वह मिस वर्ल्ड बनीं. इसके बाद बॉलीवुड में एक के बाद एक हिट फिल्में दिया. 'देसी गर्ल' के रूप में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई. बॉलीवुड ही नहीं हॉलीवुड तक उनके अभिनय का जादू बोलता है. जिस बॉलीवुड में रंग की वजह से उनको फिल्म नहीं मिली, आज उसी हॉलीवुड में उन्हें 'ब्राउनी गर्ल' के रूप में जाना जाता है. प्रियंका बॉलीवुड के उन चुनिंदा कलाकारों में शामिल हैं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा के दायरे से निकलकर अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा में अपनी पहचान कायम की है. फिल्म इंडस्ट्री में उनके 15 साल पूरे हो चुके हैं. साल 2003 में अनिल शर्मा की फिल्म 'द हीरो' से अपना फिल्मी करियर शुरू करने वाली प्रियंका ने हाल ही में हॉलीवुड फिल्म 'टेक्स्ट फॉर यू' की शूटिंग पूरी की है. उनकी शादी अमेरिका के मशहूर सिंगर निक जोनस हुई साल 2018 में हुई थी.
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