PS 2 Movie Public Review: जानिए फिल्म 'पोन्नियिन सेल्वन' का दूसरा पार्ट कैसा है?
PS 2 Movie Public Review in Hindi: मणि रत्नम की फिल्म 'पोन्नियिन सेल्वन' का दूसरा पार्ट 'पीएस 2' को सिनेमाघरों में रिलीज कर दिया गया है. इस फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन, विक्रम, कार्ति, जयम रवि, तृषा, शोभिता धूलिपाला, ऐश्वर्य लक्ष्मी, शरत कुमार और प्रकाश राज लीड रोल में हैं. आइए जानते हैं कि फिल्म कैसी है?
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दिग्गज फिल्मकार मणि रत्नम की फिल्म 'पोन्नियिन सेल्वन' का दूसरा पार्ट 'पीएस 2' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुका है. चोल साम्राज्य के इतिहास पर आधारित इस फिल्म की कहानी को कल्कि कृष्णमूर्ति के उपन्यास 'पोननियन सेल्वन' से लिया गया है, जिसे 1955 में प्रकाशित किया गया था. फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन, विक्रम, कार्ति, जयम रवि, तृषा, शोभिता धूलिपाला, ऐश्वर्य लक्ष्मी, शरत कुमार और प्रकाश राज लीड रोल में हैं.
फिल्म की पटकथा और संवाद मणि रत्नम ने बी जयमोहन और ई कुमारवेल के साथ मिलकर लिखी है. इस फिल्म को देखने के बाद दर्शकों और समीक्षकों की तरह सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है. सभी लोग एक सुर में विक्रम, ऐश्वर्या राय बच्चन और तृषा की दमदार एक्टिंग की तारीफ कर रहे हैं. हालांकि, फिल्म के पहले हिस्से में कहानी की धीमी रफ्तार कुछ लोगों को अखर भी रही है. लेकिन ओवरऑल फिल्म लोगों को पसंद आ रही है.
मणि रत्नम की फिल्म 'पोन्नियिन सेल्वन' का दूसरा पार्ट 'पीएस 2' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुका है.
ट्विटर पर एक यूजर मनीष मीना ने लिखा है, ''ये भारतीय सिनेमा पर गर्व करने का समय है. टॉलीवुड फैंस माफ करना. पोन्नियिन सेल्वन ओवर रेटेड बाहुबली 2 से कहीं ज्यादा बेहतर है. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुनामी लाने जा रही है." दूसरे यूजर अनंतथन ने लिखा है, "एक शब्द में पोन्नियिन सेल्वन का रिव्यू है, विनर. निर्देशक मणिरत्नम ने कमाल का सिक्वेल बनाया है. चियान विक्रम और ऐश्वर्या राय बच्चन फिल्म के हाईलाइट हैं. फिल्म की पूरी स्टार कास्ट ने बेहतरीन काम किया है. म्यूजिक, सिनेमेटोग्राफी और आर्ट वर्क टॉप नॉच है. ओवरऑल पोन्नियिन सेल्वन 2 एक अच्छी पीरियड ड्रामा फिल्म है."
गूगल मूवी रिव्यू में श्याम प्रसाद ने फिल्म को 5 में से 4 स्टार देते हुए लिखा है, ''कल्कि का उपन्यास के किरदार बेहतरीन दृश्यों, हाई-ऑक्टेन एक्शन और शानदार ड्रामे के बीच जीवंत हो उठे हैं. पोन्नियिन सेल्वन के इस शानदार समापन भाग में कभी भी नीरस नहीं होना पड़ता है. मणिरत्नम को अपने शिल्प के उस्ताद के रूप में किसी को कुछ भी साबित करने की आवश्यकता नहीं है. रवि वर्मन की सिनेमैटोग्राफी ऐसी है जैसे कि सेल्युलाइड पर किसी ने कविता लिखी है. फिल्म की भव्यता में उन्होंने अपनी सिनेमैटोग्राफी से चार चांद लगा दिया है. फिल्म एआर रहमान का म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर शानदार है.
अरविंद रामकृष्णन ने लिखा है, ''मेरे द्वारा देखी गई अभी तक कि सभी फिल्मों में पोन्नियिन सेल्वन सबसे भव्य है. शानदार कैमरावर्क, दृश्य निर्माण और विज़ुअलाइज़ेशन मणि सर को उनके सबसे अच्छे रूप में दिखाते हैं. इसमें जीनियस एआर रहमान का पूरा सहयोग मिला है. सभी कलाकारों ने शानदार अभिनय किया है. मणि रत्नम ने कॉमर्शियल फिल्मों की बाध्यता को छोड़ते हुए पूरे साहस के साथ फिल्म का निर्माण किया है. यदि कमी की बात की जाए तो केवल कुछ किरदार ऐसे हैं, जिनके होने य़ा न होने से फिल्म पर कोई फर्क नहीं पड़ता. कुल मिलाकर, एक मस्ट वॉच मास्टरपीस जो मणिरत्नम की विरासत को आगे बढ़ाती है.
ऐश्वर्या महादेवन लिखती हैं, ''फिल्म निश्चित रूप से शानदार है और कैमरे के सामने और पीछे सभी के प्रयासों को दिखाती है. अभिनेताओं ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है. ऐश्वर्या राय और विक्रम ने तो अपनी अद्भुत अदाकारी से समां बांध दिया है. दर्शकों के रूप में हमें यह समझने की जरूरत है कि पीएस 2 अलग-अलग 5 किताबों पर आधारित है. ऐसे में व्यापक कहानी और कई पात्रों के साथ फिल्म बनाना एक चुनौती वाला काम है, जिसे मणि रत्नम ने बखूबी किया है. एक पाठक के रूप में आप इतने सारे पात्रों के साथ भ्रमित हो जाते हैं. इसके अलावा, हजारों साल पहले मौजूद राजवंशों पर शोध करना कोई आसान काम नहीं है.''
वरिष्ठ फिल्म पत्रकार पंकज शुक्ल ने लिखा है, ''फिल्म ‘पोन्नियिन सेल्वन 2’ की अपनी कमजोरियां भी हैं और अपनी खूबियां भी. कमजोरियां फिल्म की ये हैं कि ये इंटरवल से पहले के हिस्से में काफी सुस्त चाल से चलती है. मणि रत्नम की ये अपनी खास शैली है. वह कथा के पूर्ण अंकुरण में विश्वास रखते हैं. कोपलें निकलने के बाद ही उस पर मौसम और वातावरण की मार करते हैं. फिल्म पोन्नियिन सेल्वन के दोनों भाग सिर्फ और सिर्फ ऐश्वर्या राय बच्चन के लिए भी देखे जा सकते हैं. इस फिल्म के जरिए ऐश्वर्या का एक नया जन्म है. विक्रम अपने रौद्र, क्रोध और उद्वेग से अपनी पहचान छोड़ने में सफल रहते हैं. उनका संवेग उनके अभिनय को गतिमान बनाता है. जयम रवि और कार्ति के पास इस बार कुछ कर दिखाने का मैदान बचा नहीं है. रवि वर्मन की सिनेमैटोग्राफी लाजवाब है. उन्होंने कैमरे से करिश्मा किया है.''
फिल्म समीक्षक अमित भाटिया ने लिखा है, ''ये फिल्म उन दर्शकों को बहुत पसंद आएगी जो इस कहानी के बारे में जानते हैं.जिन्होंने इसके बारे में पढ़ा है, लेकिन जिन्हें इस नॉवेल के बारे में नहीं पता वो कन्फयूज होंगे. फिल्म के सीन तो आप एन्जॉय करेंगे लेकिन शायद कहानी को आपस में जो़ड़ नहीं पाएंगे. फिल्म ग्रैंड लगती है. लोकेशन्स शानदार हैं. किरदार अच्छे लगते हैं. डायलॉग जबरदस्त हैं लेकिन फिर भी आप कहानी समझने में लगातार स्ट्र्गल करते हैं. मणिरत्नम का डायरेक्शन अच्छा है. फिल्म को ग्रैंड बनाने में मणिरत्नम ने कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन कहानी कहने का तरीका हिंदी दर्शकों के लिए थोड़ा और सिंपल होना चाहिए था. ये फिल्म उन्हें ही ठीक से समझ आएगी जो चोल साम्राज्य के बारे में पहले से पढ़कर जाएंगे लेकिन फिल्म देखने से पहले किताब कौन पढ़ता है. ये मणि रत्नम को समझना चाहिए था.''
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