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Updated: 17 अप्रिल, 2022 01:33 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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बॉक्स ऑफिस पर साउथ सिनेमा की सुनामी चल रही है. खासकर के हिंदी बेल्ट में साउथ सिनेमा की फिल्में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं. अल्लू अर्जुन की फिल्म 'पुष्पा: द राइज' की आंधी के बीच रिलीज हुई एसएस राजमौली की फिल्म 'आरआरआर' ने तूफान ला दिया. 'आरआरआर' के तूफान के बीच अब रॉकिंग स्टार यश की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'केजीएफ चैप्टर 2' की सुनामी चल रही है. पहले 'पुष्पा: द राइज' ने हिंदी वर्जन से 108 करोड़ रुपए की कमाई की, तो 'आरआरआर' ने महज सात दिनों में ही 134 करोड़ रुपए कमा डाले. फिल्म ने हिंदी बेल्ट से अभी तक 250 करोड़ रुपए से ज्यादा का कलेक्शन कर लिया है. इसका वर्ल्डवाइड कलेक्शन तो 1000 करोड़ रुपए के पार जा चुका है. वहीं, 'केजीएफ 2' ने रिलीज के बाद महज तीन दिन में 290 करोड़ की कमाई की है, जिसमें ओपनिंग डे का कलेक्शन 134.5 करोड़ रुपए था. इसमें हिंदी बेल्ट से 54 करोड़ रुपए की कमाई हुई है.

साउथ की इन तीनों फिल्मों की कमाई के आंकड़े को देखने से साफ पता चलता है कि ये फिल्में महज साउथ में ही नहीं बल्कि नॉर्थ के राज्यों में भी खूब देखी जा रही हैं. वहीं, इनके मुकाबले बॉलीवुड फिल्मों का हाल बहुत खस्ता है. 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी कुछ फिल्मों को छोड़ दिया जाए, तो बॉलीवुड की कई फिल्मों को अपनी लागत निकालना तक मुश्किल रहा है. यही वजह है कि ज्यादातर फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को बेंच दी जा रही हैं. अक्षय कुमार जैसे कुछ अभिनेता हिम्मत करके अपनी फिल्में सिनेमाघरों में रिलीज तो कर रहे हैं, लेकिन उनको वैसा रिस्पांस नहीं मिल रहा है, जैसा कि अपेक्षित है. वरना एक जमाना था जब बॉलीवुड की फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर नए-नए रिकॉर्ड बनाती थी. लोगों बड़े चाव हिंदी फिल्में देखा करते थे. हिंदी फिल्म स्टार का गजब का स्टारडम था. लेकिन साउथ सिनेमा की पॉपुलैरिटी के आगे इस वक्त हर कोई फीका नजर आ रहा है.

rrr_650_041622114526.jpg साउथ की इन 3 फिल्मों की सफलता की 3 अहम वजहें क्या हैं, आइए इसे समझते हैं...

1. मजबूत नायक

'पुष्पा: द राइज', 'आरआरआर' और 'केजीएफ 2' जैसी फिल्मों की सफलता के पीछे सबसे पहला कारण ये हैं कि इनका नायक बहुत मजबूत है. फिल्म 'पुष्पा: द राइज' की कहानी पुष्पा राज नामक किरदार के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे अल्लू अर्जुन ने निभाया है. उनके अनोखे अंदाज और व्यवहार ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है. इसी तरह राजामौली की फिल्म 'आरआरआर' में दो मजबूत केंद्रीय पात्र कोमाराम भीम और अल्लूरी सीताराम राजू हैं, जिन्हें जूनियर एनटीआर और राम चरण ने निभाया है. दोनों ही किरदार फिल्म की जान है, क्योंकि फिल्म की पूरी कहानी इन्हीं के आसपास बुनी गई है.

इसी तरह फिल्म 'केजीएफ चैप्टर 2' की कहानी रॉकी भाई के किरदार की जिंदगी पर आधारित है, जिसे रॉकिंग स्टार यश ने निभाया है. इन तीनों ही फिल्मों के मुख्य किरदारों में नजर डालने पर ये समझ आता है कि इनके किरदार जितने मजबूत हैं, उतने ही मजबूत उनको निभाने वाले कलाकार भी हैं. जैसे कि फिल्म 'बाहुबली' में यदि अभिनेता प्रभास की जगह कोई भी दूसरा कलाकार होता को शायद ही हो बाहुबली बन पाता. इस तरह नायक-उन्मुख ये फिल्में हिंदी दर्शकों को एक नए तरह का सिनेमा देखने का अनुभव दे रही है, जिसमें उनको आनंद भी बहुत आ रहा है. इस वजह से बड़ी संख्या में दर्शक सिनेमाघरों तक खींचे चले आ रहे हैं.

2. भव्य सिनेमा

सही मायने में साउथ सिनेमा ने ही सिनेमा की भव्यता से दर्शकों को परिचित कराया है. वरना इससे पहले रोमांटिक और एक्शन फिल्मों के नाम पर बॉलीवुड की तरफ से कूड़ा परोसा जा रहा था. इससे दर्शक ऊब गया था और विकल्प की तलाश कर रहा था. उसे सबसे ओटीटी के जरिए वैकल्पिक सिनेमा तो जरूर मिला, लेकिन थियेटर में बैठकर बड़े पर्दे पर फिल्में देखने का सुख नहीं मिला. इसी बीच साउथ की फिल्मों ने इस खाली जगह को पाट करके अपने लिए एक नया स्थान बना लिया है. 'पुष्पा: द राइज', 'आरआरआर' और 'केजीएफ 2' जैसी साउथ सिनेमा की फिल्मों को फिल्म 'बाहुबली' की तरह बड़े कैनवास पर शूट किया गया है. इन फिल्मों खासकर 'आरआरआर' और 'केजीएफ 2' की भव्यता ने बड़ी संख्या में दर्शकों को आकर्षित किया है. कोरोना काल में जिस तरह से इन फिल्मों की कमाई हो रही है, उसी को देखते हुए उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है.

3. कमर्शियल एंटरटेनर

हिंदी सिनेमा के जरिए बॉलीवुड दर्शकों के लिए ज्यादातर अर्बन कंटेंट परोस रहा था. यही हाल ओटीटी पर भी था. यहां ओरिजनल कंटेंट के नाम पर कई बार बॉलीवुड का बासी माल खपा दिया जाता था. ऐसे में दर्शक पैसा वसूल मनोरंजन के लिए तरस रहा था. इसी बीच साउथ सिनेमा के रूप में दर्शकों के लिए नया विकल्प मिला, जिसे उन्होंने हाथों-हाथ लपक लिया. कमर्शियल एंटरटेनर फिल्म 'पुष्पा: द राइज', 'आरआरआर' और 'केजीएफ 2' के जरिए हिंदी पट्टी के दर्शकों बेहतर सिनेमा देखने का अनुभव मिला है. हिंदी फिल्मों की कहानी में ज्यादातर दोहराव देखने को मिलता है या फिर रीमेक और बॉयोपिक फिल्मों के जरिए सुनी सुनाई देखी कहानी को परोसने का प्रचलन बन गया था. सही मायने में कहें तो बॉलीवुड फार्मूला बेस्ड फिल्में बनाने में महारत हासिल कर लिया था. लेकिन साउथ फिल्म इंडस्ट्री ने अपने कंटेंट और ट्रीटमेंट के जरिए दर्शकों के सिनेमा का स्वाद ही बदल दिया है.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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