Raksha Bandhan Trailer Review: अक्षय के 'अभिनय' जैसा निकला फिल्म का ट्रेलर
अक्षय कुमार की फिल्म 'रक्षा बंधन' का ट्रेलर लॉन्च कर दिया गया है. जैसे कि अक्षय का अभिनय, जो कि इन दिनों उनकी हर फिल्म में देखने को मिल रहा है. अधिक फिल्में करने के दबाव में वो एक कैरेक्टर से निकलकर दूसरे को अपना ही नहीं पाते हैं. इसलिए उनके अभिनय में दोहराव दिखता है. एक जैसा हाव-भाव दिखता है. चाहे वो बच्चन पांडे बनें या फिर सम्राट पृथ्वीराज चौहान.
-
Total Shares
आनंद एल राय के निर्देशन में बनी अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर स्टारर 'रक्षा बंधन' का ट्रेलर दिल्ली में आयोजित एक बहुत बड़े इवेंट में लॉन्च किया गया. पहली नजर में ट्रेलर हर किसी को पसंद आ रहा है. इसे देखने के बाद कुछ लोग खुशी जता रहे हैं कि अक्षय अपने पसंदीदा श्रेणी में वापस लौट आए हैं. एक्शन, कॉमेडी और मसाला फिल्में उन पर सूट करती है, जो कि 'रक्षा बंधन' के ट्रेलर में देखने को मिल रहा है. इसमें फैमिली ड्रामा, इमोशन और सोशल मैसेज सहित वो सारे तत्व मौजूद हैं, जो कि आनंद एल राय की फिल्मों के पहचान रहे हैं, लेकिन फिल्म का स्तर वो नहीं दिख रहा है, जो कि साउथ सिनेमा की फिल्मों से दूर-दूर तक मुकाबला कर पाए. एक बेहद साधारण कहानी, सामान्य स्टारकास्ट और अक्षय का हर फिल्म में लगभग एक जैसा अभिनय, इस फिल्म को जबरदस्त बनाने से रोकता है.
'सम्राट पृथ्वीराज' के बाद अक्षय कुमार की फिल्म 'रक्षा बंधन' का ट्रेलर लॉन्च कर दिया गया है.
फिल्म इंडस्ट्री ऐसे दौर से गुजर रही है, जहां सिनेमा में कंटेंट किंग है. फिल्म से लेकर वेब सीरीज तक वही सफल हो रही है, जिसकी कहानी में दम और कलाकारों के अभिनय में ताजगी है, जो कि किरदार के अनुरूप परफेक्ट है. लेकिन आनंद एल राय, हिमांशु शर्मा और कनिका ढिल्लौं की तिकड़ी इस बार कहानी के मामले में चूकती हुई नजर आ रही है. वैसे इस तिकड़ी ने कई शानदार फिल्में बनाई हैं, इनके खाते में कई सफल फिल्में हैं. अक्षय कुमार भी इस फिल्म में वही गलती करते हुए दिख रहे हैं, जो कि उन्होंने 'सम्राट पृथ्वीराज' में किया था. सभी जानते हैं कि वो एक फिल्म दो से तीन महीने में पूरी कर लेते हैं. ऐसे में एक फिल्म के कैरेक्टर से निकल कर दूसरे को अपनाने के लिए उन्हें वक्त नहीं मिल पाता. इसका नतीजा ये होता है कि वो नए किरदारों में अपने पुराने किरदारों का मिश्रण नजर आते हैं.
फिल्म के 2 मिनट 55 सेकेंड के ट्रेलर में दिखाया गया है कि अक्षय कुमार का किरदार दो मोर्चे पर जंग लड़ रहा है. एक तरफ उसे अपनी चार बहनों की शादी करनी है, तो दूसरी तरफ बहनों की शादी के बाद अपने बचपन के प्यार यानी अपनी गर्लफ्रेंड से शादी करके घर लाना है. पुरानी दिल्ली में रहने वाला यह शख्स घर चलाने के लिए गोलपप्पे और चाट की दुकान चलाता है. उसके मां-बाप बचपन में ही गुजर जाते हैं. लेकिन उसके कंधों पर चार बहनों की जिम्मेदारी दे जाते हैं. बहनों के बड़ी होने के बाद भी वो अपने आर्थिक हालात की वजह से उनकी शादी नहीं कर पाता है. इधर उसकी गर्लफ्रेंडा का पिता उसके ऊपर उसकी शादी का दबाव बनाने लगता है. थकहारकर वो मैरिज ब्यूरो जाता है. वहां उससे हर बहन की शादी के लिए 20 लाख रुपए की डिमांड की जाती है. इस तरह चार बहनों की शादी के लिए उसे 80 लाख रुपए अरेंज करने हैं.
Raksha Bandhan फिल्म का ट्रेलर देखिए...
''भाई साब इस देश के हर घर में एक बेटी बैठी है जिसका दहेज कम पड़ रहा है. और बस इस उम्मीद में कि वो छाती ठोककर उसे विदा कर सके, उसका बाप भाई अपनी हड्डियां गल रहा है''...फिल्म का ये डायलॉग बताने के लिए काफी है कि इसमें दहेज जैसी सामाजिक बुराई को जोर-शोर से उठाया गया है. अक्षय का किरदार बहनों की शादी के दहेज के लिए दिन-रात मेहनत करता है, लेकिन पैसे पूरे नहीं हो पाते. इसकी वजह से उसको अपनी दुकान बेच कर एक बहन की शादी करने पड़ती है. लेकिन बची हुई तीन बहनों की शादी कैसे होगी? बहनों की शादी जल्दी नहीं हुई तो उसकी गर्लफ्रेंड का क्या होगा? क्या उसकी गर्लफ्रेंड का पिता बेटी की शादी कहीं और कर देगा? इन सभी सवालों के जवाब तो फिल्म रिलीज होने के बाद ही मिलेंगे. लेकिन इतना कहा जा सकता है कि इमोशन, कॉमेडी और ड्रामे की चाशनी में लिपटी फिल्म की कहानी नई नहीं है.
फिल्म 'रक्षा बंधन' की कहानी बॉलीवुड की कई प्रमुख फिल्मों से मिलती-जुलती है. मोहनलाल की एक मलयालम फिल्म भी बिल्कुल इसी तरह की है. साल 2000 में अशोक होंडा के निर्देशन में बनी एक फिल्म 'क्रोध' रिलीज हुई थी, जिसमें सुनील शेट्टी लीड रोल में थे. उनके अपोजिट एक्ट्रेस रंभा थी. इस फिल्म में भी सुनील के किरदार की कई बहने दिखाई गई हैं. उनकी जिम्मेदारी उसके ऊपर ही होती है. वो समाज की बुराईओं से लड़ते हुए अपनी बहनों की शादी करता है. इसका एक राखी सॉन्ग भी बहुत मशहूर हुआ था. ये फिल्म मलयालम फिल्म 'हिटलर' की हिंदी रीमेक थी. इसी तरह की एक फिल्म साल 1991 में रिलीज हुई थी, जिसका नाम 'प्यार का देवता' था. इसमें मिथुन चक्रवर्ती और माधुरी दीक्षित लीड रोल में थे. इस फिल्म में भी हीरो की मां का उसे उसकी बहनों की परवरिश और शादी की जिम्मेदारी देकर निधन हो जाता है. इसके अलावा फिल्म में दहेज प्रथ जैसी सामाजिक समस्या को उठाया गया है. समझ नहीं आता कि इस दौर में भी बॉलीवुड भ्रण हत्या (जयेश भाई जोरदार), कंडोम यूज (जनहित में जारी) और दहेज प्रथा जैसे मुद्दों पर फिल्में क्यों बना रहा है?
बताते चलें कि इस फिल्म में अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर के अलावा साहेजमीन कौर, दीपिका खन्ना, सादिया खतीब और स्मृति श्रीकांत ने अहम भूमिका निभाई है. इनके साथ ही अभिलाष थपलियाल, नीरज सूद और सीमा पाहवा जैसे कलाकारों को भी अहम किरदारों में देखा जा सकता है. फिल्म 11 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज होनी है. उसी दिन आमिर खान की बहुप्रतीक्षित लाल सिंह चड्ढा भी रिलीज हो रही है. ऐसे में बॉक्स ऑफिस पर दोनों फिल्मों का क्लैश होना तय है. यह बॉलीवुड की अग्नि परीक्षा जैसा होगा, क्योंकि दोनों फिल्मों में नुकसान किसी का भी बॉलीवुड का नुकसान तो तय है. ऐसे में कहा जा रहा है कि अक्षय अपनी फिल्म की रिलीज डेट आगे भी बढ़ा सकते हैं. चूंकि आमिर पहले ही कई बार अपनी फिल्म की रिलीज डेट पोस्टपोन कर चुके हैं, इसलिए अक्षय की संभावना ज्यादा है. वैसे भी वो रिस्क लेने की स्थिति में नहीं हैं.
आपकी राय