New

होम -> सिनेमा

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 15 मार्च, 2023 07:58 PM
  • Total Shares

तभी तो नेटफ्लिक्स की "वैधानिक चेतावनी" है, 'Please Do Not Try to Watch Rana Naidu with Your Family.' और यही वैधानिक चेतावनी ही एक्स्ट्रा लालायित कर दे रही है, सिंपली बिकॉज़ 'You Need to See It.' कुछ दिनों पहले ही अश्लीलता को लेकर TVF वेब सीरीज 'कॉलेज रोमांस' का मामला दिल्ली हाईकोर्ट में आया था जिसके मुत्तालिक कंटेंट की भाषा को अश्लील, अनुचित और अभद्र मानते हुए इस मामले में IPC की धारा 67 (प्रकाशन या प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक रूप में, कोई भी सामग्री जो कामुक है) और 67A (प्रकाशन या प्रकाशन के लिए सजा) और IT एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किये जाने के आदेश दिए गए थे. और अब उससे भी ज्यादा आपत्तिजनक और हर लिहाज से पोर्नी भाषा से लबरेज के साथ साथ पोर्न सरीखा चित्रण ही नेटफ्लिक्स दिखा रहा है "राणा नायडू" में.

सवाल है फ्रीडम ऑफ़ स्पीच के हवाले से तर्क दिया जाना कितना उचित है कि कंटेंट डिस्क्लेमर के साथ है मसलन 18+ है, वयस्कों के लिए कंटेंट है, पैरेंटल कंट्रोल का ऑप्शन है आदि आदि. दरअसल यही कंटेंट डाइलेमा है. इन तमाम डिस्क्लेमरों के होने से ही वर्जित फल वाला माहौल बनता है या कहें कि बनाया जाता है और जिनके लिए वर्जित बताया जाता है वही उत्सुक होकर खूब देखते हैं, देखकर दम भी भरते हैं कि 'देख लिया है मेरी बला से'. यही कांस्पीरेसी है नेटफ्लिक्स और अन्य ओटीटी प्लेटफार्म की!

 rana naidu web series is Disturbing and disgustingपोर्नी भाषा से लबरेज के साथ साथ पोर्न सरीखा चित्रण ही नेटफ्लिक्स दिखा रहा है "राणा नायडू" में

क्या देश का युवा वर्ग इस कदर अश्लील और भ्रष्ट भाषा का प्रयोग करता है? क्या आम बाप बेटे, आम भाई भाई, आम पति पत्नी या फिर आम अनैतिक रिश्ते भी जब बोलते हैं इस कदर अश्लीलता की भाषा ही बोलते हैं. प्राइवेट बेडरूम के प्राइवेट समय में भी ऐसी बोली नहीं बोली जाती इस देश में. इतनी ही फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन लेनी है तो फ्रीडम इस बात की भी लें और कहें कि पोर्न सीरीज है.

किसी अमेरिकन वेब सीरीज "रे डोनोवन" के रीमेक का इस देश में क्या औचित्य है? कुछ है तो सिर्फ और सिर्फ कुत्सित मकसद है भारतीय संस्कृति को तहस नहस करने का. ऐसा नहीं हैं कि कामवासना यहाँ स्टफ नहीं है. खूब है और चिरकाल से है. और इस बात के प्रमाण भी खूब हैं मसलन खजुराहो, कोणार्क, अजंता एलोरा आदि. परंतु जो भी है, संभ्रांत है, सौम्य है, कलात्मक है.

हरगिज़ ही दिनचर्या नहीं है, हर पल सेक्सुअल इंस्टिंक्ट इस देश का कल्चर नहीं है. और भाषा तो कतई नहीं है, यहां तक कि उन अतरंग पलों में भी नहीं. कृपया केस फॉर के लिए मस्तराम की किताबों का हवाला मत दीजिएगा; वे थीं तो चोरी छिपे ही थीं, चोरी छिपे बिकती थीं और चोरी छिपे हीं कुछ लोगों द्वारा पढ़ी जाती थीं. इसी संदर्भ में दिल्ली उच्च न्यायालय ने जो कहा, वह महत्वपूर्ण है. अदालत ने कहा, ‘किसी की निजी पसंद जो देश में बहुमत की पसंद नहीं है, उसे बहुमत की पसंद बताकर, बनाकर इस आधार या अनुमान पर प्रसारित नहीं किया जा सकता है कि आज के युवा इसी तरह की अश्लील और भ्रष्ट भाषा का प्रयोग करते हैं."

चंद स्टैंडर्ड डिस्क्लेमरों के सहारे नेटफ्लिक्स या कोई दीगर ओटीटी प्लेटफार्म कैसे लिबर्टी ले सकता है कुछ भी वाहियात परोस देने की; जबकि यही डिस्क्लेमर अपने आप में ही सेक्सुअल इंस्टिंक्ट जनित उत्सुकता जगा देते हैं इस देश में जहां तक़रीबन 65 फीसदी जनता युवा है और बात करें अंडर 18 की तो वे तक़रीबन 32 फीसदी हैं. 'ओवर द टॉप' यही गणित है, सफलता की कुंजी है! तभी तो घूम फिर कर नेटफ्लिक्स ने एक बार फिर "सेक्रेड गेम्स" की शैली में, एक प्रकार से उससे भी सस्ता संस्करण, अमेरिकन वेब सीरीज का रीमेक प्रस्तुत कर दिया है. और कोई आश्चर्य नहीं होगा सीजन दर सीजन इसके आते रहें चूंकि "रे डोनोवन" के भी सात सालों 2013 से लेकर 2019 तक 7 सीजन आये जिसमें कुल 82 एपिसोड्स शुमार थे. मौजूदा 'राना नायडू' पूरी की पूरी एक तयशुदा खाके पर चलती है;

दो एक्शन दृश्य, एक चेज सीक्वेंस, एक सेक्स सीन, फिर दो भावुक दृश्य और फिर दो तीन दृश्यों में मुख्य कलाकारों के बीच खुलकर होने वाली अव्वल दर्जे की अब्यूसिव बातचीत. क्या ऐसा नहीं हो सकता था कि नेटफ्लिक्स हिंदी पट्टी के लिए और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी लोक संस्कृति का लिहाज करते हुए "रे डोनोवन" के क्राइम-थ्रिलर-एक्शन ज़ोन भर को अडॉप्ट करते हुए क्रिएट करता?

यक़ीनन हिन्दुस्तान में ड्राइंग रूम तो दूर की बात है, बेडरूम में या अन्यथा प्राइवेट में भी बिना ईयरफ़ोन लगाए शायद ही इस कंटेंट को देखा जाए. हाँ, अपवाद स्वरूप व्यूअर्स वही होंगे जिनका सोशल स्टेटस सिंबल ही है कथित बोल्ड कहलाने का और वे हर कालखंड में होते रहे हैं. बिना कहानी में जाए चले आते हैं कास्ट एंड क्रू पर और उनके रोल पर. दाद देनी पड़ेगी पंच लेखकों की टीम को जिसने 'रे डोनोवन' के संवादों को हूबहू उतार कर मस्तराम को भी मात दे दिया है. दो चार बानगी भी नहीं दे पा रहे हैं, अंतर ही अनुमति नहीं दे रहा है, यहाँ तक कि कलम भी साथ नहीं दे रही है.

इनसाइड एज और मिर्जापुर फेम करण अंशुमन ने पंचवर्षीय योजना के तहत (मिर्जापुर 2018 में) वाकई एरोटिक कंटेंट से पोर्न बनाने तक के सफर में काफी तरक्की कर ली है! निश्चित ही आगामी पांच साल में वे दैहिक संबंधों की बची खुची दीवारों को भी गिरा देंगे! बात करें अभिनय की तो तरस आता है वेंकेटेश पर जिसकी छवि हिंदी पट्टी पर 'अनाड़ी' फिल्म के लवर बॉय रामा की है, तेलगु फिल्मों के तो वे सुपर डूपर स्टार है,अपने उन्नीस साल के करियर में उन्होंने पांच पांच फ़िल्म्फेयर अवार्ड हासिल लिए हैं, सात राज्य नंदी पुरस्कार भी हासिल किये हैं. एक्टिंग तो उनका नैसर्गिक गुण है लेकिन उम्रदराज होकर और करियर के इस मुकाम पर उनका नागा का किरदार ठीक वैसे ही भारी पड़ेगा जैसा सेक्रेड गेम्स करने के बाद नवाजुद्दीन सिद्दीकी पर पड़ा है.

एक पारिवारिक एक्टर की इमेज वाले वेंकेटेश की 'राणा नायडू’ के बाद कोई फिल्म हिंदी भाषी या किसी भी भारतीय भाषा के व्यूअर्स परिवार के साथ देखने जाएंगे, इसमें संदेह है. हाँ, होनहार चाचा के होनहार भतीजे राणा दग्गुबाती को राणा के रोल के लिए घृणा के उस संभावित दंश को नहीं झेलना पड़ेगा क्योंकि उनका चित्रण और उनकी भाषा भी उस लो तक नहीं ले जाई गई है. कुल मिलाकर एक सुर में रहते हुए भी उन्होंने निराश नहीं किया है.

साइड किरदारों में से जफा की दर्द भरी कहानी इंटरेस्टिंग है जिसे अभिषेक बनर्जी ने खूब जिया है. पार्किंसन ग्रस्त तेज नायडू के किरदार में सुशांत सिंह ने फिर एक बार साबित किया कि उनको सही किरदार मिलेंगे तो वह अब भी कमाल कर सकते है. स्पेशल मेंशन के लिए हैं गौरव चोपड़ा प्रिंस रेड्डी के रोल में और राजेश सैस ओबी महाजन के किरदार में. दोनों को हैट्रेड उत्पन्न करनी थी और व्यूअर्स उनसे खूब हेट करेंगे भी. फीमेल किरदारों में सिर्फ सुरवीन चावला की बात हो सकती है, जिसका राणा की वाइफ और दो बच्चों की मां वाला नैना का किरदार काफी संतुलित है, बिल्कुल ही छिछोरा नहीं है.

जहां तक इस वेब सीरीज को देखने के लिए रेकमेंड करने की बात है, ना भी करें तो देखने से बाज नहीं आएंगे व्यूअर्स चूंकि नेटफ्लिक्स ने गजब का दांव जो चल दिया है 'मत देखो परिवार के साथ' का आह्वान देकर! वैसे आइडियली कह देते #BanNetflix लेकिन नहीं कहेंगे, लिबरल जो कहलाना है हमे भी. 

#राणा नायडू, #अश्लील, #वेब सीरीज़, Rana Naidu Web Series Review, Rana Naidu Web Series, Rana Naidu Review In Hindi

लेखक

prakash kumar jain prakash kumar jain @prakash.jain.5688

Once a work alcoholic starting career from a cost accountant turned marketeer finally turned novice writer. Gradually, I gained expertise and now ever ready to express myself about daily happenings be it politics or social or legal or even films/web series for which I do imbibe various  conversations and ideas surfing online or viewing all sorts of contents including live sessions as well .

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय