पाकिस्तानी कलाकारों को लेकर रणबीर कपूर के इस बयान पर बवाल क्यों मचा है?
बॉलीवुड एक्टर रणबीर कपूर का कहना है कि कलाकार की कोई सीमा नहीं होती है, वो पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम करना चाहेंगे. इतना ही नहीं उन्होंने पाक एक्टर फवाद खान की फिल्म 'द लीजेंड ऑफ मौला जट्ट' की टीम को बधाई भी दी है. रणबीर के इस बयान के बाद हिंदुस्तान में बवाल शुरू हो चुका है.
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इस साल के खत्म होने से पहले हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का एक कलाकार विवादों के घेरे में आ गया है. उसके एक बयान से नाराज लोग उसकी जमकर आलोचना कर रहे हैं. उसे पाकिस्तान जाकर बसने की नसीहते दे रहे हैं. उसके खिलाफ जमकर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं. जी हां, हम बॉलीवुड एक्टर रणबीर कपूर की बात कर रहे हैं, जो पाकिस्तानी कलाकारों के लिए दिए गए अपने एक बयान की वजह से पिछले कुछ दिनों से चर्चा में बने हुए हैं. रणबीर कपूर का कहना है कि कलाकार की कोई सीमा नहीं होती है, वो पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम करना चाहेंगे. इतना ही नहीं उन्होंने पाक एक्टर फवाद खान की फिल्म 'द लीजेंड ऑफ मौला जट्ट' की टीम को बधाई भी दी है.
दरअसल, अभिनेता रणबीर कपूर रेड सी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में शिरकत करने के लिए पहुंचे थे. इस दौरान जीक्यू मीट एंड ग्रीट सेग्मेंट में भी उन्होंने हिस्सा लिया. यहां उनसे एक पाकिस्तानी फिल्मकार ने पूछा कि आज कोई पाकिस्तानी भारत में और कोई हिंदुस्तानी पाकिस्तान में न तो फिल्म बना सकता है न फिल्म में काम कर सकता है. ऐसे में क्या इन दोनों देशों के बाहर मसलन सऊदी अरब में बनने वाली किसी फिल्म में वो काम करना चाहेंगे? इस सवाल के जवाब में रणबीर ने कहा, ''कला की कोई सीमा नहीं होती और मैं बिल्कुल पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम करना चाहूंगा. यहां तक कि मैं 'द लीजेंड ऑफ मौला जट्ट' की सफलता पर पाक सिनेमा को बधाइयां देना चाहता हूं.''
रणबीर कपूर का कहना है कि कलाकार की कोई सीमा नहीं होती है, वो पाकिस्तानी कलाकारों संग काम करना चाहेंगे.
माना कि कलाकार के लिए कोई सीमा नहीं होती है. एक कलाकार सरहदों से परे कहीं भी जाकर काम कर सकता है. लेकिन दो देशों के बीच स्थित सीमा को मिटाया जा सकता है? क्या एक देश के द्वारा दूसरे देश में आतंकी वारदात को अंजाम दिए जाने को सहजता से स्वीकार किया जा सकता है? क्या एक तरफ भाईचारे की बात और दूसरी तरफ सीमा पर जवानों की शहादत को बर्दाश्त किया जा सकता है? बिल्कुल नहीं. ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता. रणबीर कपूर एक बड़े अभिनेता है. एक बडे़ खानदान में पैदा हुए हैं. वो बड़े कलाकार हैं. लेकिन उनको शायद अपने देश के दुश्मनों से ज्यादा कलाकारों की भाईचारा पसंद है. तभी तो दुश्मन मुल्क के कलाकारों के साथ काम करने की बात कह रहे हैं.
रणबीर कपूर को सीखना चाहिए अपने देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर की बातों से कि खेल और सिनेमा, आतंकवाद के साथ-साथ नहीं चल सकते. यदि भाईचारा करना है, एक साथ क्रिकेट खेलना है, एक साथ फिल्मों में काम करना है, तो आतंकवाद का साथ छोड़ना होगा. हिंदुस्तान में आतंकी वारदातों को बंद करना होगा. हिंदुस्तान के स्वर्ग कश्मीर के नौजवानों का ब्रेन वॉश करके अपने ही देश के खिलाफ भड़काना बंद करना होगा. जिस दिन पाकिस्तान ऐसा करने लगेगा, तो निश्चित रूप से उसके कलाकारों के साथ काम करने की आजादी होनी चाहिेए. यदि वो ये सब जारी रखता है, उसके बावजूद कोई हिंदुस्तानी कलाकार पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम करना चाहता है, तो उसे उसी मुल्क में चले जाना चाहिेए.
इस मामले में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दो टूक जवाब दिया, तो हर हिंदुस्तानी को पसंद आ रहा है. इंडिया टुडे ग्रुप के एजेंडा आजतक कार्यक्रम में उनसे श्वेता सिंह ने पूछा कि क्या ऐसे वक्त में भारत-पाकिस्तान के बीच सीरीज होना संभव है? इस पर उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान आतंकवाद का खात्मा करे तभी दोनों देशों के बीच क्रिकेट सीरीज का आयोजन संभव है. उन्होंने कहा, ''सरकार तो सोचती रहती है क्योंकि टूर्नामेंट तो आते रहते हैं. अभी तो आपको पता ही है कि हमारी सोच क्या है. देखते हैं आगे क्या होता है. हमें कभी ये मानना नहीं चाहिए कि आतंकवाद किसी भी देश का हक है. जबतक इसे हम इसे खत्म नहीं करेंगे तबतक ये चलता जाएगा. उनपर दुनिया का दबाव होना चाहिए, यह तभी होगा जब आतंकवाद से शिकार देश आवाज उठाएंगे. हमें इसे लेकर एक तरह का लीडरशिप लेना चाहिए क्योंकि खून जो बह रहा है वो हमारा खून है.''
यहां एस. जयशंकर की बात बिल्कुल सही है. आतंकवाद खत्म किए बिना कलाकारों के साथ काम क्या किसी तरह का आयोजन करना सही नहीं है. ऐसा करके हम आतंकी मुल्क पाकिस्तान पर दबाव बना सकते हैं. ये दबाव अंदरुनी और बाहरी दोनों हो सकता है. यदि पाकिस्तान के कलाकारों और खिलाड़ियों को हिंदुस्तान के साथ संबंध रखना है, तो उनके अपने देश के हुकमरानों पर दबाव बनाना चाहिए कि वो आतंकवाद का रास्ता छोड़कर दोस्ती के रास्ते में आए. लेकिन वैसी दोस्ती नहीं जैसी परवेज़ मुशर्रफ़ ने अटल बिहारी वाजपेयी के साथ की थी. एक तरफ आगरा में ताज महल के साए में दोस्ती के पींगे मार रहा था, दूसरी तरफ उसकी सेना करगिल में आतंकियों के साथ कब्जे कर रही थी.
भारत में पाकिस्तानी कलाकारों को कई बार बैन किया गया. कई बार पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के साथ खेलना भी बैन हुआ है. लेकिन 14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा हमले के बाद पाक कलाकारों की हिंदुस्तान में पूरी तरह एंट्री बैन कर दी गई. इससे पहले 18 सितम्बर 2016 को उरी हमले के बाद भी पाकिस्तानी कलाकारों को बैन कर दिया गया था. उस वक्त बॉलीवुड के अधिकांश कलाकारों ने इसका आलोचना की थी. इसमें सबसे पहले करण जौहर आगे आए थे. उनका कहना था कि पाकिस्तान से आने वाले कलाकारों के बैन करने से आतंकवाद का हल नहीं निकलने वाला है. सलमान खान तो कहा था कि कलाकार और आतंकवादी दो अलग-अलग बाते हैं. दोनों एक साथ मिक्स करना सही नहीं है. बॉलीवुड की इसी सोच ने आज उसे इस मुकाम पर खड़ा किया है, जहां उसकी एक से बढ़कर एक फिल्में फ्लॉप हो रही हैं. बड़े से बड़े सितारे बॉक्स ऑफिस पर पानी मांग रहे हैं.
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