Ray Web Series Trailer: सत्यजीत रे की 4 रचनाएं रोचक, आकर्षक और रोमांचक अंदाज में
वेब सीरीज 'रे' (Ray Web Series) में दिखाया गया पहला एपिसोड 'हंगामा है क्यों बरपा' सत्यजीत रे की कहानी 'बरीन भौमिक की बीमारी', दूसरा 'स्पॉटलाइट' उनकी कहानी 'स्पाटलाइट', तीसरा 'बहुरूपिया' उनकी कहानी 'बहुरूपी' और चौथा 'फॉरगेट मी नॉट' उनकी कहानी 'बिपिन चौधरी स्मृतिभ्रम' का रूपांतरण है.
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अमेजन प्राइम वीडियो (Amazon Prime Video) पर 'द फैमिली मैन सीजन 2' (The Family Man 2) के रिलीज के बाद मनोज बाजपेयी एक दूसरी वेब सीरीज के जरिए तहलका मचाने के लिए तैयार है. उनकी एंथोलॉजी वेब सीरीज 'रे' 25 जून को नेटफ्लिक्स (Netflix) पर रिलीज की जाएगी. भारतीय सिनेमा के महान फिल्ममेकर सत्यजीत रे की कहानियों पर आधारित इस वेब सीरीज का ट्रेलर (Ray Web Series) आज लॉन्च हुआ है. इसमें मनोज बाजपेयी, केके मेनन, अली फ़ज़ल, हर्षवर्धन कपूर, गजराज राव, श्वेता बसु प्रसाद, अनिंदिता बोस, बिदिता बाग, राधिका मदान, चंदन रॉय सान्याल और आकांक्षा रंजन कपूर प्रमुख किरदारों में हैं.
मनोज बाजपेयी की कहानी का शीर्षक 'हंगामा है क्यों बरपा', जिसमें उनके साथ गजराज राव भी हैं.
वेब सीरीज 'रे' (Ray) में चार अलग-अलग कहानियां दिखाई गई हैं, जिसे निर्देशक श्रीजीत मुखर्जी, अभिषेक चौबे और वासन बाला ने निर्देशित किया है. इसमें अभिषेक चौबे ने 'हंगामा है क्यों बरपा' (Hungama Hai Kyon Barpa), श्रीजीत मुखर्जी ने 'फॉरगेट मी नॉट' (Forget Me Not) और 'बहुरूपिया' (Bahurupiya) और वासन बाला ने 'स्पॉटलाइट' (Spotlight) का निर्देशन किया है. पहले 'जामताड़ा', 'शी' और 'ताजमहल 1989' जैसी वेब सीरीज बना चुकी वायाकॉम 18 की डिजिटल कंपनी टिपिंग पॉइंट द्वारा निर्मित 'रे' की पटकथा निरेन भट्ट और सिराज अहमद ने लिखी है. इसके सृजनकर्ता सायंतन मुखर्जी ने इसकी चार कहानियों को एक धागे से बांधा है.
One of the most loveliest poster i have seen in recent years. Looking forward to catch #Ray on Netflix , premiers on 25th June ! pic.twitter.com/9ITz5yky7l
— Sumit Kadel (@SumitkadeI) June 8, 2021
अहंकार, बदला, ईर्ष्या और विश्वासघात पर आधारित इस सीरीज की हर कहानी का शीर्षक और नायक अलग-अलग है. इसमें मनोज बाजपेयी की कहानी का शीर्षक 'हंगामा है क्यों बरपा', केके मेनन की कहानी का 'बहुरूपिया', अली फजल की कहानी का 'फॉरगेट मी नॉट' और हर्षवर्धन कपूर की कहानी का 'स्पॉटलाइट' है. पहली कहानी 'हंगामा है क्यों बरपा' में एक गजल गायक की दास्तान पेश की गई है. दूसरी कहानी 'फॉरगेट मी नॉट' में कॉरपोरेट जगत की चोचलेबाजी दिखाई गई है. तीसरी कहानी 'बहुरूपिया' में स्पेशल ऑपरेशन के अफसरों के दांव-पेंच दिखाए गए हैं. आखिरी कहानी 'स्पॉटलाइट' में ग्लैमर वर्ल्ड की चकाचौंध रोशनी के पीछे की असलीयत बयां की गई है.
संपूर्णता की तलाश में नजर आता है हर किरदार
इस ट्रेलर की शुरुआत एक वॉयस ओवर से होती है, जिसमें कहा गया है कि मानव जाति भगवान से कम नहीं है. यह भी एक जीव को जन्म देती है और एक इंसान बनाती है. इसके बाद इप्सित नायर (अली फ़ज़ल) से मिलवाया जाता है, एक ऐसा व्यक्ति जिसके बारे में कहा जाता है कि उसके पास कंप्यूटर की मेमोरी है. इसके बाद एक बॉलीवुड सुपरस्टार के किरदार में हर्षवर्धन कपूर की झलक मिलती है. वो एक साध्वी से मिलता है. उसकी लोकप्रियता देखकर चकित रह जाता है. मनोज बाजपेयी एक ग़ज़ल गायक मुसाफिर अली की भूमिका में नजर आते हैं, जो अपनी खोई हुई प्रसिद्धि की तलाश में है. अंत में, के के मेनन के चरित्र की एक झलक मिलती है, जो कॉरपोरेट जगत में एक शानदार नौकरी कर रहा होता है, लेकिन उसे मेकअप आर्टिस्ट बनने की चाहत होती है. यानि हर किरदार संपूर्णता की तलाश में नजर आता है.
देखिए वेब सीरीज रे का ट्रेलर...
सत्यजीत रे की इन कहानियों का रुपांतरण है 'Ray'
सत्यजीत रे (Satyajit Ray) को भारतीय सिनेमा का पितामह यूं ही नहीं कहा जाता, वो फिल्म मेकर के साथ ही एक लेखक, पब्लिशर, इलस्ट्रेटर, कॉलीग्राफर, ग्राफिक डिजाइनर और फिल्म क्रिटिक भी थे. उन्होंने अपनी कहानियों पर तो फिल्में बनाई ही, इसके बाद भी उस पर कई फिल्में और सीरियल्स बनाए गए. वर्तमान में नेटफ्लिक्स ने उनकी कहानियों का रूपांतरण कर उनको श्रद्धांजलि दी है. क्योंकि इस साल सत्यजित रे की जन्मशती भी है. 'रे' (RAY) वेब सीरीज में दिखाए गए एपिसोड 'हंगामा है क्यों बरपा' सत्यजीत रे की कहानी 'बरीन भौमिक की बीमारी' (Barin Bhowmik's Ailment), 'स्पॉटलाइट' उनकी कहानी 'स्पाटलाइट' (Spotlight), 'बहुरूपिया' उनकी कहानी 'बहुरूपी' (Bahuroopi) और 'फॉरगेट मी नॉट' उनकी कहानी 'बिपिन चौधरी स्मृतिभ्रम' (Bipin Choudhurir Smritibhram) का रूपांतरण है.
रोचक कहानियों का बहुत बड़ा खजाना हैं सत्यजीत
सत्यजीत रे की कहानियों के रूपांतरण के बारे में निर्देशक वासन बाला का कहना है कि हमने उनकी कहानियों को एडॉप्ट किया, उसे ओरिजनली पेश नहीं किया है. चूंकि ये सभी कहानियां सत्यजीत रे की ही लिखी हुई हैं, इसलिए विषयगत रूप से एक साथ और एक जैसी दिख सकती हैं. लेकिन आवाज और भाव अलग हैं. अभिषेक चौबे का कहना है कि सभी कहानियों के बीच सामान्य कड़ी पात्रों का मनोवैज्ञानिक अंवेषण है. हमें खुशी है कि हमें एक ही एंथोलॉजी में विभिन्न शैलियों पर काम करने का मौका मिला. यह एक परफेक्ट मील की तरह है. श्रीजीत मुखर्जी का कहना है कि वो रे की कुछ अन्य कहानियों के रूपांतरण के पक्ष में हैं. इसके लिए उन्होंने नेटफ्लिक्स से अनुरोध भी किया है. उनका मानना है कि सत्यजीत रे कहानियों के एक बहुत बड़े खजाना हैं. इस साल कुछ अन्य आकर्षक कहानियां देखने को मिल सकती हैं.
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