नशे में डूबी फ़िल्म इंडस्ट्री के कितने लोग चाहते हैं कि उनके बच्चे गंजेड़ी बन जाए?
रिया चक्रवर्ती की गिरफ्तारी (Rhea Chakraborty Arrest) के बाद जिस तरह से लोग फ़िल्म इंटस्ट्री को नशेड़ियों (Marijuana Smokers Of Film Industry) का अड्डा कहने लगे हैं और बॉलीवुड के कई बड़े चेहरों की तरफ उंगलियां उठने लगी हैं, इससे यह सवाल बेहद लाजिम लगता है कि क्या नशे में डूबी फ़िल्म इंडस्ट्री के कितने लोग चाहते हैं कि उनके बच्चे भी गंजेड़ी बन जाए?
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देशभर में फिलहाल जिन बातों की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही हैं, उनमें रिया चक्रवर्ती और गांजा दो अहम टॉपिक्स हैं और इन दोनों से जिस एक इंडस्ट्री का सबसे ज्यादा ताल्लुक बताया जा रहा है, वो है हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री यानी बॉलीवुड. सबसे पहले दिवंगत सुशांत सिंह राजपूत के बारे में खबर आई कि वह गांजे का सेवन करते थे, फिर सुशांत मौत की सीबीआई जांच के दौरान रिया चक्रवर्ती की ड्रग्स रैकेट से संलिप्तता की खबर आई कि वह सुशांत को चुपके से ड्रग्स देती थीं. इसके बाद जब रिया चक्रवर्ती को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने अरेस्ट किया तो फिर गांजा (मरिजुआना) और ड्रग्स को लेकर बड़ी बहस शुरू हो गई और फ़िल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े चेहरों पर उंगली उठने लगी, जो पूर्व में कथित रूप से चाहे नशीले पदार्थों का सेवन करते पाए गए हैं या जो अपनी फ़िल्मों में गांजे, ड्रग्स समेत अन्य नशीले पदार्थों के सेवन से जुड़े वीडियो दिखाते हैं. इन सभी स्टार्स और फ़िल्ममेकर्स से जनता एक सवाल पूछती है कि क्या वो कभी चाहेंगे कि उनके बच्चे भी नशीले पदार्थों की जद में चले जाएं और आज दुनिया जैसा उनके बारे में सोचती है, वैसा ही उनके बच्चों के बारे में भी सोचे?
अमेरिका, कनाडा और यूरोप के कई हिस्सों में गांजे के सेवन पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया गया है, लेकिन भारत में गांजे के सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध है. हालांकि, इसपर लगे प्रतिबंध का कितना असर दिख रहा है, ये पूरी दुनिया जानती है. चाहे पहाड़ पर तीर्थ स्थलों पर बाबाओं की फौज द्वारा चीलम के सेवन से जुड़ी तस्वीरें या खबरें हो या कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में स्टूडेंट्स द्वारा छुपके-चुपके से रोल यानी जॉइंट फूंकने की खबरें हों या मायानगरी के लोगों, यानी एक्टर-एक्ट्रेस के मरिजुआना सेवन करने की खबरें, ये समाज की कड़वी हकीकत हैं, जिससे मुंह मोड़ा नहीं जा सकता है. आलम तो ये है कि जिस तरह विदेशों में मरिजुआना को वैध करने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी गई और प्रदर्शन हुए, उसी तरह अब धीरे-धीरे भारत में भी एक खास तबका मरिजुआना यानी गांजे के सेवन पर लगे प्रतिबंध को हटाने की वकालत करने लगा है, ताकि खैनी और सिगरेट, तंबाकु की तरह गांजे की भी धड़ल्ले से बिक्री हो, लेकिन यहां समझना बेहद जरूरी है कि गांजा और सिगरेट, तंबाकू में नशे के स्तर पर काफी अंतर है, इसलिए गांजे पर प्रतिबंध लगाया गया है.
बॉब मार्ले और स्नूप डॉग स्टाइल अब फंसा भी सकता है!
आपको बता दूं कि भारत में गांजे का अपना इतिहास है और इसके सेवकों और सेवन के रूपों में समय के साथ बदलाव आता रहा है. यहां छोटे शहरों की बजाय हम महानगर और फ़िल्म इंडस्ट्री में नशे की इस लत के बारे में बताना चाहूंगा कि आए दिन सोशल मीडिया पर बड़े-बड़े एक्टर, एक्ट्रेस और डायरेक्टर समेत संघर्षशील कलाकारों की रोल के साथ तस्वीरें दिख जाती है. चाहें फिल्मों के सेट हों या किसी का फ्लैट, न जाने कितनी ऐसी तस्वीरें हमारी आंखों के दायरे से अब तक निकलती रही हैं और हर बार हम ये सोचकर चुप रह जाते थे कि चलो, ये तो फ़िल्म इंडस्ट्री और इससे जुड़े लोगों की हकीकत है, लेकिन जब अब इस लत और इससे जुड़े लोगों के संपर्क ने एक फ़िल्म स्टार को जेल के अंदर ठूंस दिया है तो आने वाले समय में अब लोग मरिजुआना का सेवन करने से पहले खुद को कैमरे से जरूर दूर रखना चाहेंगे और वो जमाना लद गया है, जब वह बॉब मार्ले और स्नूप डॉग की तरह मरिजुआना पीते और धूंआ उड़ाते कहीं भी दिख जाएंगे.
बॉलीवुड माफिया और बॉलीवुड ड्रग गैंग की हकीकत
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने जब रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया, तब सोशल मीडिया पर बॉलीवुड स्टार्स ने #JusticeForRhea कैंपेन चला दिया और साबित करना चाहा कि एक गंजेड़ी (सुशांत सिंह राजपूत) के कर्मों की सजा बेवजह रिया को मिल रही है. जब एनसीबी ने ड्रग्स और मरिजुआना एंगल में पर्याप्त सबूत मिलने पर रिया को अरेस्ट किया तो ये स्टार्स कैसे रिया का समर्थन करने पर आमदा हो गए? क्या वह रिया को इसलिए बेकसूर साबित करना चाहते हैं कि नशे का ये कारोबार फ़िल्म इंडस्ट्री में ऐसे ही चलता रहे और किसी पर उंगली न उठे. सोशल मीडिया पर जैसे ही बॉलीवुड स्टार्स ने रिया के समर्थन में पोस्ट डालना शुरू किया, वैसे ही लोगों ने इन स्टार्स को घेरते हुए ट्विटर पर #BollywoodDrugGang और #BoycottBollywoodFilms ट्रेंड वायरल कर दिए और इनमें सबसे ज्यादा आलोचना हुई अनुराग कश्यप की, जिन्हें लोग लंबे समय से चरसी और गंजेड़ी बोलते आ रहे हैं. इसका कारण ये है कि एक बार अनुराग जॉइंट बनाते दिख गए थे, हालांकि बाद में उन्होंने कहा था कि वह जॉइंट में खैनी भर रहे थे. वहीं अनुराग की ज्यादातर फ़िल्में ऐसी होती हैं, जिनके हीरो चरस या गांजा का सेवन करते दिख जाते हैं. ऐसे में लोगों ने अनुराग को बॉलीवुड के ड्रग गैंग का उस्ताद समझ लिया है. हकीकत जो भी हो, लेकिन जिस तरह से लोग सोशल मीडिया पर बॉलीवुड स्टार्स के बारे में बातें कर रहे हैं और फ़िल्म इंडस्ट्री पर धब्बा लग रहा है, अगर ये स्टार्स आने वाले समय में ऐसे ही रहें तो इनकी अगली पीढ़ी भी इसी तरह आलोचनाओं का शिकार होती रहेंगी. क्या अनुराग कश्यप समेत अन्य बड़े फ़िल्म स्टार अपनी अगली पीढ़ी के करियर पर इस तरह के दाग लगते देख बर्दाश्त कर पाएंगे?
क्या यूनिवर्सिटी और क्या सड़कें, हर जगह एक ही हाल
उल्लेखनीय है कि देश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के ऊपर भी आरोप लगते रहे हैं कि यहां पढ़ने वाले बच्चे चाहे खुली जगह पर हों या हॉस्टल में, गांजे का सेवन करते हैं. सिर्फ जेएनयू ही क्यों, दिल्ली यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी, बीएचयू, जाधवपुर यूनिवर्सिटी समेत अन्य कई पॉप्युलर यूनिवर्सिटीज के कुछ बच्चों पर आरोप लगते रहते हैं कि वह किताबों की खुशबू से ज्यादा गांजे की खुशबू के दीवाने हैं. यह सच भी है, जो कि हम, आप और सभी लोग जानते हैं. हालांकि, ऐसे स्टूडेंट्स की संख्या बेहद कम है और यूनिवर्सिटीज अब भी विद्या मंदिर ही हैं, बस कुछ स्टूडेंट्स इनकी छवि धुमिल करने की कोशिश करते रहते हैं. आपको बता दूं कि गांजे का सेवन दिल्ली, मुंबई समेत कई बड़े शहरों में फैशन बन गया है, जहां यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स खुद को मॉडर्न दिखाने के चक्कर में जॉइंट फूंकते दिख जाते हैं, वहीं थिएटर या अन्य आर्ट फॉर्म से जुड़े लोगों की दलील ये होती है कि वह गांजा या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन कर किरदार या आर्ट में गहराई लाते हैं. हालांकि, ये सारी बातें दकियानुसी हैं, जिनके आगे न सिर और न पीछे पैर है.
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