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Updated: 21 जनवरी, 2022 08:14 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' कहे जाने वाले देश के महान वैज्ञानिक डॉ. होमी जहांगीर भाभा को इंडियन स्पेस प्रोग्राम का जनक भी माना जाता है. वो न्यूक्लियर फिजिसिस्ट होने के साथ टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के फाउंडिंग डायरेक्टर भी थे. वहीं, डॉ. विक्रम साराभाई भी न्यूक्लियर फिजिसिस्ट होने के साथ ही एक स्पेस साइंटिस्ट थे. अंतरिक्ष में स्वदेशी सैटेलाइट भेजने का सबसे पहले सपना साराभाई ने ही देखा था. डॉ. भाभा से मुलाकात के बाद ही वो अपने इस सपने को साकार करने में सक्षम हो पाए थे. हालांकि, इस दौरान उनको तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ना था. डॉ. भाभा और साराभाई की दोस्ती, इंडियन स्पेस-एटॉमिक प्रोग्राम के साथ ही उस दौर में हिंदुस्तान के हालात पर आधारित एक कहानी वेब सीरीज के रूप में ओटीटी पर स्ट्रीम होने वाली है. इस वेब सीरीज 'रॉकेट बॉयज' है.

वेब सीरीज 'रॉकेट बॉयज' ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी-लिव पर 4 फरवरी से स्ट्रीम होने वाली है. होमी जहांगीर भाभा और विक्रम साराभाई के जीवन पर बनी इस वेब सीरीज का निर्देशन अभय पन्नू ने किया है. फिल्म निर्माता निखिल आडवाणी, रॉय कपूर फिल्म्स और एम्मे एंटरटेनमेंट द्वारा बनाए गए इस शो में जिम सरभ, रेजिना कैसेंड्रा और इश्वाक सिंह लीड रोल में हैं. ट्रेलर में दिख रहे किरदारों और कलाकारों की बात करें तो होमी भाभा के रोल में जिम सरभ, विक्रम साराभाई के रोल में इश्वाक सिंह, मृणालिनी साराभाई के रोल में रेजिना कैसेंड्रा, जवाहर लाल नेहरू के रोल में रजित कपूर, एपीजे अब्दुल कलाम के रोल में अर्जुन राधाकृष्णन नजर आ रहे हैं. इसे देखने के बाद इतना तो तय है कि अभी तक सिर्फ किताबों में छपने वाली स्पेस और एटॉमिक साइंस के दो कर्णधारों की कहानी रूपहले पर्दे पर रंग जमाने वाली है.

650_012122033001.jpgओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी-लिव पर स्ट्रीम होने वाली वेब सीरीज 'रॉकेट बॉयज' एक नई कहानी लेकर आ रही है.

'रॉकेट बॉयज' के 3 मिनट 7 सेकंड के ट्रेलर की शुरूआत डॉ. विक्रम साराभाई के सपनों के साथ होती है. वो अपने देश का रॉकेट अंतरिक्ष में उड़ाना चाहते हैं. इसके लिए कॉलेज टाइम से ही रॉकेट के डायग्राम पर काम कर रहे होते हैं. स्नातक की शिक्षा के लिए वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय जाते हैं. द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ने पर वे भारत लौटते हैं और बंगलुरु में प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. चंद्रशेखर वेंकटरामन के निर्देशन में रिसर्च वर्क करने लगते हैं. हिंदुस्तान की आजादी के बाद डॉ. होमी जहांगीर भाभा के साथ उनको स्पेस और एटॉमिक सेक्टर में रिसर्च करने का मौका मिलता है. दोनों साथ मिलकर काम करते हैं. इसी दौरान साल 1962 में चीन और भारत में युद्ध छिड़ जाता है. चीन भारत के कई पोस्ट पर हमला करता है. इसके बाद डॉ. भाभा एटम बम बनाने की दिशा में काम शुरू कर देते हैं. जबकि डॉ. साराभाई चाहते हैं कि एटम बम की बजाए स्पेस मिशन पर काम किया जाए. वो अपनी इच्छा डॉ. भाभा को बताते हैं, लेकिन इंकार सुनने के बाद निराश होकर पीएम जवाहर लाल नेहरू से मिलते हैं.

उस वक्त देश के हालात को देखते हुए जवाहर लाल नेहरू भी डॉ. विक्रम साराभाई के मिशन को हरी झंडी देने से मना कर देते हैं. इस तरह स्पेस प्रोग्राम लटक जाता है. डॉ. भाभा एटम बम बनाने की दिशा में अपना काम जारी रखते हैं. इधर साराभाई की मुलाकात एक प्रोग्राम में मृणालिनी से होती है. वो उनको देखते ही अपना दिल दे बैठते हैं. बाद में दोनों शादी कर लेते हैं. उसके बाद अपने स्पेस मिशन पर काम करते रहते हैं. इस दौरान उनकी मुलाकात डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से होती है. वो न सिर्फ उनका का इंटरव्यू लेते हैं, बल्कि उनके करियर के शुरुआती चरण में उनकी प्रतिभाओं को निखारने में अहम भूमिका निभाते हैं. एक बार डॉ. कलाम ने खुद कहा था कि वह तो उस फील्ड में नवागंतुक थे. डॉ.साराभाई ने ही उनमें खूब दिलचस्पी ली और उनकी प्रतिभा को निखारा. उनको मिसाइल मैन बनाने वाले डॉ साराभाई ही थे. इस तरह इस वेब सीरीज में इंडियन स्पेस प्रोग्राम के दो जेनरेशन के वैज्ञानिकों की रोचक दास्तान देखने को मिलने वाली है. जो वर्तमान पीढ़ी के लिए कौतूहल पैदा करेगी.

इस वेब सीरीज में अपनी-अपनी भूमिकाओं के लेकर जिम सरभ और इश्वाक सिंह काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. इससे पहले जिम सरभ फिल्म नीरजा, संजू, पदमावत और राबता जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर चुके हैं. वहीं इश्वाक सिंह अमेज़न प्राइम सीरीज़ पाताल लोक और मनोज बाजपेयी की फिल्म अलीगढ़ में दमदार भूमिकाओं में देखा जा चुका है. अपनी भूमिका के बारे में जिम कहते हैं, "होमी भाभा की भूमिका बेहद खास है, आंशिक रूप से हमारी साझा पारसी विरासत के कारण लेकिन उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प, प्रेरित, पुनर्जागरण व्यक्तित्व के कारण". वहीं इश्वाक कहते हैं, "हम अक्सर खिलाड़ियों और स्वतंत्रता सेनानियों पर बायोपिक्स के बारे में सुनते हैं, लेकिन भारत के साइंस हीरोज के जीवन पर रॉकेट बॉयज़ की अवधारणा ने वास्तव में मेरा ध्यान खींचा जब मैंने पहली बार स्क्रिप्ट सुनी." वैसे सच भी है कि 'रॉकेट बॉयज़' यदि सफल रही तो इसके जरिए सिनेमा में एक नए जॉनर की शुरूआत होगी.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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