Rocketry Movie: क्या है नम्बी नारायण की कहानी, जिनको माधवन ने फिल्मी आदरांजलि दी है!
सच कहा गया है कभी कभी एक व्यक्ति के साथ नाइंसाफी पूरे देश के साथ गद्दारी होती है. साइंटिस्ट नम्बी नारायणन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. आर माधवन (R Madhavan) की फिल्म रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट (Rocketry: The Nambi Effect) में एक रॉकेट साइंटिस्ट के संघर्षों को दिखाया गया है.
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'रंग दे बसंती', 'रहना है तेरे दिल में', 'थ्री ईडियट्स' और 'तनु वेड्स मनु' जैसी हिंदी फिल्मों में शानदार अभिनय करने वाले साउथ के सुपरस्टार आर माधवन की फिल्म रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट (Rocketry: The Nambi Effect) का ट्रेलर रिलीज होते ही रॉकेट साइंटिस्ट नम्बी नारायणन सुर्खियों में हैं. नम्बी नारायणन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिक थे, जिन्हें देश से गद्दारी करने के झूठे आरोपों में फंसाया गया था. 26 साल की लंबी लड़ाई और पुलिस-प्रशासन से लोहा लेने के बाद साल 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने उनको बेगुनाह बताया था.
फिल्म रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट में आर माधवन साइंटिस्ट नम्बी नारायणन का किरदार निभा रहे हैं.
यदि रॉकेट साइंटिस्ट नम्बी नारायणन को झूठे केस में फंसाकर जेल नहीं भेजा गया होता, तो आज भारतीय अंतरिक्ष अभियान की कहानी कुछ और होती. अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अन्य देशों की तुलना में हम कम से कम 15 साल पीछे चल रहे हैं. सच कहा गया है कभी कभी एक व्यक्ति के साथ नाइंसाफी पूरे देश के साथ गद्दारी होती है. साइंटिस्ट नम्बी नारायणन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. इस कहानी को रुपहले पर्दे पर दिखाने जा रहे हैं आर माधवन (R Madhavan), जो इस फिल्म के जरिए डायरेक्टोरियल डेब्यू भी कर रहे हैं और लीड रोल में भी हैं.
पहले फिल्म के ट्रेलर की बात
सिनेमा एक साधना है. आर माधवन की फिल्म 'रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट' का ट्रेलर इस साधना की झांकी है. ट्रेलर को देखने के बाद यह कहना कि फिल्म अंतरिक्ष विज्ञान की बात करने वाले देश की पहली प्रामाणिक फिल्म है, अतिश्योक्ति नहीं होगी. इस फिल्म में आर माधवन साइंटिस्ट नंबी नारायणन (Nambi Narayanan) का किरदार निभा रहे हैं. एक साइंटिस्ट के 27 से 70 साल की उम्र तक के जीवन के किरदार को निभाने वाले माधवन में जबरदस्त ट्रांसफॉर्मेशन दिख रहा है. इसमें शाहरुख खान का स्पेशल अपीयरेंस है, उनकी एक झलक फिल्म के ट्रेलर में भी दिखाई गई है.
ट्रेलर में नंबी नारायणन बने माधवन कहते हैं, 'मेरा नाम नम्बी नारायणन है. मैंने रॉकेट्री में 35 साल गुजारे और जेल में 50 दिन. उन 50 दिनों की जो कीमत मेरे देश ने चुकाई ये कहानी उसकी है, मेरी नहीं.' फिल्म में मिशन मार्स की परिकल्पना से लेकर नम्बी के जेल के दिनों की हकीकत दिखाई गई है. फिल्म रॉकेट्री: द नम्बी इफेक्ट पांच भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में रिलीज की जाएगी. आर माधवन के अलावा इस फिल्म में सिमरन और रजित कपूर भी अहम रोल में नजर आने वाले हैं. फिल्म का बजट करीब 100 करोड़ रुपए बताया जा रहा है.
नम्बी नारायण की कहानी
पद्म भूषण नम्बी नारायण का जन्म गुलाम भारत में 12 दिसंबर 1941 को तमिलनाडु में हुआ था. उनसे पहले उनकी पांच बहनें पैदा हो चुकी थी. पिता नारियल का बिजनेस करते थे और मां हाउस वाइफ थीं. कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं, नम्बी के साथ भी कुछ ऐसा ही था. वह प्राइमरी स्कूल से पढ़ने में बहुत तेज थे. उन्होंने 10वीं से 12वीं तक अपनी क्लास में टॉप किया था. इसके बाद इंजीनियरिंग करके एक शूगर फैक्ट्री में काम करने लगे. लेकिन मन तो हवा में था. हवाई जहाज और एयरक्राफ्ट उनको लुभाते थे. यही वजह की उन्होंने ISRO ज्वाइन कर लिया.
बात 90 के दशक की है. उस वक्त स्पेस प्रोग्राम में अमेरिका और रूस का वर्चस्व था. पूरी दुनिया उनके स्पेस मिशन पर निर्भर रहा करती थी. भारत भी अरबों डॉलर खर्च करके अमेरिकन स्पेस प्रोग्राम पर निर्भर रहता था. उस वक्त नंबी नारायणन ने सरकार और देश को भरोसा दिलाया कि भारत भी स्पेस रिसर्च में सक्षम है. उनको स्वदेशी क्रायोजनिक इंजन जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंप दी गई. उनको इस प्रोजेक्ट का डायरेक्टर बना दिया गया. कहा जाता है कि अमेरिका की नजर से बचते हुए वे पाकिस्तान के जरिए रूस से क्रायोजनिक इंजन के पार्ट्स लाए थे.
Hats off @ActorMadhavan for the trailer of the movie #RocketryTheNambiEffect. The hard work you have put in as a director and actor for this movie is commendable.Thanks to you for showing the story of a True nationalist Nambi Narayanan in the big screen. pic.twitter.com/TsjPfQZTHq
— Ramkumar Gee (@Ramkumargee16) April 3, 2021
जासूसी के आरोप में फंसाया
इसी बीच एक अजीबो-गरीब घटना घटी, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया. साल 1994 में तिरुअनंतपुरम से मालदीव एक महिला मरियम राशिदा को गिरफ्तार किया गया. उस पर आरोप लगा कि उसने इसरो के स्वदेशी क्रायोजनिक इंजन की ड्राइंग की खुफिया जानकारी पाकिस्तान को बेच दिया है. इसके बाद इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे नम्बी नारायणन और उनके दो अन्य साइंटिस्ट डी. शशिकुमारन और के. चंद्रशेखर को गिरफ्तार कर लिया गया. सभी पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगा. इसके साथ रुसी स्पेस एजेंसी के एक प्रतिनिधि एसके शर्मा को भी गिरफ्तार किया गया था.
नम्बी नारायणन चीख-चीख अपनी बेगुनाही का सबूत देते रहे, लेकिन पुलिस सुनने को तैयार नहीं थी. कहा जाता है कि यह सबकुछ अमेरिकन सरकार के इशारे पर किया जा रहा था. अमेरिका भारत के स्पेस प्रोग्राम को रोकना चाहता था, क्योंकि उसका अरबों डॉलर का बिजनेस प्रभावित होने जा रहा था. इसके लिए उस वक्त केरल में मौजूद लेफ्ट सरकार के कई नेताओं और पुलिस अफसरों को मोटी रकम दिए जाने की बात भी कही जाती है. इधर पुलिस जांच के बीच ही नम्बी नारायणन को देश का गद्दार घोषित करके जेल में डाल दिया गया. स्वदेशी क्रायोजनिक इंजन बनाने का प्रोजेक्ट ठप्प हो गया.
#RocketryTheNambiEffect trailer out, @ActorMadhavan 's directorial film looks solid! READ: https://t.co/ePYRLTSIwm pic.twitter.com/whpAaBcGLY
— Indian Spice (@spiceofi) April 3, 2021
सीबीआई ने बताया फर्जी केस
यह केस हाईप्रोफाइल होने की वजह से दिसंबर 1994 में सीबीआई को सौंप दिया गया. सीबीआई ने अपनी जांच में इंटेलिजेंस ब्यूरो और केरल पुलिस के आरोप को सही नहीं पाया. साल 1996 में सीबीआई ने कोर्ट में एक रिपोर्ट दाखिल करके बताया कि पूरा मामला फर्जी है. आरोपों के पक्ष में कोई सबूत नहीं हैं. कोर्ट ने सीबीआई की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और इस केस में गिरफ्तार नम्बी नारायणन सहित सभी आरोपियों को रिहा कर दिया गया. सीबीआई जांच में यह बात भी सामने आ गई कि भारत के स्पेस प्रोग्राम को डैमेज करने की नीयत से नंबी नारायणन को झूठे केस में फंसाया गया था.
साल 1998 में केरल की तत्कालीन सीपीएम सरकार ने इस मामले की फिर से जांच का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार द्वारा इस मामले की फिर से जांच के आदेश को खारिज करते हुए उनको सभी दोषों से बरी कर दिया. उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नम्बी नारायण को गिरफ्तार किया जाना गैरजरूरी था. उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने कहा है कि उन्हें हुए नुकसान की भरपाई पैसे से नहीं हो सकती, लेकिन नियमों के तहत उन्हें 75 लाख का भुगतान किया जाए, जो केरल सरकार को ही करना है.
26 साल बाद मिला न्याय
इस तरह देश के लिए काम कर रहे एक वैज्ञानिक को 26 साल बाद न्याय मिला. 80 साल के नम्बी नारायण कोर्ट के फैसले से तो खुश हुए, लेकिन उनका कहना है कि जिन अधिकारियों ने गुमराह कर उन्हें झूठे मामले मे फंसाया, जबतक उन्हें सजा नहीं मिल जाती, तब तक पूरी तरह से संतुष्टी नहीं मिलेगी. नम्बी नारायण के इसी संघर्ष को फिल्म रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट के जरिए रुपहले पर्दे पर दिखाया जाएगा. इसके लिए आर माधवन की मेहनत और हिम्मत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. सही मायने में माधवन ने नम्बी नारायण को फिल्मी आदरांजलि दी है. दर्शकों को फिल्म का बेसब्री से इंतजार है.
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