Rocketry movie: आतंकी ख़ास मेहमान और झूठे आरोप में वैज्ञानिक का उत्पीड़न, शर्मनाक!
Rocketry: The Nambi Effect रिलीज हो गई है. फिल्म देखने वालों ने नाम्बी की बायोपिक को सर्वश्रेष्ठ बताया और कहा कि आतंकियों को ख़ास मेहमान की तरह सत्कार करना और वैज्ञानिक को झूठे केस में फंसाकर उत्पीड़न करने से बुरी और शर्मनाक चीज कुछ और नहीं हो सकती. आइए जानते हैं फिल्म के बारे में और क्या लिखा जा रहा है.
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एक वैज्ञानिक की हैरान कर देने वाली कहानी 'रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट' (Rocketry: The Nambi Effect) सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. बायोग्राफिकल ड्रामा को तमिल और हिंदी के साथ अंग्रेजी में भी बनाया गया है. रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट असल में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजिनियर नाम्बी नारायणन की सच्ची कहानी है. यह फिल्म माधवन के बेबी प्रोजेक्ट की तरह भी है. उन्होंने ना सिर्फ फिल्म की कहानी लिखी बल्कि खुद निर्देशन किया और निर्माता के रूप में पैसे भी लगाए. किसके साथ ही साथ माधवन ने नाम्बी नारायणन की मुख्य भूमिका भी निभाई है.
रिलीज के बाद समीक्षक फिल्म की जमकर तारीफ़ कर रहे हैं. वैसे रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट को रिलीज से पहले हाल ही में कान फिल्मोत्सव में प्रीमियर कर दिया गया था. कान में एक भारतीय वैज्ञानिक को उसके काम के बदले मिले अमानवीय और अनपेक्षित अनुभवों को बायोग्राफी में देख दुनिया के तमाम दर्शक समीक्षक हैरान थे. वैसे जबसे फिल्म बनाने की घोषणा हुई है- नाम्बी की कहानी ने लोगों के खींचा है. हालांकि अपनी बुनावट में इसे मास फिल्म तो नहीं कहा जा सकता, मगर सोशल मीडिया पर फिल्म की चर्चा देखने को मिल रही है. वर्ड ऑफ़ माउथ बेहतर है, हालांकि वैज्ञानिक की थ्रिलिंग कहानी देखने दर्शक सिनेमाघर जाएंगे या नहीं- इस बारे में साफ-साफ कुछ कहा नहीं जा सकता. आइए जानते हैं रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट को लेकर लोग क्या लिख रहे हैं.
रॉकेट्री में आर माधवन ने मुख्य भूमिका निभाई है.
रॉकेट्री में नाम्बी के उत्पीड़न को देख लोगों को नहीं हो रहा भरोसा
रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट में एक वैज्ञानिक के अनुभवों को देखकर तमाम दर्शकों को भरोसा नहीं हो रहा कि देश में ईमानदार नागरिकों के साथ ऐसा भी हो सकता है. एक दर्शक ने लिखा- विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में देश को उन्नति पर ले जाने के वाले की कोशिश करने वाले वैज्ञानिक को किस तरह फंसाया गया, यह परेशान करने वाला है. देश में ऐसा भी होता रहा है. पुलिस, मीडिया और राजनीति ने मामले में न्यायपूर्ण भूमिका नहीं दिखाई. आर माधवन बधाई के पात्र हैं. उन्होंने एक ऐसी कहानी बनाने का जोखिम उठाया जो आंखों के सामने पड़े तमाम पर्दों को एक झटके में हटा देती है.
कुछ लोगों ने कहा कि ऐसी कहानियां बनाना जरूरी है. ताकि हमारे देश में क्या कुछ होता रहा है- नई पीढ़ियां उससे परिचित रहें. यह फिल्म देश पर एक सवाल भी है कि कैसे सुरक्षा और संप्रभुता के साथ मनमानेपूर्ण तरीके से खिलवाड़ होता रहा है और उसकी कीमत ऐसे व्यक्तियों से वसूली गई जिनका कोई दोष ही नहीं था. माधवन ने हर स्तर पर फिल्म को अपना 100 प्रतिशत दिया है. नाम्बी के खिलाफ किस देश विरोधी जासूसी के आरोप क्या थे मामला क्या था, पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
एक ने लिखा- फिल्म की कहानी, नाम्बी की भूमिका में माधवन और नाम्बी की पत्नी की भूमिका में सिमरन और दूसरे कलाकारों का अभिनय झकझोर कर रख देता है. फिल्म के कई सीन देखकर रौंगटे खड़े हो जाते हैं. आतंकियों को मेहमान की तरह सत्कार किया जाना और वैज्ञानिक पर पुलिसिया टार्चर देखने से बुरा अनुभव भला और क्या हो सकता है. आपको जो कुछ झेलना पड़ा उसके लिए हम शर्मिंदा हैं- नाम्बी नारायणन. एक श्रेष्ठ बायोपिक माधवन बधाई के पात्र हैं.
माधवन और टीम के काम को लगभग सभी दर्शकों और ज्यादातर समीक्षक मास्टरपीस करार दे रहे हैं. लोगों का मानना है कि यह एक ऐसी फिल्म है जिसे हर हाल में एकबार देखा जाना चाहिए. नाम्बी जैसी कहानी लाने का भी श्रेय बॉलीवुड की बजाए दक्षिण के खाते में गया. बायोग्राफी के लिहाज से भारतीय सिनेमा की एक बेहतरीन फिल्म है. दर्शकों का कहना है कि अब तक आई बायोग्राफिकल ड्रामा में रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट को सबसे यूनिक माना जा सकता है. आर माधवन समेत सभी कलाकारों ने अपने किरदारों को 100% से ज्यादा ईमानदारी से जिया है. पूरी टीम बधाई के काबिल है.
लंबे वक्त बाद रॉकेट्री में शाहरुख को देख खुश हुए दर्शक
कई दर्शक दक्षिण में फिल्म के प्रति दर्शकों के क्रेज को भी साझा कर रहे हैं और बता रहे कि फिल्म देखने के बाद भारतीय दर्शकों को नाम्बी पर गर्व होगा. उनकी हृदयविदारक कहानी दुख और गुस्से से भर देती है. नाम्बी नारायणन की कहानी को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया गया. क्लाइमैक्स जबरदस्त है. फिल्म देखने के बाद तमाम चीजों को लेकर सवाल भी करना चाहिए. पूरी टीम को स्टैंडिंग ओवेशन दिया जाना चाहिए. कई दर्शक लंबे वक्त बाद शाहरुख खान को बड़े परदे पर देखकर खुश हैं. महीनों बाद किसी फिल्म में शाहरुख को देखना बेहतर लग रहा है. शाहरुख भले मेहमान भूमिका में थे लेकिन कुछ देर के लिए उनकी मौजूदगी सबसे बड़ी यूएसपी है. एंकर के किरदार में किंग खान ने प्रभावित किया.
IMDb पर बज नहीं मगर, बढ़िया रेटिंग
चूंकि यह मास या पॉलिटिकल ड्रामा नहीं है तो सोशल मीडिया या दूसरे इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर बहुत ज्यादा शोर शराबा देखने को नहीं मिल रहा. यूजर्स की संख्या के लिहाज से IMDb पर बज नहीं है मगर संख्या के अनुपात में रेटिंग ठीकठाक ही कही जाएगी. फिल्म की रिलीज के कुछ घंटों के अंदर ही लोगों ने 10 में से 8.5 रेट किया है. IMDb की समीक्षाओं में भी तारीफ़ देखने को मिल रही है. माधवन हिंदी के लिए जाना पहचाना नाम है. वैसे दक्षिण से ही फिल्म के बेहतर बिजनेस की उम्मीद की जा सकती है.
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