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Updated: 10 जुलाई, 2022 04:41 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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'एसप‍िरेंट', 'पंचायत', 'ये मेरी फैमिली' और 'गुल्‍लक' जैसी बेहतरीन वेब सीरीज देने वाले द वायरल फीवर यानी की टीवीएफ की फैक्ट्री से निकले वाला हर सिनेमा शानदार होता है. क्राइम, थ्रिलर, एक्शन और फिक्शन जैसी कैटेगरी की वेब सीरीज से भरे पड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर असली हिंदुस्तान को दिखाने का काम यदि कोई कर रहा है, तो वो टीवीएफ ही है. इसकी एक नई पेशकश जी5 पर स्ट्रीम हुई है, जिसका नाम 'सास बहू अचार प्राइवेट लिमिटेड' है.

इस वेब सीरीज के नाम पर मत जाइएगा, इसकी कहानी और कलाकारों की अदाकारी को देखने के बाद आपके मुंह से खुद निकल पड़ेगा, ''वाह...वाह...वाह". ये सीरीज जितना हंसाती है, उतना ही रुलाती भी है. इसके किरदार अपने परिवार के सदस्यों जैसे लगते हैं, तो कलाकार पुराने परिचित जैसे नजर आते हैं. इसकी कहानी प्रेरणा देती है. हमें सीखाती और समझाती है कि हाथ की लकीरों से नहीं कर्म करके हम अपना भविष्य बना सकते हैं. हमें कर्मवीर होना चाहिए.

''यह मेरी बहू है पंडित जी, जरा हाथ देखो ना इसका''...सास जब बहू के लिए कहती है, तो पंडित जी हाथ देखते हुए कहते हैं, ''बेटा शनि रेखा तो है ही नहीं तुम्हारी. इंसान के जीवन में जो कुछ भी हासिल होता है, वो यही रेखा तय करती है''...इस पर सीरीज की नायिका कहती है, ''पंडित जी रेखाओं ने तो सबकी मंजिल तय कर रखी हैं, पर इसका मतलब यह थोड़ी है कि हम कर्म ही न करें''...नायिका और पंडित जी के बीच हुई इस बातचीत से कहानी की आत्मा को समझा जा सकता है.

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फिल्म की कहानी सुमन (अमृता सुभाष) नामक महिला के इर्द-गिर्द घूमती है, जो कि अपने पति दिलीप की बेवफाई की वजह से अपने बच्चों को पालने के लिए खुद को आर्थिक रूप से मजबूत करने में लगी हुई है. दिलीप दो बच्चे होने के बाद सुमन से अलग होकर किसी दूसरी महिला से शादी करना चाहता है. उसे लेकर अपने साथ घर में ही रहने लगता है. इससे दुखी सुमन उससे तलाक लेने का फैसला कर लेती है. अपने भाई घर रहने जाती है, लेकिन उनके व्यवहार से दुखी वापस घर आती है.

''कर पाओगी बच्चों की परवरिश?'' पति दिलीप के इस सवाल पर सुमन हिम्मत दिखाती है. उससे एक साल का समय मांगती है. वो आर्थिक मजबूती के लिए आम अचार का बिजनेस करने लगती है. अपनी ही इमारत के एक कमरे में रहने वाले शुक्ला जी से मदद मांगती है कि वो उसके बिजनेस में मदद करे. लेकिन शुक्ला उसे धोखा देकर उसके आचार बाजार में बेंच कर मुनाफा कमाता है. एक दिन सुमन शुक्ला को बस में आचार बेंचते पकड़ लेती है. इसके बाद वो बहुत ज्यादा दुखी होती है.

चोरी पकड़े जाने पर शुक्ला कुछ पैसे लेकर सुमन के पास आता है. लेकिन वो दरवाजा नहीं खोलती. इस पर शुक्ला कहता है कि अकेले कैसे कर पाओगी, इस पर सुमन उसकी कही हुई बात को दोहराती है, ''आपने कहा था कि 'पहले साल लगाई, दूसरे साल जमाई और फिर तीसरे साल कमाई'. मैंने लगा दिया है, अब जमाई और कमाई करूंगी. 'आगे से मैं ख़ुद को समर्थ बनाऊंगी.'' इन सबके बीच उसके बच्चों का अलग संघर्ष चल रहा होता है. बेटा पढ़ना नहीं चाहता, बेटी आईआईटी जाना चाहती है. बेटी के सपने और अपने बिजनेस को जमाने के लिए संघर्ष कर रही सुमन को आखिरकार उसकी सास (यामिनी दास) का साथ मिलता है.

उसकी सास उसे आचार बेचने के लिए ट्रेनिंग देती है. इतना ही नहीं खुद उसके साथ जाकर बसों में आचार बिकवाने में मदद भी करती है. इस तरह उसका व्यापार चल पड़ता है. लेकिन इसी बीच एक दिन एक हादसा हो जाता है. पुलिस उसे आचार सहित पकड़ लेती है. उसका सामान और पैसे जब्त कर लेती है. हताश निराश सुमन अब आगे क्या करेगी? क्या उसका बिजनेस दोबारा चल पाएगा? क्या उसकी बेटी आईआईटी में एडमिशन ले पाएगी? इन सभी सवालों के जवाब के लिए आपको ये वेब सीरीज जरूर देखनी चाहिए.

सही मायने में कहे तो सुमन आज के जमाने की उन लड़कियों की कहानी को दर्शाने की कोशिश कर रही है जो तलाक लेने के बाद अपनी पहचान बानने के लिए व्यवसाय की दुनिया में उतरती है और खुद को तलाशती है. यह शो उन सभी महिलाओं के लिए एक ट्रिब्यूट है, जिन्होंने सभी मुश्किलों के बावजूद अपनी एक प्रोफेशनल पहचान बनाई. एक महिला एक सच्ची योद्धा होती है जो उन सभी कठिनाइयों से लड़ती है जो उसे एक नया आयाम देते हुए उसकी उच्चतम क्षमता को सामने लाती हैं.

सुमन का किरदार बहुत अलग है. वो विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी पहचान बनाने के लिए एक ताकत रखती है. उसका संघर्ष दुखद नहीं बल्कि आकर्षक है और उसकी यात्रा दूसरों को दृढ़ रहने और अपने सपनों को नहीं छोड़ने के लिए प्रेरित करती है. इस सफर में हर समय जो उसे आगे बढ़ाने की ताकत देता है वह उसका परिवार है. उस परिवार में भी उसकी सास और दोनों बच्चे हमेशा उसका समर्थन करते हैं. सास की वजह से ही वो अपने बिजनेस जमाने में सफल हो पाती है.

अरुणाभ कुमार द्वारा निर्मित वेब सीरीज 'सास बहू अचार प्राइवेट लिमिटेड' का निर्देशन अपूर्व सिंह कार्की ने किया है. इसमें नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित अभिनेत्री अमृता सुभाष के साथ यामिनी दास, अनूप सोनी, अंजना सुखानी और आनंदेश्वर द्विवेदी अहम रोल में हैं. सीरीज की कहानी अभिषेक श्रीवास्तव और स्वर्णदीप बिस्वास ने लिखी है. इसमें अमृता सुभाष ने सुमन का किरदार शानदार तरीके से निभाया है. उनकी अद्भुत अदाकारी इतनी सहज दिखती है कि मानो वो सच में सुमन ही हों.

सीरीज में सरप्राइज फैक्टर के रूप में यामिनी दास सामने आई है. उनको लंबे समय बाद ऐसे किरदार में देखा गया है. सास के रोल में उन्होंने समां बांध दिया है. सहायक किरदार होने के बावजूद वो अमृता के किरदार के समानांतर नजर आती है. अनूप सोनी, अंजना सुखानी और आनंदेश्वर द्विवेदी ने अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय किया है. अपूर्व सिंह कार्की का निर्देशन और अर्जुन कुकरेती की सिनेमैटोग्राफी कमाल की है. इस सीरीज को इस वीकेंड आपको जरूर देखना चाहिए.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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