सैफ अली खान को रिस्क उठाने की ताकत कहां से मिलती है, जानिए...
सैफ अली खान का फिल्मी करिअर हर तरह के रोल से भरा हुआ है. खान तिकड़ी (शाहरुख, सलमान और आमिर) के मुकाबले यह खान अपने करिअर में बेपरवाह होकर रिस्क लेता आया है. आखिर ऐसा होता भी क्यों नहीं, सैफ ने अपनी फिल्मी सफर में खुद को किसी दायरे तक सीमित नहीं रहा, और न ही वो स्टारडम की रेस में शामिल हुए.
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इस बात से कोई इन्कार नहीं है कि सैफ अली खान आज भी बॉलीवुड के सबसे प्रतिभाशाली सितारों में से एक हैं. ये अलग बात है कि 'खान तिकड़ी' की तरह सैफ अली खान को आज भी वो सफलता नहीं मिल पाई है, जिसके वो हकदार हैं. 1993 में यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म परंपरा के साथ बड़े पर्दे पर डेब्यू करने वाला ये अभिनेता हमेशा से ही नए प्रयोगों को लेकर तैयार रहा. नवाबी विरासत और कभी खान उपनाम के बोझ के चलते सैफ ने कभी भी अपना ध्यान कॉमर्शियल सिनेमा से हटकर प्रोजेक्ट्स में नहीं लगाया. अपने करियर के शुरुआती वर्षों में सैफ के रंग-ढंग, जो उनका ट्रेडमार्क बन गए थे, उसे उन्होंने पीछे नहीं छोड़ा. अमेजन प्राइम वीडियो पर सैफ अली खान अभिनीत सीरीज 'तांडव' रिलीज होने वाली है. उससे पहले नजर डाल लेते हैं कि वो क्या है, जिसने सैफ में इतना आत्मविश्वास भर दिया है.
फ्लॉप से शुरुआत और फिर बन गए सेंकेड लीड हीरो
बॉलीवुड में सैफ अली खान का ढाई दशक लंबा सफर एक 'स्टीरियोटाइप' अभिनेता के रूप में पूरा हुआ. सैफ की शुरुआती पांच फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर सकीं. इसके बाद सैफ अली खान ने अभिनेता अक्षय कुमार के साथ दो फिल्मों में सेकेंड लीड रोल किया. ये दोनों ही 1994 की रोमांटिक फिल्म ये दिल्लगी और एक्शन-ड्रामा मूवी मैं खिलाड़ी, तू अनाड़ी सबसे ज्यादा कमाई वाली फिल्में बनीं. फिल्म ये दिल्लगी का चार्टबस्टर गाना 'ओले ओले' उन किरदारों का पर्याय बन गया, जो 'छोटे नवाब' ने बाद की फिल्मों में निभाए. इस गाने ने सैफ को 'डांस कर सकने वाले' इकलौते खान के रूप में खास पहचान दिलाई. लेकिन, इससे सैफ का बॉक्स ऑफिस को लेकर भाग्य नहीं बदला. उन्हें वो रोल नहीं मिले, जिसके वो लायक थे.
उन दिनों अपने निर्विवाद आकर्षण और उत्कृष्टता के लिए उत्साह के बावजूद, सैफ को केवल एक सहायक अभिनेता के रूप में कास्ट करने के लिए अच्छा माना जाता था. क्योंकि, 90 के दशक के उस बेहतर हिस्से में उनकी हीरो के रूप में लीड रोल वाली फिल्में लगातार फ्लॉप हो रही थीं. कहने की जरूरत नहीं है कि इस दौरान उन्होंने फिल्मों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए मल्टी-स्टारर और डबल हीरो वाली ढेरों फिल्में साइन की.
'खान तिकड़ी' के पीछे ही रहा करियर
सैफ अली खान ने मशहूर 'खान तिकड़ी' के लिए भी सपोर्टिंग रोल किए. 1999 की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्म हम साथ साथ हैं, में उन्होंने सलमान खान के भाई का रोल किया. वहीं, दिल चाहता है में आमिर खान और कल हो ना हो में शाहरुख खान के दोस्त की भूमिका निभाई थी. यहां एक बात काफी दिलचस्प है कि भले ही सलमान, शाहरुख, आमिर और सैफ अली खान ने एक ही समय के आसपास डेब्यू किया था, लेकिन सैफ 2001 में 'दिल चाहता है' की रिलीज के बाद लोगों पर प्रभाव डाल सके. जबकि, इस दौरान तीनों खान बॉलीवुड में खुद को बड़े नामों के रूप में स्थापित कर चुके थे.
'दिल चाहता है' के बाद दिखा अलग अवतार
'दिल चाहता है' की रिलीज के बाद सैफ की रोमांटिक कॉमेडी फिल्मों में कास्टिंग के बाद चीजें उनके हक में आने लगीं. सैफ ने मॉडर्न युवा के रूप में सक्षम रोल निभाते हुए काफी प्रशंसा पाई. लंबे समय बाद सैफ अली खान ने बतौर हीरो अपनी फिल्म हिट फिल्म हम तुम दी. जिसने उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी दिलाया. उन्होंने इस दौरान ड्रामा फिल्म परिणीता और रोमांटिक-कॉमेडी सलाम नमस्ते में भी रोल निभाया.
ये कहना सही होगा कि 2000 के दशक के मध्य में सैफ अली खान कल हो ना हो, हम तुम और सलाम नमस्ते जैसे प्रोजेक्ट्स के चलते मल्टीप्लेक्स फिल्मों के पोस्टर ब्वॉय बन गए थे. इस बात का जिक्र जरूरी है कि इस दौरान प्रीति जिंटा और रानी मुखर्जी के साथ उनकी ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री को भी दर्शकों ने खूब सराहा.
फिल्मस्टार नहीं, सैफ बने रहे एक एक्टर
सैफ अली खान परंपरागत रूप से बॉक्स ऑफिस का एक बड़ा हिस्सा नहीं रहे थे, इसलिए उन्हें कई अन्य कई तरह की भूमिकाओं के लिए कास्ट किया जा सकता था और उन्हें किया भी गया. इसने सैफ को खान तिकड़ी के सामने अलग जॉनर की कई और फिल्में करने का मौका भी दिया. वह इंग्लिश फिल्म बीइंग साइरस में एक सफल अप्रेंटिस बने, तो जॉम्बीज पर बनी एक्शन-कॉमेडी फिल्म 'गो गोवा गॉन' में उन्होंने जॉम्बी स्लेयर बोरिस के रूप में विश्वसनीय रोल निभाया. वहीं, निर्देशक जोड़ी अब्बास-मस्तान की मेगा-हिट फिल्म 'रेस' में रणवीर सिंह के रूप में उन्होंने सिल्वर स्क्रीन पर स्टाइल और मर्दानगी को नए सिरे से परिभाषित किया, जिससे ये फ्रैंचाइजी बहुत हद तक उनकी बन गई थी.
जहां एक ओर शाहरुख खान ने डर और बाजीगर जैसी फिल्मों में निगेटिव रोल के बाद ऐसा कोई किरदार नहीं निभाया. वहीं, सलमान या आमिर ने ऐसे किरदारों से दूरी बना रखी थी. इसी के चलते सैफ अली खान ने जमकर निगेटिव रोल्स भी किए. उन्होंने श्रीराम राघवन की थ्रिलर फिल्म 'एक हसीना थी' में जोड़-तोड़ करने वाले व्यवसायी के अपने किरदार के लिए काफी आलोचनात्मक सराहना हासिल की. वहीं, शेक्सपियर के एक नाटक पर बनी विशाल भारद्वाज की समीक्षकों द्वारा सराही गई और कॉमर्शियल रूप से हिट फिल्म ओमकारा में भी उन्होंने एक दमदार किरदार निभाया था. लंगड़ा त्यागी की भूमिका में सैफ ने दर्शकों को चौंका दिया था. इस भूमिका ने उन्हें बड़े पर्दे पर मशहूर सितारों की लिस्ट में जगह दिलाई. इस फिल्म ने सैफ को हर दूसरी रिलीज के साथ 'टॉम क्रूज लुक' की झलक दिखाने वाले एक्टर के स्टीरियोटाइप से भी निकाला.
लीक से हटकर फिल्में करने में कभी हिचकिचाए नही
हालिया दौर में सैफ इकलौते खान नही हैं, जिन्होंने लीक से हटकर स्क्रिप्ट के साथ अपनी किस्मत आजमाई है. शाहरुख खान ने अपनी कॉमर्शियल फिल्मों को एक अलग जॉनर के साथ बनाने की कोशिश की. शाहरुख की फैन और जीरो जैसी इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर पानी तक नहीं मांगा और उन्हें नुकसान उठाना पड़ा. वहीं, आमिर खान, जो अपने फिल्मों के बेहतरीन चयन के लिए जाने जाते हैं, उन्हें भी ठग ऑफ हिंदोस्तान के रूप में एक बड़ा झटका लगा. अगर हिट फिल्मों के साथ बॉक्स ऑफिस पर सलमान खान के कब्जे की बात करें तो, अक्षय कुमार एक साल में कम से कम चार फिल्मों से काम करते हैं और उन्होंने सलमान के लिए लीक से हटकर कुछ करने के लिए जगह नहीं छोड़ी है.
दूसरी तरफ सैफ अली खान अन्य जॉनर की फिल्में भी लगातार करते रहते हैं. अक्षत वर्मा की ब्लैक कॉमेडी फिल्म कालाकांडी में रिलीन के रूप में उन्होंने बता दिया कि कोई भी सफर बिना जिद के पूरा नहीं किया जा सकता है. वहीं, नितिन कक्कड़ की जवानी जानेमन में उन्होंने अपने पुराने किरदार में लौटते हुए एक प्लेब्वॉय की भूमिका निभाई, जो लोगों की चिंता करता है. हालांकि, दो दशकों से अधिक समय तक कॉमर्शियल फिल्मों में काम करने के बाद सैफ ने सैक्रेड गेम्स में सरताज सिंह का किरदार निभाते हुए फिर से सुर्खियां बटोरी थीं. इस वेब सीरीज ने भारतीय ओटीटी शो के ग्लोबल लेवल पर जाने के रास्ते खोल दिए.
यहां ये भी नहीं भूलना चाहिए कि सैफ अली खान इकलौते खान हैं, जिन्होंने एलओसी: कारगिल जैसी युद्ध पर बनी ड्रामा फिल्म के साथ ही निर्देशक नवदीप सिंह की 'ए' सर्टिफिकेट वाली फिल्म लाल कप्तान में एक बिना नाम का किरदार भी निभाया है. इन सभी फिल्मों में एक बात आम है और वह यह है कि सैफ अली खान अपने निभाए गए किरदार में गलती के लिए कोई जगह नहीं छोड़ते हैं. ये चौंकाने वाली बात नहीं है कि बीते साल की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर तान्हाजी: द अनसंग वॉरियर में सैफ द्वारा अभिनीत उदयभान सिंह के किरदार ने दर्शकों के मन में एक अलग छाप छोड़ी थी.
एक तरह के रोल से की तौबा
इन सारे किरदारों को निभाकर सैफ ने खुद को एक हीरो के रूप में स्थापित करने में सफलता हासिल की है. वो एक ऐसे हीरो हैं, जो किसी एक जॉनर में बंधकर नहीं रहे. जबकि, उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में ज्यादातर 'मुख्य सहायक अभिनेता' का किरदार निभाया था. उन्होंने हम तुम और लव आज कल की रिलीज के बीच और फिर कॉकटेल के रूप में बतौर लीड हीरो बड़ी सफलता हासिल की.
वहीं, सैफ ने अगले चरण के लिए खुद का सबसे बेहतर हिस्सा बचाया हुआ है. एक बेहतरीन एक्टर के रूप में सैफ के पास ऐसा बहुत कुछ है, जो सामने आना बाकी है. उनकी आने वाली वेब सीरीज तांडव का 15 जनवरी को अमेजन प्राइम वीडियो पर प्रीमियर होगा. इसमें सैफ को खादी कुर्ता पहने हुए चाणक्य जैसे राजनीतिज्ञ के साथ राजनीति की दुनिया को जीतने की महत्वाकांक्षा रखने वाले किरदार में देखा जाएगा. लोगों का इसके लिए इंतजार मुश्किल हो रहा है कि इस बार छोटे नवाब ने उनके लिए क्या छुपा रखा है.
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