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Updated: 01 जून, 2021 03:30 PM
अनुज शुक्ला
अनुज शुक्ला
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राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई को लेकर घटिया वर्ड ऑफ़ माउथ के बाद सलमान खान से जुड़े तीन मुद्दे बहसतलब हैं. एक- बतौर लीड एक्टर करियर ख़त्म हो चुका है. दो- भविष्य में एक्टर की योजना क्या होनी चाहिए. तीन- एक्टर खुद को कैसे मुश्किल फेज से बाहर निकालेंगे. राधे के बाद बहुत सारे रिपोर्ट्स और रिव्यूज सामने आ चुके हैं. यहां तक कि एक्टर के पिता सलीम खान ने भी कुछ खामियों को रेखांकित किया.

आलोचना और मूल्यांकन के बहाने जो समीक्षाएं आईं उसमें कई वाजिब चीजों की ओर सलमान को ध्यान देने की जरूरत है. सलमान ही नहीं दूसरे कलाकारों को भी एक्टिंग फ्रंट पर इस तरह के हालात से गुजरना पड़ता है. दरअसल, कितना भी बड़ा एक्टर हो उसके करियर में अलग-अलग पड़ाव/बेसलाइन होते हैं. खासकर बड़े एक्टर उम्र की ढलान के साथ कई बार अप्रासंगिक और बेमतलब की भूमिकाओं को करते रहते हैं. असफल भी होते हैं जो कायदे से एक सबक या संकेत ही होता है. सलमान पिछल कुछ साल में जिधर से होकर गुजर रहे हैं, राजेश खन्ना, धर्मेन्द्र, अमिताभ, ऋषि कपूर, अनिल कपूर, गोविंदा और शाह रुख खान, अक्षय कुमार जैसे सितारों को भी वैसे अनुभव या संकेत मिले हैं. इसे सहज और समय से समझने वालों का करियर चमकता हुआ देखा जा सकता है. जो नहीं समझ पाए उनके सितारे गर्दिश में चले गए.

एक बार आज के आमिर खान को देखिए और पूछिए कि आज की तारीख में क्या वो राजा हिंदुस्तानी, गुलाम या मन जैसी कहानियां करेंगे? अक्षय कुमार भी मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी, अफलातून, जानवर या अजनबी जैसी कहानी नहीं करना चाहेंगे. अजय देवगन भी ये रिश्ते हैं प्यार के, क़यामत या जमीन को दोहरा नहीं रहे हैं. सितारों का ऐसी फ़िल्में ना करने की वजह सिर्फ ये नहीं कि अब उस तरह के कंटेंट ही नहीं बनाए जा रहे. बल्कि वैसी भूमिकाओं में खुद को फिट नहीं पाने की वजह से एक्टर बच रहे हैं. लेकिन सलमान को देखने पर पता चलता है कि एक्टर दशकभर पहले के दौर को दोहराने से बचने की बजाय जानबूझकर जोखिम मोल ले रहे हैं. जबकि बजरंगी भाईजान और सुल्तान ने उन्हें नया रास्ता दिखाया था. इन दो फिल्मों के बाद कम से कम उन्हें रेस 3, दबंग 3 और राधे से तो नहीं होकर गुजरना था. क्यों गए ये सलमान को ज्यादा अच्छी तरह से पता होगा.

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क्या लीड एक्टर के रूप में सलमान का करियर ख़त्म है?

पहली बात तो ये कि किसी भी एक्टर का करियर कभी ख़त्म नहीं होता. लीड एक्टर का मतलब खूबसूरत हीरोइन के साथ रोमांस करना, भरपूर एक्शन या सिर्फ 30 साल का छरहरा नौजवान भर नहीं होता. 55 के सलमान को ये सीधी-सीधी बात पता नहीं क्यों समझ में नहीं आ रही है. जबकि उनके ही समकक्ष अक्षय कुमार टॉयलेट: एक प्रेमकथा में मैच्योर सोशल लवस्टोरी देते हैं. अजय देवगन (दृश्यम, दे दे प्यार दे दे) और आमिर खान (दंगल) में टीनएज लड़कियों के पिता की प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं. सलमान के लिए वांटेड का दौर कब का पीछे निकल चुका है. शाहरुख को भी चक दे इंडिया जैसी फिल्मों ने रास्ता दिखाया था लेकिन "किंग ऑफ़ रोमांस" बने रहने के भूत ने उनको कहीं का नहीं छोड़ा. पठान या आने वाले समय में वो एकाध ब्लॉक बस्टर दे भी देते हैं बावजूद एक्टिंग फ्रंट पर उनकी बादशाहत कब की ख़त्म हो चुकी है.

सलमान के पास अभी समय है. उनका करियर ख़त्म नहीं है. और इसकी वजह लोग उनके प्रति बेपनाह प्यार है. उनकी घटिया से घटिया फिल्म भी कम से कम 100 करोड़ या उससे ज्यादा कैसे कमा लेती है यह लोगों को बार बार हैरान करता है. हाल की समीक्षाओं में जो पॉइंट निकलकर सामने आ रहा है उसका सिर्फ एक ही संकेत है- अब सलमान को ठहरकर सोचना चाहिए. पीछे की गलातियों के सबक पर.

भविष्य में सलमान की क्या योजना होनी चाहिए

एक्टर के पिता सलीम खान ने हाल में राधे की कहानी और सलमान की पिछली कुछ फिल्मों को मसालेदार बनाने की प्रक्रिया की आलोचना की थी. वो बेटे को बचाते नजर आए लेकिन मसाले के जरिए फिल्म को रंगीन बनाने पर उन्होंने कड़ा ऐतराज जताया. उन्होंने ठीकरा बेसिरपैर की राधे की कहानी पर फोड़ा. बॉलीवुड हंगामा ने सलमान को लेकर कुछ ट्रेड एनालिस्ट्स से बातचीत की. यहां भी एक्सपर्ट ओपिनियन में यही बात सामने आ रही है कि सलमान को फिल्मों के कंटेंट पर काम करना होगा. उन्हें अच्छी कहानियां तलाश करनी होंगी. अच्छी कहानियों के साथ अच्छे निर्देशक भी खोजने होंगे. वैसे उनके कॉन्टेक्ट लिस्ट में तगड़े नाम पहले से ही सुरक्षित हैं. तरण आदर्श ने तो यहां तक कहा कि सलमान को संजय लीला भंसाली और एसएस राजमौली जैसे निर्देशकों के पास जाना चाहिए. कोई उन्हें मना नहीं करेगा.

लेकिन सलमान जिस वक्त दबंग 3 और राधे को समय दे रहे हैं उसी वक्त में खुद पर लिखी गई भंसाली की "इंशाअल्लाह" को मना कर दे रहे हैं. वजह क्रिएटिव डिफरेंस. सलमान को बजरंगी भाईजान या सुल्तान वाली छवि की जगह वांटेड में ज्यादा अपील दिख रहा. एक्टर ने फिल्म छोड़ दी थी. अभी कुछ दिन पहले खबरें थीं कि भंसाली सलमान को लेकर फिल्म प्लान कर रहे हैं. भंसाली का सक्सेस रेट और उनकी पिछली फिल्मों के आधार पर कहा जा सकता है कि सलमान रेस 3 या राधे से ज्यादा फायदा मिलता. वैसे भी भंसाली खामोशी और हम दिल दे चुके सनम में सलमान के सबसे बेहतरीन फ्रेम पहले ही दिखा चुके हैं. भंसाली जैसे एक्टर्स पर भरोसा करना वक्त के साथ सलमान की सबसे बड़ी जरूरत है.

सलमान मुश्किल दौर से कैसे बाहर निकलेंगे?

बॉलीवुड में उतार चढ़ाव सामान्य बात है. ये कभी स्थायी नहीं होते. एक फिल्म का एक शुक्रवार किसी भी एक्टर को आसमान पर बिठा सकता है. और एक झटके में रसातल में धंसा सकता है. टाइगर फ्रेंचाइजी की दो सशक्त कहानियों और एक्टर के स्टारडम के आधार पर तीसरे पार्ट का सक्सेसफुल होना लगभग तय है. टाइगर 3 के साथ सलमान फिर फ्रंट स्टीयरिंग पर होंगे. लेकिन यशराज कैम्पस की फिल्म से उन्हें जो रफ़्तार हासिल होगी अगर उसे आगे बनाए रखेंगे तभी अगले पांच से छ साल उनकी बादशाहत कायम रहेगी. वो खुद इस बात को स्वीकार कर चुके हैं उनका मुकाबला इस वक्त किस पीढ़ी के एक्टर्स से है.

राधे के बाद सलमान के लिए पांच सबसे जरूरी बातें

1) उन्हें सिर्फ वही फ़िल्में लेना चाहिए जिसकी कहानी में दम हो और दर्शकों को दो-ढाई घंटे बांधे रहे.

2) उन्हें कन्टेम्प्रेरी निर्देशकों के साथ काम करना चाहिए. ऐसे निर्देशकों की ओर से सलमान को ऑफर भी मिल रहे हैं उसे स्वीकार करना चाहिए.

3) सलमान को खुद अच्छे निर्देशकों से संपर्क कर उन्हें आजादी देकर काम मांगना चाहिए.

4) अगर कैरेक्टर में दम हो तो सलमान को बड़ी उम्र के किरदारों से परहेज नहीं करना चाहिए.

5) रेस 3 और राधे जैसी फिल्मों की बजाय सलमान को बजरंगी और सुल्तान जैसे एवरग्रीन कंटेट पर फोकस करना चाहिए.

लेखक

अनुज शुक्ला अनुज शुक्ला @anuj4media

ना कनिष्ठ ना वरिष्ठ. अवस्थाएं ज्ञान का भ्रम हैं और पत्रकार ज्ञानी नहीं होता. केवल पत्रकार हूं और कहानियां लिखता हूं. ट्विटर हैंडल ये रहा- @AnujKIdunia

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