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Updated: 22 जुलाई, 2015 07:59 PM
मोइना हलीम
मोइना हलीम
  @moeena.halim
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सलमान भाई की कई गलतियों को माफ नहीं किया जा सकता लेकिन उनके प्रशंसकों ने बजरंगी भाईजान की रिलीज के साथ सब कुछ भुला दिया. यह साफ है, आप कह सकते हैं. लेकिन हकीकत में क्या नहीं है. क्या सिर्फ स्टाल में बैठने वाले टपोरी ही सलमान के हर डांस स्टेप पर सीटी बजाते हैं? या फिर बालकनी में बैठने वाले भी.

अगर आप सिंगल स्क्रीन की बात से वाकिफ नहीं हैं, तो बालकनी की सीटें साफ तौर पर दर्शकों को उन लोगों से अलग कर देती हैं, जो स्टाल में बैठते हैं या नीचे सर्कल में बैठतें हैं. उनकी सीटें स्क्रीन के करीब लगी होती हैं जाहिर तौर पर उनका टिकट भी सस्ता होता है. जब मुन्नाभाई को लड़की मिल जाती है या भुवन की टीम गोरों से मैच जीत जाती है, तो यही नीचे बैठे दर्शक होते हैं जो मस्ती में झूमने लगते हैं, ये लोग उस वक्त तालियां और सीटी बजाते हैं जब बालकनी में बैठे दर्शक पॉपकॉर्न खा रहे होते हैं या कोला का घूंट भर रहे होते हैं.

लेकिन बजरंगी भाईजान की स्क्रीनिंग के दौरान सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल में बालकनी और स्टाल के बीच के अंतर का यह पूर्वानुमान बिखर गया था. और यहां केवल एक स्पष्टीकरण हो सकता है उस बात के लिए जो इस वीकेंड पर रिलीज के दौरान मैंने मुंबई के कुछ बाकी बचे सिंगल स्क्रीन सिनेमा में से एक चंदन में देखा. सलमान खान एक घटना हैं!

मैं पहले काफी हैरान थी कि कैसे फिल्म के पहले दस मिनट बीते- भीड़ विचलित थी. बेपरवाही भरा माहौल भाई की फिल्म के लिहाज से बेहतर नहीं था. यहां मैं बताना चाहती हूं कि यह पहली बार नहीं था कि जब मैं चंदन में सलमान खान की फिल्म देख रही थी. और यहां तक कि मैं खुश थी कि थिएटर में आने वाले लोगों ने गले में 'एक था टाइगर' की तरह स्कार्फ पहन रखे थे. "सेल्फी ले ले रे" गीत पर उनकी एंट्री हुई. मैं क्या प्रतिक्रिया दूं, इस बारे में सोचने के लिए मुझे एक नैनो सैकेंड का भी समय नहीं मिला. गीत की शुरुआत के बाद का उन्माद पूरी तरह से यादगार था.

यह किसी भी कन्सर्ट के बिल्कुल उलट था जिसमें आप ने भाग लिया हो- यहां तक कि जस्टिन बीबर के म्यूजिक प्रोग्राम में भी किशोरियों की तुलना में यह सब प्रतीत होता है. यह देखते हुए वहां कुछ लगा नहीं था, लेकिन सभी प्रशंसक अपने "भाई" के साथ पागलों की तरह नाच रहे थे. चंदन के प्रबंधन को सुरक्षाकर्मी बुलाने पड़े. यह सिर्फ अभिनेता के साथ स्टेप मिलाने तक नहीं था बल्कि वहां दस रुपये के नोटों की बौछार की जा रही थी (स्टाल में अन्य प्रशंसक भी धीरे-धीरे आ रहे थे, और कहां). अजीब बात थी, सभी के सिर पर भूत सवार था. उनके प्रशंसक वन्स मोर, वन्स मोर चिल्लाते रहे जब तक उन्हें इस बात का अहसास नहीं हो गया कि यह एक फिल्म है, न कि केवल स्टार का लाइव एंट्री सांग जिसे वे देखने आए थे.

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लेखक

मोइना हलीम मोइना हलीम @moeena.halim

लेखिका मुंबई में इंडिया टुडे की एसोसिएट एडिटर हैं.

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