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Updated: 10 फरवरी, 2023 05:20 PM
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भारत के महान इतिहास की कहानी सिनेमाघरों के रुपहले परदे पर आने वाली है. शाकुंतलम- भूमिपुत्रों की वह कहानी जिसमें महाभारत से पहले का हस्तिनापुर है और आज के भारत की नींव है. गुणाशेखर ने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कृति जिसे कालिदास ने अभिज्ञान शाकुंतलम के रूप में लिखा था. गुणाशेखर की फिल्म मूलत: तेलुगु में है मगर इसे पैन इंडिया रिलीज किया जाएगा. यानी तेलुगु के साथ-साथ यह फिल्म तमिल, मलयालम, कन्नड़ और हिंदी में रिलीज की जाएगी. शकुंतला की मुख्य भूमिका सामंथा प्रभु ने निभाई है. शकुंतला की कहानी के जरिए दुनिया को पता चलेगा कि आखिर हजारों साल पहले भारत की संस्कृति, समाज और मानवीय मर्यादा क्या थी. धर्म क्या था. शाकुंतलम को इसी साल 14 अप्रैल के दिन रिलीज किया जाएगा. फिल्म की रिलीज डेट री शेड्यूल की गई है.

शाकुंतलम एक महागाथा है. ढाई घंटे की फिल्म में उसे दिखाना चुनौतीपूर्ण काम है. लेकिन फिल्म के ट्रेलर से पता चलता है कि गुणाशेखर ने महागाथा को उसी स्केल पर बनाया है- जो की कहानी की जरूरत थी. सामंथा के अलावा फिल्म में अल्लू अर्जुन की बेटी ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. फिल्म में देव मोहन, मोहन बाबलू, अदिति बालन, अनन्या नगल्ला, प्रकाश राज, गौतमी और मधु अहम भूमिकाओं में हैं. असल में शाकुंतलम देवी शकुंतला और पुरु वंशी सम्राट दुष्यंत की प्रेम कहानी है. कहानी का मूल संदर्भ महाभारत का आदिपर्व है जिससे प्रेरित होकर कालिदास ने नाटक लिखा था. इसमें भारत का ही इतिहास है.

शाकुंतलम का ट्रेलर नीचे देखें:-

फिल्म से पहले शकुंतला की कहानी जान लीजिए

इसमें प्रेम है, वियोग है, शौर्य है और भारतीय समाज के निर्माण की कहानी है. शकुंतला असल में विश्वामित्र और इंद्र की अप्सरा मेनका की बेटी थी. मेनका स्वर्ग की सर्वश्रेष्ठ सुन्दरी थी जिसे ऋषि विश्वामित्र का तप भंग करने के लिए भेजा गया था. अप्सरा पर विश्वामित्र मोहित हो गए थे. उनके प्रेम से एक रूपवती बेटी के रूप में शकुंतला का जन्म हुआ. लेकिन विश्वामित्र और मेनका ने शकुंतला को जंगल में ही छोड़ दिया था. जंगल के हिंसक पशुओं से शकुंतला की रक्षा पक्षियों ने की थी. बाद में कण्व ऋषि को मासूम बच्ची के बारे में पता चला तो वह उसे अपने आश्रम लेकर आए और बेटी की तरह पाला.

शकुंतला सुंदर तो थी ही तमाम मानवीय गुणों से भरी थी. एक बार हस्तिनापुर के सम्राट दुष्यंत जंगल में शिकार करते-करते कण्व ऋषि के आश्रम पहुंच गए. पिता कण्व की अनुपस्थिति में शकुंतला ने दुष्यंत और उनके दल का आतिथ्य संस्कार किया. दुष्यंत ऋषि कन्या का रूप और गुण देखकर मोहित हो गए. दोनों को प्रेम हो गया. शकुंतला ने शर्त रखी थी कि उसके गर्भ से जन्म लेने वाला बेटा ही हस्तिनापुर का सम्राट बनेगा. दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया. दुष्यंत, शकुंतला को एक अंगूठी देकर हस्तिनापुर लौट गए. महाभारत के आदिपर्व में अंगूठी का वृतांत नहीं आता. यह कल्पना कालिदास ने की थी.

shakuntalamशाकुंतलम का एक दृश्य.

बताते चलें कि भारतीय परंपरा में विवाह आठ प्रकार के होते हैं. गंधर्व विवाह उनमें से एक था जिसमें वर और कन्या बिना मातापिता की अनुमति के विवाह कर लेते हैं. विवाह को शास्त्रीय मान्यता है और यह आज के प्रेम विवाह की तरह ही है जिसमें कोई लड़का और लड़की माता पिता की अनुमति के बिना एक दूसरे को स्वीकार कर लेते हैं. गंधर्व विवाह से शकुंतला गर्भवती हुई. कण्व जब आश्रम वापस लौटे तो उन्हें दुष्यंत के साथ बेटी के गंधर्व विवाह की बात सुनकर बहुत खुशी हुई. प्रसव का समय नजदीक आने से पहले कण्व ऋषि ने शकुंतला को आश्रम से हस्तिनापुर के लिए विदा किया. आदिपर्व और अभिज्ञान शाकुंतलम दोनों जगह आश्रम से शकुंतला की विदाई का मार्मिक चित्रण है. कण्व ऋषि कहते नजर आते हैं कि सगा पिता नहीं होने के बावजूद बेटी के जाने पर वह इतना ग़मगीन हैं तो उन पिताओं पर क्या गुजरती होगी जिंकी सगी बेटियां घर से विदा होती हैं.

खैर, शकुंतला पिता के आश्रम से विदा होकर दुष्यंत के दरबार पहुंच जाती हैं. यहां दो कथाएँ हैं. आदिपर्व के मुताबिक़ लोकलाज से दुष्यंत शकुंतला को पहचानने से इनकार कर देते हैं जिसे कालिदास ने दुर्वासा के श्राप का रूपक गढ़ते हुए स्मृति भंग हो जाने की कल्पना के रूप में लिया है. चूंकि दुष्यंत ने जो अंगूठी दी थी वह खो जाती है इस वजह से वह अपनी पत्नी शकुंतला को पहचान नहीं पाते. जिसके बाद वह अपमानित होकर वापस लौट आई. एक गर्भवती दुखी हारी का कोई सहारा नहीं था. ऐसे में शकुंतला की मां ने मेनका को कश्यप ऋषि के आश्रम में पहुंचा दिया. जहां शकुंतला ने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया. उसका नाम भारत था. वह सिंह की तरह निडर शक्तिशाली थे और उनमें तपस्वियों जैसा तेज था. कालिदास की कहानी में आता है कि खोई अंगूठी मिलने के बाद दुष्यंत अपनी पत्नी को पहचान लेते हैं. जबकि मूल यानी आदिपर्व में आकाशवाणी होने का संदर्भ है.

याद आने के बाद दुष्यंत, शकुंतला को स्वीकार कर लेते हैं. भारत हस्तिनापुर के प्रतापी सम्राट बनते हैं. उन्हीं के नाम पर आर्यावर्त का नाम भारत रखा गया. बाद में भरत के ही एक वंश की शाखा कुरु के रूप में नजर आती है जो हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठती है. कुरु वंश की कहानी में भी सम्राट शांतनु और निषादकन्या सत्यवती का प्रेम दिखता है. शांतनु से पहले ऋषि पाराशर के साथ संसर्ग की वजह से सत्यवती के गर्भ से महाभारत लिखने वाले वेदव्यास का जन्म हुआ था. जिनके वजह से विधवा हो चुकी अम्बा और अम्बालिका ने गर्भधारण किया और कुरु वंश आगे बढ़ा.

कुल मिलाकर वैदिक भारत की महान कहानी के जरिए व्यापक दर्शकों को पहली बार पता चलेगा कि आखिर एक देश के रूप में भारत और उसके समाज का हजारों साल पहले किस तरह निर्माण हुआ.

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