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Updated: 20 मार्च, 2021 11:10 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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अर्जुन कपूर और परिणीति चोपड़ा की फिल्म 'संदीप और पिंकी फरार' (Sandeep Aur Pinky Faraar) करीब तीन साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज कर दी गई. साल 2017 में इस फिल्म को बनाने का ऐलान हुआ था. फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर दिबाकर बनर्जी है. क्राइम थ्रिलर जॉनर की इस फिल्‍म में रघुबीर यादव, नीना गुप्‍‍‍‍ता, अर्चना पूरण सिंह, सतीश शाह और जयदीप अहलावत भी मुख्य भूमिका में हैं. अर्जुन कपूर और परिणीति चोपड़ा की एक साथ यह तीसरी फिल्म है. इससे पहले दोनों फिल्म इशकजादे (2012) और नमस्ते इंग्लैंड (2018) में एक साथ नजर आ चुके हैं.

दिबाकर बनर्जी ने 'खोसला का घोसला' (2006), 'ओए लकी लकी ओए' (2008) और 'लव सेक्स और धोखा' (2010) जैसी फिल्में बनाई हैं, जो मिडिल क्लास के छोटे सपनों और इच्छाओं की कहानियों पर आधारित थीं. दिबाकर जबतक ऐसी कहानियां लेकर दर्शकों के सामने आते रहे, उनको सफलता मिलती रही, लेकिन जैसे ही उनका टेस्ट बदला, कहानियां और उनके पात्र बदल गए. वो बड़े घरों और बड़े सपनों की कहानियां बुनने लगे. इसके बाद सफलता की गाड़ी पटरी से उतर गई. शंघाई (2012), डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी (2015), लस्ट स्टोरीज (2018) और घोस्ट स्टोरीज (2020) जैसी फिल्में भी प्रभावहीन थीं.

इस बार दिबाकर बनर्जी ने एक नया प्रयोग किया है. कारपोरेट जगत की कहानी में देसी किरदारों को आजमाया है. फिल्म 'संदीप और पिंकी फरार' में बैंकिंग सेक्टर में होने वाले घोटाले और भ्रष्टाचार की कहानी में हरियाणा के ठेठ पुलिसवालों के किरदार को ऐसे बुना है कि लोगों को रियलिस्टिक लगे. इसमें उन्होंने बैंक फ्रॉड, उससे लोगों को होने वाली परेशानियों, समाज के ऊंचे-नीचे तबके के बीच की खाई से लेकर क्राइम, थ्रिलर और कॉमेडी तक डाली है. लेकिन किसी भी मुद्दे को अंजाम तक पहुंचाने में असफल रहे हैं. संतुलन भी कायम नहीं रख पाए हैं. नतीजा फिल्म इंटरवल के बाद बिखर जाती है.

फिल्म की कहानी (Sandeep Aur Pinky Faraar Film Synopsis)

फिल्म 'संदीप और पिंकी फरार' की कहानी दिल्ली के एक बैंक अफसर सैंडी उर्फ संदीप कौर (परिणीति चोपड़ा) की इर्द-गिर्द घूमती है. फिल्म के केंद्र में परिणीति चोपड़ा ही हैं, यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी. सैंडी अपने बॉस के कहने पर बैंक में घोटाला करती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है. इसी बीच किसी बात पर उसका अपने बॉस के साथ झगड़ा हो जाता है. वह बैंक के सारे राज का खुलासा करने की धमकी देती है, तो बॉस उसे जान से मारने के लिए एक पुलिसवाले को सुपारी दे देता है. हरियाणा पुलिस में सीनियर अधिकारी त्यागी (जयदीप अहलावत) सैंडी को मारने की योजना बनाता है.

इसके लिए त्यागी अपने महकमे के एक पुलिसकर्मी पिंकी उर्फ सतिंदर दहिया (अर्जुन कपूर) को तैयार करता है. पिंकी हरियाणा पुलिस से सस्पेंडेड है, उसे अपनी नौकरी वापस चाहिए, इसलिए वो त्यागी की बात मान लेता है. संदीप को किडनैप करके एक निश्चित जगह पर ले जाकर मारने की योजना बनाई जाती है. लेकिन इसी बीच उसको पता चल जाता है कि संदीप साजिश की शिकार है और वह गर्भवती भी है. पिंकी का इरादा बदल जाता है. वह संदीप को बचाने की सोचने लगता है. उसकी सूझ-बूझ से किसी तरह संदीप की जान बच जाती है, लेकिन उसके पीछे त्यागी के गुंडे पड़ जाते हैं.

पिंकी सैंडी को लेकर भारत-नेपाल बॉर्डर के पास बसे पिथौरागढ़ पहुंच जाता है. वहां एक बुजुर्ग दंपत्ति (रघुबीर यादव और नीना गुप्ता) के घर रहने लगते हैं. पिंकी, सैंडी की मदद करता है. दोनों बॉर्डर पार नेपाल जाने का फ़ैसला करते हैं. लेकिन त्यागी उन्हें पकड़ने आ जाता है. सबको चकमा देकर सैंडी अपने बैंक के घोटाले का भंडाफोड़ करती है, जिसमें पिंकी उसका साथ देता है. पिंकी और सैंडी त्यागी को कैसे चकमा देते हैं? सैंडी अपने बैंक में हुए घोटाले का पर्दाफाश करने में कैसे सफल होती है? क्या सैंडी और पिंकी के बीच प्यार होता है? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

फिल्म का रिव्यू (Sandeep Aur Pinky Faraar Film Review)

दिबाकर बनर्जी की फिल्म 'संदीप और पिंकी फरार' में एक ही सस्पेंस है, जो इसके शीर्षक में है. फिल्म संदीप एक लड़की यानि परिणीति चोपड़ा के पात्र का नाम है, जबकि पिंकी अर्जुन कपूर के पात्र का नाम. अब इस फिल्म के मेकर्स ने ऐसा नाम क्यों चुना, ये उसी तरह समझ से परे हैं, जैसे कि इस फिल्म की कहानी. इसमें कई मुद्दों को उठाया गया है, लेकिन न्याय किसी के साथ भी नहीं हुआ. फिल्म लिखी तो है 'सेक्रेड गेम्स' वाले राइटर वरुण ग्रोवर ने, लेकिन वेब सीरीज की तरह फिल्म में कमाल नहीं कर पाए हैं. दिबाकर बनर्जी से उम्मीदें ज्यादा थीं, लेकिन इस बार उन्होंने निराश किया है.

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कोमल नाहटा: फ्लॉप फिल्म है

फिल्म इंडस्टी के जाने-माने ट्रेड एक्सपर्ट कोमल नाहटा लिखते हैं, 'फिल्म 'संदीप और पिंकी फरार' में दिबाकर बनर्जी का निर्देशन कमजोर है. स्क्रिप्ट की तरह नैरेशन भी दर्शकों पर प्रभाव छोड़ने में विफल रहता है. आम जनता ही नहीं यह फिल्म वर्ग विशेष की उम्मीदों पर भी खरी नहीं उतर पाई है. संदीप और पिंकी फरार एक फ्लॉप फिल्म है. कोरोना काल में कराह रही फिल्म इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचाने के लिए यह फिल्म काफी है.

अनुपमा चोपड़ा: औसत फिल्म है

फिल्म 'संदीप और पिंकी फरार' जिस विषय वस्तु पर आधारित है, उसके अनुरूप उसमें वह गति नहीं है. कहानी को जरूरत से ज्यादा खींचा गया है. फिल्मांकन बहुत धीमा है. लेकिन अंतत: दिबाकर ने इसे एक ऐसे क्लाइमेक्स पर पहुंचा दिया, जो संतोषजनक होते हुए भी दर्शकों को अखर जाएगा. संदीप और पिंकी फरार एक औसत फिल्म है, जिसे आप थिएटर में जाकर एक बार देख सकते हैं. लेकिन मास्क पहनना जरूर याद रखें.

मंजुशा राधाकृष्णन: शानदार अभिनय

'संदीप और पिंकी फरार धीमी गति से चलने वाली डार्क कॉमेडी है, जो दो अलग-अलग दुनिया के, दो अलग लोगों की कहानी को बयान करती है. इस फिल्म में सभी कलाकारों का अभिनय शानदार है. फिल्म देखते समय दर्शकों को धैर्य रखना होगा, क्योंकि ये फिल्म धीरे-धीरे कहानी के साथ आपके दिल में अपनी जगह बनाने में सफल होती है. कलाकारों के उम्दा अभिनय के लिए इस फिल्म को एक बार जरूर देखा जा सकता है.'

पंकज शुक्ल: दिबाकर ने दिया एक और 'धोखा'

वरिष्ठ फिल्म पत्रकार पंकज शुक्ल का कहना है कि इस फिल्म के बाद से अर्जुन कपूर का करियर संकट में आ गया है. वहीं दिबाकर बनर्जी ने दर्शकों को एक और 'धोखा' दे दिया है. वह कहते हैं, 'फिल्म हिंदी सिनेमा के निर्देशकों की उस सोच की फिल्म है जिसमें कोई निर्देशक एकाएक खुद को एक अलग तरह का फिल्मकार मानने लगता है. उसे लगता है कि उनसे इतना वर्ल्ड सिनेमा देख लिया है कि वह गलत हो ही नहीं सकता. लेकिन, 'संदीप और पिंकी फरार' के दर्शक गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ, मुरादाबाद, पटना, पुणे और जयपुर के दर्शक हैं. न्यूजर्सी के नहीं. ये उतावले दर्शक हैं.'

'इन्हें हरियाणवी पुलिस अफसर पाताललोक जैसा चाहिए. पिंकी जैसा नकली नहीं. संदीप वालिया उर्फ सैंडी में बैंकर फिर भी दिबाकर ने ठीक ठाक छाप लिया है. लेकिन, फिल्म की कहानी और निर्देशन सबसे कमजोर कड़ियां हैं. दिबाकर की फिल्मों में इंडिया और भारत का संघर्ष शुरू से रहा है। ये अंतर्धारा उन्होंने यहां भी भुनाने की कोशिश की लेकिन फिर फेल रहे. कलाकारों ने एक्टिंग अच्छी की है. फिल्म में सिनेमैटोग्राफी छोड़ कुछ प्रभावित नहीं करता. अनिल मेहता का कैमरा कमाल है, लेकिन इसके अलावा म्यूजिक से लेकर एडीटिंग और बैकग्राउंड म्यूजिक से लेकर कलर करेक्शन तक सब थोपा हुआ सा है.'

अमित कर्ण: क्‍लैरिटी कम कन्‍फ्यूजन ज्यादा

मुंबई स्थित फिल्म पत्रकार अमित कर्ण कहते हैं, 'संदीप और पिंकी फरार क्राइम जॉनर की ऐसी फिल्‍म है, जिसमें क्‍लैरिटी कम, कन्‍फ्यूजन ज्यादा है. इसके मुख्‍य किरदार अपराध क्‍यों करते हैं? उसकी ठोस वजह आधे अधूरे तौर पर स्‍थापित हो सकी हैं. यह पोटेंशि‍यल क्राइम ड्रामा फिल्‍म है. इसमें सधी हुई शुरूआत और असरदार तेवर हैं. कमी बस और ज्‍यादा ट्व‍िस्‍ट और टर्न की रह गई. दिबाकर बनर्जी को इन पहलुओं पर गौर फरमाना चाहिए. उन जैसे समर्थ फिल्‍मकार इंडस्‍ट्री के लिए ट्रीट हैं. अर्जुन कपूर, परिणीति चोपड़ा, नीना गुप्‍ता, जयदीप अहलावत और रघुबीर यादव ने अच्छी परफॉर्मेंस दी है.'

Sandeep Aur Pinky Faraar Official Trailer...

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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