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Updated: 12 अगस्त, 2021 02:54 PM
अनुज शुक्ला
अनुज शुक्ला
  @anuj4media
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देश की मिट्टी ने संगीत की ऐसी उत्कृष्ट विभूतियों को जन्म दिया जिनके हासिल पर यकीन करना कई बार मुश्किल होता है. बैजू बावरा को संगीत की उन्हीं महान विभूतियों में से एक माना जा सकता है. वे महान संगीत सम्राट तानसेन के समकालीन और गुरुभाई थे. कहा तो यह भी जाता है कि अकबर के नवरत्नों में शामिल तानसेन से बैजू बावरा कहीं ज्यादा उत्कृष्ट संगीत साधक थे. बैजू के संगीत कौशल को लेकर कई धारणाएं मशहूर हैं. बैजू के गायन में इतनी ताकत थी कि वो राग दीपक गाकर दीप जला सकते थे, राग मेघ, मेघ मल्हार, गौड़ मल्हार गाकर बारिश करा सकते थे और राग बहार गाकर फूल खिला सकते थे. संगीत के ऐसे साधक थे कि राग मालकौंस गाकर पत्थर भी पिघला सकते थे. अब ये बातें सच हैं या नहीं कोई दावा तो नहीं किया जा सकता मगर मध्यकालीन इतिहास में कुछ साक्ष्यों के हवाले से ऐसे दावे तो किए ही जाते हैं.

इन्हीं महान संगीत साधक पर संजय लीला भंसाली बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट शुरू करने जा हैं. बॉलीवुड हंगामा ने एक रिपोर्ट में कन्फर्म किया है कि बैजू के जीवन पर आधारित म्यूजिकल पीरियड ड्रामा में रणवीर सिंह को मुख्य भूमिका के लिए साइन कर लिया गया है. रणवीर इससे पहले भंसाली के साथ मध्यकालीन पीरियड ड्रामा पद्मावत और बाजीराव मस्तानी में काम कर चुके हैं और दोनों फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट रही थीं. भंसाली बैजू पर काफी दिनों से कम की योजना बना रहे थे. इसी दिशा में रणवीर सिंह को साइन किया गया है. एक्टर की कास्टिंग को भंसाली से जुड़े करीबियों ने हंगामा से कन्फर्म किया है.

slb-baiju-bawara-650_080521022125.jpgबाजीराव मस्तानी में रणवीर सिंह. सावरियां का पोस्टर- साभार विकिपीडिया

खामोशी, हम दिल दे चुके सनम, गोलियों की रासलीला, देवदास, बाजीराव मस्तानी हो या फिर पद्मावत, म्यूजिक भंसाली के फिल्मों की खासियत रही है. भंसाली के फिल्मों की लोकप्रियता में कहीं ना कहीं भव्यता के अलावा म्यूजिक का बहुत बड़ा योगदान रहा है. लेकिन कुछ साल पहले बॉलीवुड के दिग्गज निर्देशक ने रणबीर कपूर और सोनम कपूर को लेकर एक प्योर म्यूजिकल फिल्म सांवरिया बनाने की कोशिश की थी. सांवरिया में मोंटी शर्मा ने संगीत दिया था. उस साल फिल्म बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुई थी. ना तो फिल्म ने चर्चा बटोरी और ना ही उसके संगीत ने. फिल्म में 11 ट्रैक थे. इसमें से एक गाने- जब से तेरे नैना को छोड़कर बाकी गाने औसत ही साबित हुए. उन्हें वैसी सफलता नहीं मिली जिस तरह भंसाली की फिल्मों के अनगिनत गानों ने हासिल किए.

सांवरिया की कहानी में भी म्यूजिक ही केंद्र में था लेकिन वहां शायद इसके कमजोर होने का असर निश्चित रूप से फिल्म पर भी पड़ा. वैसे भी सांवरिया जिस दौर में बनाई गई थी उस वक्त फिल्मों की सफलता उनके संगीत पर भी निर्भर रहती थी. अच्छी बात यह है कि मौजूदा दौर में फिल्मों में उत्कृष्ट संगीत का होना ना होना पहले की तरह मायने नहीं रखता. अब कई फ़िल्में बिना संगीत के भी आती हैं और हिट होती हैं. लेकिन मुश्किल यह है कि बैजू के साथ भंसाली के सामने चुनौती होगी कि बैजू बावरा की कहानी देश के महान आदि संगीत पुरुष के बारे में है. जाहिर तौर पर संगीत के जरिए ही फिल्म की स्क्रिप्ट आगे बढेगी. यानी बैजू बावरा में ड्रामा के लिए भी हर हाल में अच्छे संगीत का होना नितांत जरूरी चीज है. भंसाली के लिए ऐतिहासिक संगीत बनाने की चुनौती होगी. सांवरिया का सबक भंसाली के दिमाग में होगा. और उम्दा ड्रामे के साथ ही उम्दा संगीत के लिए उन्होंने जरूर कुछ अलग से और स्पेशल प्लान किया होगा. वो क्या होगा इस पर आम दर्शकों की तरह ही संगीत जगत की भी निगाहें होंगी.

वैसे बॉलीवुड ने सेम टाइटल बैजू बावरा के नाम से फिल्म बनाई थी. ये फिल्म 1952 में आई थी. निर्देशन विजय भट्ट का था. संगीत नौशाद ने दिया था. शकील बदायूनी ने उम्दा गाने लिखे थे. नौशाद के निर्देशन में उस्ताद आमिर खान, डीवी पलुसकर, शमशाद बेगम, मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर ने राग भैरवी, राग मालकौंस, राग पिलु राग मेघ जैसे लाजवाब गाने गाए थे. उस दौर में फिल्म और उसके संगीत ने सफलता के सरे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए थे. मोहम्मद रफ़ी रातोंरात देश के सर्वश्रेष्ठ प्लेबैक सिंगर बन गए थे. उनके गाए गाने आज भी ताजा मालूम पड़ते हैं. बैजू बावरा के गाने यूट्यूब के कुछ चैनल्स पर मौजूद हैं. इन गानों को मिले लाखों करोड़ों व्यूज सबूत हैं कि 71 साल होने के बावजूद बैजू बावरा के संगीत का जादू कम नहीं हुआ है.

baiju-bawra-1952_080521020520.jpgबैजू बावरा का पोस्टर, फोटो विकीपीडिया कॉमन्स.

जाहिर सी बात है कि भंसाली के सामने सांवरिया का सबक तो होगा कि बैजू बावरा के संगीत का भी बेंचमार्क होगा. कम से कम उस बेंचमार्क के आसपास धुनें और गाने रचना उनके प्रोजेक्ट के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी. ब्लैक एंड व्हाईट में आई बैजू बावरा में भारत भूषण ने मुख्य भूमिका निभाई थी. उनके अपोजिट भारतीय सिनेमा की कालजयी अभिनेत्री मीना कुमारी थी. तब दोनों कलाकारों की शोहरत में इस फिल्म ने चार चांद लगाए थे. बैजू बावरा मेगाहिट थी. फिल्म थियेटर्स में लगातार 100 हफ्ते तक चली थी. 100 हफ्ते समझ रहे हैं ना. करीब 20 महीने से ज्यादा.

लेखक

अनुज शुक्ला अनुज शुक्ला @anuj4media

ना कनिष्ठ ना वरिष्ठ. अवस्थाएं ज्ञान का भ्रम हैं और पत्रकार ज्ञानी नहीं होता. केवल पत्रकार हूं और कहानियां लिखता हूं. ट्विटर हैंडल ये रहा- @AnujKIdunia

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