शोले नहीं, मौका मिलते ही देख लीजिए द ग्रेट संजीव कुमार की ये 6 फ़िल्में!
संजीव कुमार (Sanjeev Kumar) 47 साल की कम उम्र में ही दुनिया छोड़कर चले गए. लेकिन निधन से पहले उन्होंने एक एक्टर के रूप में हिंदी सिनेमा जगत में बेहतरीन मुकाम बनाया. उनके द्वारा निभाई कई चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं बेमिसाल हैं.
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बॉलीवुड के हर दौर में संजीव कुमार (Sanjeev Kumar) की गिनती सबसे उत्कृष्टतम अभिनेताओं में की जाएगी. हो भी क्यों ना. संजीव कुमार के अलावा शायद ही कोई अभिनेता मिले जिसने अपने करियर में सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं की हों. वे एक फिल्म में नौजवान प्रेमी की भूमिका निभाते दिखते हैं तो उसी समय बन रही किसी दूसरी फिल्म में बुजुर्ग की भूमिका में होते हैं. ऐसी फ़िल्में भी कीं जिसमें एक साथ उन्होंने नौजवान और बुजुर्ग की भूमिकाएं निभाई. उन्होंने हर तरह का सिनेमा किया.
बॉलीवुड की ना जाने कितनी फ़िल्में संजीव कुमार के अभिनय की वजह से ही याद की जाती हैं. वैसे तो करियर में उन्होंने बहुत सारी फ़िल्में की हैं मगर हम यहां उनकी चुनिंदा छह फिल्मों के के बारे में बता रहे हैं. सभी छह फ़िल्में अलग अलग मूड की हैं. लेकिन इसमें रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी शोले शामिल नहीं है. 6 नवंबर को ही संजीव कुमार की पुण्यतिथि है. आइए इस मौके पर दिवंगत एक्टर की बेहतरीन फिल्मों पर बात करते हैं और मौका मिलते ही उन्हें देखते हैं.
#1. कोशिश (1972)
गुलजार के निर्देशन में बनी साल 1972 में आई फिल्म ना सिर्फ संजीव कुमार बल्कि जया भादुड़ी (बच्चन) की बेमिसाल भूमिका के लिए भी याद की जाती है. कोशिश असल में बॉलीवुड की प्रेम कहानियों में बिल्कुल अलग फिल्म है. कोशिश की कहानी एक ख़ूबसूरत मूक-बधिर जोड़े के दर्द और संघर्ष की है जिसके आसपास मतलबी समाज का आडंबर है. जोड़े को उस समाज में वजूद बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. असल में कोशिश की कहानी जापानी फिल्म हैप्पीनेस ऑफ़ अलोन से प्रेरित है जिसे खुद गुलजार ने लिखा था. कोशिश की सफलता के बाद कमल हासन को लेकर इसका तमिल वर्जन भी बना है.
कोशिश की वजह से संजीव और जया भादुड़ी की जोड़ी को उस दौर में खूब पसंद किया गया था. संजीव कुमार को दमदार भूमिका के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड भी मिला था. कोशिश आईएमडीबी पर 10 में से 8.6 रेट है.
पोस्टर- अमेजन से साभार.
#2. आंधी (1975)
संजीव कुमार और सुचित्रा सेन को लेकर गुलजार के निर्देशन में बनी आंधी खूब राजनीतिक विवादों में रही. फिल्म आपातकाल से पहले आई थी. दरअसल, फिल्म पॉलिटिकल ड्रामा है. इसमें सुचित्रा सेन के किरदार को इंदिरा गांधी से जोड़कर देखा गया. फिल्म की कहानी है तो पति-पत्नी की मगर आंधी को लेकर आरोप लगे कि संजीव कुमार का चरित्र भी उस दौर में बिहार के एक राजनेता से प्रेरित था.
उस दौर में फिल्म पर खूब चर्चा हुई. संजीव कुमार ने एक होटल मैनेजर की भूमिका निभाई है. जबकि सुचित्रा राजनेता हैं. दोनों अलग हो जाते हैं और फिर एक मुकाम पर दोनों का आमना सामना होता है. आंधी के सभी गाने जबरदस्त हिट हुए थे.
#3. मौसम (1975)
मौसम एक म्यूजिकल रोमांटिक ड्रामा है. इसे गुलजार ने ही बनाया था जिसकी कहानी 1961 में आए उपन्यास द जुडास ट्री से प्रेरित है. फिल्म में संजीव कुमार के अपोजिट शर्मीला टैगोर थीं. फिल्म की कहानी अमरनाथ गुल की है जो पहाड़ों में जाते हैं और उन्हें वहां एक स्थानीय लड़की चंद्रा से प्यार हो जाता है. दोनों साथ वक्त बिताते हैं. अमरनाथ वादा करता है कि वो जल्द लौट कर आएगा. लेकिन ऐसा होता नहीं.
25 साल बाद अमरनाथ के लौटने पर पता चलता है कि चंद्रा उसके के इंतज़ार में पागल हो गई. एक अधेड़ से शादी और बेटी कजली को जन्म देकर मर गई. हालात ने कजली को जिस्म बेचने के धंधे में कूदने पर मजबूर किया. अमरनाथ कजली को लेकर आता है लेकिन उसे मां की सच्चाई का पता चल जाता है. और फिल्म की कहानी में बड़ा यूटर्न आता है. संजीव कुमार ने मौसम नौजवान और बुजुर्ग एक साथ दो तरह की जानदार भूमिका निभाई है. मौसम में उनका अभिनय बताता है कि उस दौर में वे क्यों गुलजार की पहली पसंद हुआ करते थे.
पोस्टर- हॉटस्टार से साभार.
#4. शतरंज के खिलाड़ी (1977)
मुंशी प्रेमचंद्र ने 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह से पहले अवध के नवाबों को लेकर कहानी लिखी थी. सत्यजीत रे के निर्देशन में बनी फिल्म की उसी कहानी पर आधारित है जिसमें अवध के नवाब और शतरंज के खेल में पागल दो मंत्री दिखाई देते हैं. शतरंज के खेल में नवाब साहब इतने मशगूल हैं कि अवध पर अंग्रेजों की चढ़ाई और अपने परिवार के बारे में भी फ़िक्रमंद नजर नहीं आते.
संजीव कुमार ने मिर्जा सज्जाद अली की दमदार भूमिका निभाई है. संजीव के अलावा फिल्म में सईद जाफरी, शबाना आजमी, अमजद खान और रिचर्ड एडिनबरो जैसे दिग्गज कलाकार ने कालजयी भूमिका निभाई है.
#5. पति पत्नी और वो (1978)
बीआर चोपड़ा के निर्देशन में बनी फिल्म कॉमेडी ड्रामा है. इसमें संजीव कुमार के अपोजिट विद्या सिन्हा और रंजीता कौर हैं. रंजीत को श्रद्धा से प्यार हो जाता है. दोनों शादी कर लेते हैं. उनका एक बेटा भी है. जिंदगी हंसते खेलते चल रही है. इस बीच ख़ूबसूरत लड़की निर्मला, रंजीत की सेक्रेटरी बन कर आती है. निर्मला को लेकर रंजीत में मन में बहुत कुछ पकने लगता है. रंजीत निर्मला से तमाम झूठी बातें बोलकर उसके करीब आ जाता है. अंत में क्या होता है यह देखना दिलचस्प है. पति पत्नी और वो अपने जमाने की बड़ी हिट फिल्म थी. इसमें असरानी ने भी अहम भूमिका निभाई थी.
पोस्टर हॉटस्टार से साभार.
#6. अंगूर (1982)
अंगूर भी कॉमेडी ड्रामा फिल्म है जिसका निर्देशन गुलज़ार ने किया था. इसमें संजीव कुमार और देवेन वर्मा दोनों डबल रोल में थे. संजीव कुमार उपन्यासों की वजह से शौकिया जासूस हैं जबकि देवेन वर्मा भांग के नशे में मस्त युवा. दोनों की नॉनसेन्स अंगूर में देखने लायक है. मिस्टेकेन आइडेंटिटी को लेकर बॉलीवुड में बनी बेहतरीन फिल्मों में अंगूर हमेशा टॉप पर रहेगी. फिल्म को उस दौर में खूब पसंद किया गया था. आईएमडीबी पर भी यह हाई रेटेड फिल्म है.
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