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Updated: 15 अप्रिल, 2023 07:28 PM
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पिछले कुछ वर्षों में पौराणिक कथाओं पर आधारित फिल्मों का व्यापक प्रभाव देखने को मिला है. फिल्म 'बाहुबली' से शुरू हुई परंपरा अब 'शाकुंतलम' तक पहुंच चुकी है. गुणशेखर द्वारा निर्देशित तेलुगू फिल्म 'शाकुंतलम' कालिदास की लिखी महान रचना 'अभिज्ञान शांकुतलम्' पर आधारित है. इसमें शकुंतला और दुष्यंत की प्रेम कहानी दिखाई गई है. इस फिल्म में साउथ सिनेमा की मशहूर अदाकारा सामंथा रुथ प्रभु के साथ देव मोहन, अनन्या नागल्ला, प्रकाश राज, गौतमी, मधु, सचिन खेडेकर, कबीर बेदी, जीशु सेनगुप्ता और कबीर दुहान सिंह जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. इसके साथ ही 'पुष्पा: द राइज' फेम सुपरस्टार अल्लू अर्जुन की बेटी अल्लू अरहा ने भी इस फिल्म से डेब्यू किया है. फिल्म की पटकथा और संवाद गुणशेखर और साई माधव बुर्रा ने मिलकर लिखा है. फिल्म लोगों को बहुत पसंद आ रही है. फिल्म समीक्षकों की तरफ से मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है.

सोशल मीडिया पर लोग 'शाकुंतलम' को जबरदस्त फिल्म बता रहे हैं. इसकी भव्यता की तारीफ कर रहे हैं. ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा है, ''गुणशेखर ने क्या कमाल की फिल्म बनाई है. इसे देखने का अनुभव शानदार रहा है. वीएफएक्स और स्पेशल विजुअल इफेक्ट्स बेहतरीन हैं. फिल्म की कहानी के अनुरूप सभी किरदारों की वेशभूषा प्रभावशाली लग रही है. 3डी अनुभव अद्वितीय और अद्भुत है. सामंथा रुथ प्रभु शकुंतला के किरदार में बहुत खूबसूरत लग रही हैं.'' आशिफ शेख लिखते हैं, ''गुणशेखर जैसे निर्देशक से ऐसी ही फिल्म की उम्मीद थी. फिल्म के ट्रेलर को देखने के बाद ही समझ में आ गया था कि एक भव्य फिल्म बनने वाली है. इसे देखने के दौरान बहुत आनंद आया. फिल्म का म्युजिक और बैकग्राउंड स्कोर कमाल का है. इसके लिए मनी शर्मा की तारीफ होनी चाहिए. 'बाहुबली' और 'आरआरआर' के बाद मैंने बहुत दिनों बाद इस तरह की भव्य फिल्म देखी है.''

650_041523040719.jpgगुणशेखर द्वारा निर्देशित तेलुगू फिल्म 'शाकुंतलम' पैन इंडिया सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है.

गूगल फिल्म रिव्यू में तनुजा ने फिल्म को 5 स्टार देते हुए लिखा है, ''मस्ट वॉच फिल्म है. प्रामाणिक कहानी और अद्भुत दृश्यों के साथ ऐसी उत्कृष्ट फिल्म मैंने पहले कभी नहीं देखी है. पूरी फिल्म को सामंथा रुथ प्रभु ने अपने कंधों पर ढोया है. वो शकुंतला के लिए सबसे शानदार पसंद हैं. उनकी जगह कोई और नहीं ले सकता. भरत के किरदार में प्यारी अल्लू अरहा को देखने के बाद शब्दहीन हूं. वो एक जन्मजात सुपर स्टार हैं. गुणशेखर गारू के असाधारण निर्देशन ने कालिदास के 'अभिज्ञान शाकुंतलम' को जीवंत कर दिया है. भारतीय इतिहास की इस मास्टरपीस लव स्टोरी को दुनिया के सामने पेश करने के लिए पूरी टीम को शुभकामनाएं.'' विजय किशोर लिखते हैं, ''मेरी राय में इस जॉनर की किसी फिल्म को एसएस राजामौली भी उतने अच्छे निर्देशित नहीं कर पाते, जितनी गुणशेखर ने की है. उन्होंने इस पौराणिक कहानी को बहुत संवेदनशीलता के साथ पेश किया है.''

फिल्म पत्रकार मनोज वशिष्ठ लिखते हैं, ''भारतीय दर्शक के लिए यह कहानी नई नहीं है. ऐसी कहानी को पर्दे पर पेश करना सबसे बड़ी चुनौती होती है. कल्पना से ऐसे दृश्यों को गढ़ना होता है, जो दर्शक की दिलचस्पी बनाये रखे. लेकिन शकुंतला इस मामले में कमजोर है. गुणसेखर लिखित-निर्देशित शाकुंतलम के दृश्य काफी रंग-बिरंगे तो लगते हैं, लेकिन उनमें वो धार नहीं कि दर्शक को हिलने ना दें. डिज्नी की फैंटेसी फिल्मों की तरह इन्हें संवारा गया है और साकार किया गया है. वीएफएक्स के जरिए जंगल, पशु-पक्षियों को बनाया गया है. मगर, कहीं-कहीं वीएफएक्स कमजोर होने की वजह से दृश्य असर नहीं छोड़ पाये हैं. हिंदी डबिंग के साथ दिक्कत यह है कि भाषा में संतुलन नहीं है. कहीं-कहीं संवादों की भाषा फिल्म की माइथोलॉजिकल थीम से मेल नहीं खाती. फिल्म इंटरवल से पहले बेहद धीमी है. शकुंतला और दुष्यंत के बीच प्रेम के दृश्यों में गहराई नहीं दिखती, जिसके लिए यह कहानी अमर है. सामंथा ने अपने हिस्से का काम ठीक से किया है, वहीं दुष्यंत के किरदार में देव मोहन ने भी पूरी कोशिश की है, मगर दोनों मिलकर छाप नहीं छोड़ते. ऐसा लगता है कि तकनीक पर फोकस रहने के कारण कहानी को कसने वाले बिंदु पीछे छूट गये हैं. अल्लू अर्जुन की बेटी आरहा की मौजूदगी प्रभावी रही है. आरहा की यह पहली फिल्म है.''

फिल्म समीक्षक प्रशांत जैन ने लिखा है, ''आजकल दर्शकों के बीच माइथॉलजी फिल्मों का क्रेज बढ़ा है. इसी को देखते हुए डायरेक्टर गुनाशेखर ने 'अभिज्ञान शाकुन्तलम' पर आधारित फिल्म शाकुंतलम बनाई है. फिल्म को उन्होंने 'बाहुबली' की तरह ग्रैंड सेट्स पर बनाया है. 3डी में फिल्म को देखना शानदार अनुभव लगता है. इसकी सिनेमटोग्रफी भी लाजवाब है. स्क्रिप्ट के मामले में उन्हें थोड़ी ज्यादा मेहनत करने की जरूरत थी. फिल्म का स्क्रीनप्ले भी कमजोर है. महाकाव्य पर आधारित इस फिल्म को बेहतर स्क्रिप्ट के साथ बनाया जा सकता था. यदि डायरेक्टर इन गलतियों पर ध्यान देते, तो शायद वह एक बेहतरीन फिल्म बनाने में सफल होते. इसमें शकुंतला के रोल में सामंथा रुथ प्रभु पर्दे पर खूब जमी हैं. पर्दे पर उनकी खूबसूरती देखने लायक है. देव मोहन ने भी दुष्यंत के रोल को शानदार निभाया है. बाकी कलाकारों ने भी ठीकठाक काम किया है. इस फिल्म से तेलुगू सुपरस्टार अल्लू अर्जुन की बेटी अल्लू अरहा ने भरत के रोल में कैमियो डेब्यू किया है. यदि आपको माइथॉलजिकल फिल्में देखने का शौक है, तो इस फिल्म को सिनेमाघर में देख सकते हैं.''

वरिष्ठ फिल्म पत्रकार पंकज शुक्ला ने लिखा है, ''तकनीकी तौर पर फिल्म शाकुंतलम एक उम्दा फिल्म नहीं है. फिल्म को हिंदी में डब करके यदि रिलीज करना ही था तो इसमें कम से कम कुछ स्थापित कलाकारों की सेवाएं ली जानी चाहिए थीं. मूल भाषा में फिल्म के संगीत का असर जो भी रहा हो, हिंदी में डब होने वाली फिल्मों में संगीत देते रहे मणि शर्मा यहां फिल्म के भाव और इसके कथ्य में संगीत की महत्ता समझने में पूरी तरह विफल रहे हैं. फिल्म का काफी सारा हिस्सा स्टूडियो में हरे, नीले पर्दे लगाकर शूट किया गया है और इन परदों की जगह एडिटिंग के दौरान आभासी रूप से बने सेट डालकर फिल्म को पौराणिक स्वरूप प्रदान करने की कोशिशें भी कामयाब नहीं हो सकी हैं. फिल्म शाकुंतलम एक ऐसी अधपकी फिल्म के रूप में दिखती है जिसकी रेसिपी तो इसके निर्देशक को पता थी लेकिन इसे बनाने में मसालों का संतुलित प्रयोग करना वह भूल गए. फिल्म ‘शाकुंतलम’ में दुष्यंत का चरित्र निभा रहे देव मोहन ने जरूर राजा दुष्यंत के तौर पर अपने चयन को सही साबित करने की पूरी कोशिश की है, लेकिन फिल्म का मुख्य ध्यान चूंकि शकुंतला पर ही है. दुष्यंत का चरित्र पटकथा की कमी के चलते ठीक से विकसित ही नहीं हो पाया है. दोनों मुख्य किरदारों की हिंदी डबिंग भी बहुत प्रभावी नहीं है.''

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