शाहरुख खान: तीन दशक से निर्विवाद रोमांस-गुरु
ये सच है कि इश्क़ में हर लड़की अपने-आप को सिमरन या माया से एक सेंटीमीटर भी कम नहीं समझती पर भैया हर लड़का राहुल या राज नहीं हो सकता! शाहरुख के रोमांस की कहानी शुरू होती है 1988 में फौजी सीरियल से, जो जीरो तक बदस्तूर जारी है.
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शाहरुख़, आपने लाखों दिलों को धड़कना सिखाया और उन धड़कनों में मोहब्बत के बीज डाल इश्क़ के सुनहरे सपनों की सफल पैदावार की है. हम तो इडियट बॉक्स के जमाने में 'फौज़ी' के दिनों से ही आपके मुरीद रहे हैं जब आप अभिमन्यु रॉय बनकर स्क्रीन पर आते थे तो सच्ची! मन बावला हो जाता था. सच कहें तो उस समय हम हिन्दी मीडियम वाले विद्यार्थियों ने chaps और buddies जैसे शब्द आप ही से सीख अपने शब्दकोश में वृद्धि की थी और फिर 'सर्कस' ने हमें आपका दीवाना बना दिया.
'फौजी' से शाहरुख खान घर-घर के अपने हो गए थे
दीवानगी किसे कहते हैं? इश्क़ क्या होता है? कैसे होता है और इसका इज़हार किस तरह से किया जाता है? ये अदा कोई शाहरुख़ से सीखे. उनकी रग़ों में लहू नहीं मोहब्बत की धारा बहती है, उनकी आंखें प्रेम की गहरी वादियां हैं जिनमें उतर जाने के बाद बाहर आ पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है. उनकी फैली हुई बांहें प्रेम से लबरेज़ किसी सुरक्षा-कवच की तरह प्रेमिका को अपने आगोश में ले लेती हैं. यदि आपको भी किसी से बेपनाह मोहब्बत है तो उसके करीब जाकर उसका हाथ थामिये, उसकी आंखों में आंखें डाल कुछ पलों के लिए मासूम धड़कनों को शब्द बन गुनगुनाने दीजिये और फिर उनके कानों में गुलाबों से महक़ते ये दो शब्द घोल दीजिये...और पास....और पास....और पास! उफ़्फ़्फ़! कुछ-कुछ होता है....तुम नहीं समझोगे! लव यू शाहरुख़!
शाहरुख की रग़ों में लहू नहीं मोहब्बत की धारा बहती है
ये तो है रोमांस के बादशाह शाहरुख़ खान को जन्मदिन की बधाई की बात लेकिन अब इस सबके चलते असल दुनिया में बहुत दिक्कत हो रही है. ये सच है कि इश्क़ में हर लड़की अपने-आप को सिमरन या माया से एक सेंटीमीटर भी कम नहीं समझती पर भैया हर लड़का राहुल या राज नहीं हो सकता! क्योंकि उस बन्दे को ऑफिस से लौटते समय एक किलो आलू और आधा किलो प्याज खरीदते हुए सब्जी वाले से हरे धनिये के लिए चिरौरी करनी पड़ती है, रामू ड्राई क्लीनिंग वाली दुकान से कपड़े उठाने होते हैं (वो भी चेक करके), हक्का नूडल्स और क्रिस्पी वेज पैक करवाके लाना होता है. अब इस सबके बाद अगर आप सोचो कि वो घर में दोनों बाहें फैलाये गालों में डिम्पल ख़ुदवाकर "अअअअअअ प..ल...ट" बोल एंट्री मारेगा; तो आप कुछ ज्यादा ही एक्सपेक्ट कर रही हैं. मने कल्पनातीत टाइप का!
बी प्रैक्टिकल! क्योंकि अभी उसे अपने साले को हैप्पी वाला बड्डे बोल एक अच्छे दामाद की परीक्षा भी क्लियर करनी है वरना आपका कब अकस्मात् सिमरन से साम्भा में evolution हो जाएगा, आपको ख़ुद भी पता नहीं चलेगा!
लेकिन सांसों की हर रवानी के लिए, ग़ुलाबी दिल को गुलाब-सा अहसास कराने के लिए और उसमें चुपचाप पलते सपनों को परवान चढ़ाने के लिए जिस जादूगर को सलाम बनता है, उस तक हमारी हर दुआ ज़रूर पहुंचे.
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