बौने लोगों की असल ज़िंदगी, परेशानियों को शाहरुख खान भला क्या समझेंगे !
अपनी आने वाली फिल्म में शाहरुख खान एक बौने की भूमिका में हैं. फिल्म की बातें अलग हैं और हकीकत की बातें अलग. सवाल ये है कि क्या असल जीवन में छोटे कद के लोगों को उतना सम्मान मिल पाता है जितना उन्हें मिलना चाहिए?
-
Total Shares
तनु वेड्स मनु, रांझना जैसी फिल्मों के निर्देशक आनंद एल राय ने इस वर्ष की शुरुआत में अपनी फिल्म जीरो से एक नए विमर्श को जन्म दिया है. उनकी इस साल क्रिसमस पर प्रदर्शित होने वाली फिल्म का टीजर रिलीज हो चुका है. टीजर को देख यह अनुमान और कयास लगाए जा रहें हैं कि यह फिल्म आनंद और शाहरुख दोनों के लिए फायदे का सौदा होगी. फिल्म जीरो में भले ही शाहरुख बौने बने हो लेकिन क्या असल ज़िंदगी में बौने लोगों को लोग शाहरूख की तरह ही पसंद करते हैं, या फिर यह सिर्फ फिल्मी सीन है? आज टीवी और सिनेमा की दुनिया में असली बौने कलाकार अपनी प्रतिभा के बल पर जीवन यापन करते हुए हमें दिखते हैं.
हालांकि वह इतने लोकप्रिय नहीं जितना शाहरुख बौने बन कर हो रहे हैं. आइये जानते है कौन है वो बौने कलाकार जिन्होने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और इसी समाज से मिले अपमान का घूंट पी कर उन्हें जवाब देने में सक्षम हुए हैं. शाहरुख भले ही अपनी फिल्म जीरो के टीजर में कह रहे हों कि ‘हम जिसके पीछे लगते है लाइफ बना देते है’ लेकिन असल ज़िंदगी में बौनों ने खुद से ही यह मुकाम हासिल किया है.
के के गोस्वामी
3 फीट की लंबाई वाले अभिनेता केके गोस्वामी का शुरुआती दौर भले ही कठिन रहा हो लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर साबित किया कि लंबाई उनके सपने के आड़े नहीं आएगी. मुजफ्फरपुर बिहार में जन्में केके गोस्वामी ने अपने आस के लोगों की इतनी यातनाएं और अपमान सहे हैं कि उन्हें वो सब याद करके आज भी रोना आता है. बक़ौल केके टीवी और फिल्म की दुनिया में आज भले ही छोटे कद के लोगों को काम मिल रहा हो लेकिन वहां तक पहुंचने का सफर काफी मुश्किलों भरा और लंबा है. शक्तिमान, आर्यमान: ब्रम्हाण्ड का देवता, विकराल गबराल, सीआईडी, भाभी जी घर पर हैं जैसे सीरियलों में काम कर चुके केके आज अपने आपको संतुष्ट मानते हैं.
बात जब बॉलीवुड में बौनों की हो रही है तो हमें केके गोस्वामी को नहीं भूलना चाहिए
केके गोस्वामी को टीवी पर देख रहे दर्शकों को यह जानना चाहिए कि यह वहीं केके हैं जिन्हें महज दस साल की उम्र में सर्कस वाले ले जाने के लिए आए थे. पिता का उनसे गहरा प्यार न होता तो पचास हजार में वे कबका बिक चुके होते. बाद में स्कूलिंग के दिनों में सहपाठियों ने इतना तंग किया कि उन्हें अपनी पढ़ाई ही छोडनी पड़ी. जब शादी हुई तो ससुराल वालों ने भी परेशान किया, भला हो उनकी पत्नी पिंकू का जिन्होने अपने परिवार के विरुद्ध जाकर केके से शादी की. भोजपुरी फिल्मों से कॅरियर की शुरुआत करते हुए केके आज अपनी खुद की पहचान के लिए जाने जाते हैं न कि किसी सीन में भीड़ का हिस्सा बनकर.
अब तक केके 250 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके हैं. टीवी पर ‘गुटुर गू’ जैसे सीरियल से वो बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. इतना सब होते हुए भी केके की ज़िंदगी में एक पल ऐसा भी आता है जब वह अपने ही बेटे के स्कूल की पैरेंट्स-मीटिंग में खुद न जाकर अपनी पत्नी को भेजते हैं ताकि छोटे कद की वजह से बेटे को शर्मिंदा न होना पड़े.
लिलिपुट
एम.एम.फारुखी आम अभिनेताओं की तरह मुंबई आकर अपना नाम बदल कर लिलीपुट रख चुके थे. लगभग 30 साल तक फिल्म और टीवी की दुनिया में हंसने हंसाने का काम कर चुके लिलीपुट ने यह सब आसानी से नहीं पा लिया. 75 के दशक में बॉलीवुड में कदम रखने वाले वो संभवत: पहले बौने कलाकार हैं जिन्होंने अपनी कॉमेडी और एक्टिंग से एक अलग पहचान बनाई थी. हालांकि उनकी असल पहचान 90 के दशक की फिल्मों से होती है. टीवी पर उन्होने 'देख भाई देख' सीरियल से अपनी पहचान बनाई.
लिलिपुट का शुमार उन कलाकारों में है जिन्होंने कई बार अपने अभिनय से दर्शकों को हैरत में डाला है
लेकिन लंबे समय तक हिट रहने वाला हिट कलाकार आर्थिक तंगी की मार झेल रहा है. एक इंटरव्यू में वो बताते है कि बौनों के लिए अवसर वैसे भी कम हैं, वहीं उस कलाकार के लिए आखिरी दिनों में हालत और भी खराब हो सकती है. जैसे की मेरी. बंटी बबली, स्वर्ग, एलान-ए-जंग आदि फिल्मों में उनकी एक्टिंग को सिर्फ हंसाने के लिए ही नहीं बल्कि अन्य बौने लोगों के लिए यह उम्मीद के तौर पर भी देखा जाना चाहिए. बॉलीवुड में वह पहले ऐसे बौने अभिनेता है जिनकी वजह से अन्य लोगों को काम मिलने शुरू हुए.
वहीं आज भी उनका सामना ऐसे लोगों से होता रहता है जो बौनों को सिर्फ हंसने हंसाने के तौर पर ही देख रहे होते हैं. लिलीपुट ऐसे लोगों की जम कर भर्त्सना भी करते हैं. उनके कद को लेकर हुए एक विवाद को यहां देख सकते है जिसमें वो कहते है कि "एक हाइली एजुकेटेड एक्टर ने जोक मारते हुए मुझसे कहा था कि लिलिपुट का पेजर नंबर भी उनसे लंबा है. इस बात पर मैंने जवाब दिया था- 'कुछ लोगों की जुबान भी मुझसे लंबी है, अब क्या कर सकते हैं.
एक महिला का बौना होना अपने आप में कई बातें कह देता है
जूही असलम
जाहिर है सिनेमा और टीवी की दुनिया में महिलाओं कि स्थिति अभी भी सम्मानजनक नहीं है. ऐसे में बौनी महिला अभिनेत्री के लिए क्या स्थिति होती होगी. इसका जवाब हमें 3 फुट 6 इंच की जूही असलम की मेहनत और काबिलियत से मिल सकता हैं. टीवी के चर्चित सीरियल ‘बाबा ऐसा वर ढूंढो’ में बहू का किरदार निभाने वाली आगरा की जूही ने न सिर्फ मुख्य भूमिका निभाई बल्कि वो छोटे कद की महिलाओं के लिए उम्मीद की रोशनी भी बनी. जूही असलम अपने आपको भाग्यशाली मानती है कि उन्हे दमदार कैरेक्टर ऑफर हो गया नहीं तो उनकी भी स्थिति सिर्फ हंसने हंसाने तक ही सीमित हो जाती. आज भी बौनों के लिए यह इंडस्ट्री और समाज सकारात्मक सोच नहीं रखता है. हमें अपनी दुनिया खुद सशक्त बनानी है. जूही अब तक 'जोधा-अकबर', 'बढ़ो बहू' सहित कई शोज कर चुकी हैं.
इन तीनों ही बौने कलाकारों के जीवन संघर्ष को भुला पाना आसान नहीं है, न खुद ये कभी उस दौर को भूल पाएंगे जब इन्हे अपमान सहना पड़ा था. हम शाहरुख की आने वाली फिल्म जीरो के टीजर को देख बौनों की समस्या से ज्यादा उस पर हंसना ज्यादा जरूरी समझ रहें हैं. आखिर बौनों की असल ज़िंदगी में उनके कद को लेकर उनकी क्या गलती रही जिसके लिए उन्हे शर्मिंदा होना पड़ रहा है?
यह सवाल हम सभी के मन में उठने चाहिए. इन बौने कलाकारों की निजी ज़िंदगी को पास से देखने पर हमें जरूर पता चलेगा कि कुछ तो है जो आज भी नहीं बदला. वह है हमारा और आपका उनको देखने-समझने का तरीका. इसे बदलने की जरूरत है, हमें भी और आप को भी. शायद शाहरुख और आनंद एल राय को भी. क्योकि उनका रिलीज किया टीजर सिर्फ हंसा ही रहा है और यह साबित कर रहा है कि बौने सिर्फ हंसाने के लिए ही होते हैं.
ये भी पढ़ें -
सर जो तेरा चकराए... आरडी के 'आरडीएक्स' गाने देंगे सुकून
सेम गाड़ी - सेम नंबर, बस पिक्चर अलग! आइये जानते हैं कौन कौन सी थीं फिल्में
2017 की हिट और फ्लॉप फिल्मों ने सामने ला दी हमारी पसंद की बारीकी...
आपकी राय