New

होम -> सिनेमा

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 14 दिसम्बर, 2016 03:33 PM
नरेंद्र सैनी
नरेंद्र सैनी
  @narender.saini
  • Total Shares

बात रविवार की है. शाहरुख खान एकदम से एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे से मिलने पहुंच गए. अगर सूत्रों पर यकीन करें तो उन्होंने राज को आश्वासन दिया कि पाकिस्तानी अदाकारा माहिरा खान फिल्म को प्रमोट करने के लिए भारत नहीं आएंगी और वे भविष्य में पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम नहीं करेंगे. सवाल यह पैदा होता है कि क्या शाहरुख खान के लिए हालात इतने मुश्किल थे कि उन्हें इस देश की पुलिस और व्यवस्था पर भरोसा नहीं था और इसलिए उन्हें राज की चौखट पर जाना पड़ा?

shah-rukh-raj-650_121416023313.jpg
 शाहरुख खान अपनी फिल्म रईस की रिलीज के लिए राज ठाकरे से मिलने पहुंचे थे

कुछ लोग इससे सहमत हो सकते हैं. लेकिन इस बात को कुछ यूं भी देखा जा सकता है कि शाहरुख एक कलाकार हैं, और उन्होंने एक प्रोडक्ट तैयार किया है, जिसमें उनके कई महीनों की मेहनत लगी है. पैसा लगा है. वे एक बिजनेस में हैं और चाहते हैं कि उसमें घाटा न हो. फिर मियां भाई की डेरिंग और बनिये का दिमाग वाला उनका डायलॉग हिट है, और शाहरुख समय-समय पर बॉलीवुड में अपने इस कॉम्बिनेशन का परिचय भी दे चुके हैं.

ये भी पढ़ें- 'रईस' की सफलता के लिए मोहरा हैं ये विवाद

उनका राज ठाकरे से मिलने को कुछ यूं भी समझा जा सकता है कि कुछ दिन पहले ऐ दिल है मुश्किल रिलीज हुई थी. उस दौरान भी राज ठाकरे की एमएनएस ने फवाद खान को लेकर काफी हंगामा मचाया था, और महाराष्ट्र सरकार भी उस समय कुछ खास नहीं कर सकी थी. करन जौहर को राज ठाकरे को सैनिकों के लिए पांच करोड़ रु. देने की घोषणा करना पड़ी थी. ऐसे में शाहरुख राज ठाकरे से मिलना एक बिजनेसमैन के तौर कोई गलत नहीं है.

सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी शाहरुख के खिलाफ लहर

अक्सर देखा गया है कि शाहरुख खान के खिलाफ एक सेंटिमेंट काम करता है, और खास वर्ग के लोग उनके खिलाफ एक माहौल बनाकर रखते हैं. जैसा आजकल हो रहा है. व्हाट्सऐप से लेकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स तक पर, कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं, और शाहरुख को पाकिस्तान के एजेंट से लेकर न जाने क्या-क्या बताया जा रहा है. ऐसे में एक कलाकार के लिए अपने ही देश में असुरक्षा महसूस करना लाजिमी हो जाता है. फिर उनका ऐसे माहौल के बीच अपने प्रोडक्ट को लेकर एक पार्टी नेता से मिलना क्या बुरा है...

आखिर शाहरुख ही क्यों?

साल 2010 में शाहरुख खान की फिल्म माय नेम इज खान को लेकर शिव सैनिकों ने खूब हंगामा मचाया था और फिल्म की रिलीज को लेकर ऊधम काटा था. फिर उसके बाद दिलवाले आई तो फिर से हंगामा हुआ, और शाहरुख के असहिष्णुता को लेकर किए गए कमेंट को लेकर उनकी फिल्म के बायकॉट की बात की गई. कई तरह के हंगामे हुए. कई हिंदू संगठनों ने इस बात को लेकर फतवे तक जारी कर दिए. वे हर बार सॉफ्ट टारगेट के तौर पर सामने आ जाते हैं. ऐसे में अगर शाहरुख खान इस बार अपने प्रोडक्ट को लेकर राज के पास जाना पड़ा तो क्या गलत था...

ये भी पढ़ें- रईस हिट है लेकिन शर्तों के साथ...

शाहरुख ने तो शायद राज के सामने बतौर बिजनेसमैन और कलाकार समर्पण कर दिया है. लेकिन इस बात को आने वाले समय के लिए एक चुनौती माना जा रहा है, और यह फिल्म और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए अच्छा नहीं है और सत्ता का नया केंद्र बनना सरकार के इकबाल के लिए तो और भी खराब है...

लेखक

नरेंद्र सैनी नरेंद्र सैनी @narender.saini

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सहायक संपादक हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय