OTT के सुपरस्टार हैं पंकज त्रिपाठी, शेरदिल जैसी फिल्मों में अपना टैलेंट जाया न करें
अभिनेता पंकज त्रिपाठी आज किसी परिचय के मोहताज नही हैं. उनको ओटीटी की दुनिया का सुपरस्टार कहा जाता है. सही मायने में उनकी पहचान ओटीटी की वजह से ही है. लेकिन फिल्मों में काम करने का मोह वो छोड़ नहीं पा रहे हैं. लेकिन बॉक्स ऑफिस पर सफलता नहीं मिल रही. फिल्म 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' का इसका ज्वलंत उदाहरण है.
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अभिनेता पंकज त्रिपाठी की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' बॉक्स ऑफिस पर रिलीज के दूसरे दिन ही फ्लॉप होने के कगार पर है. दो दिन में फिल्म की कमाई एक करोड़ रुपए तक भी नहीं पहुंच पाई है, जबकि इसका बजट 10 करोड़ रुपए बताया जा रहा है. ऐसे में फिल्म के लीड एक्टर पंकज त्रिपाठी और निर्देशक सृजित मुखर्जी के लिए किसी झटके से कम नहीं है. लेकिन यहां दोष भी इन्हीं दोनों का है. मुझे समझ नहीं आता कि क्या सोच कर इस फिल्म को सिनेमाघरों में रिलीज किया गया. यहां मैं ये बिल्कुल भी नहीं कहना चाह रहा कि फिल्म के विषय या इसके कलाकारों में कोई कमी है. बल्कि मैं ये कहना चाह रहा हूं कि हर फिल्म का ट्रीटमेंट अलग-अलग होना चाहिए. जैसी फिल्म वैसा विंडो मिले, तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. यदि इसी फिल्म को बॉक्स ऑफिस की बजाए सीधे ओटीटी पर रिलीज किया जाता, तो निश्चित तौर पर ये हिट साबित हो सकती थी.
इसकी सबसे बड़ी वजह खुद पंकज त्रिपाठी ही है. सभी जानते हैं कि पंकज ओटीटी की दुनिया के सुपरस्टार हैं. उनकी इस प्लेटफॉर्म पर जबरदस्त फैन फॉलोइंग है. सही मायने में देखा जाए तो उनकी करियर को जीवन देने वाला भी यही प्लेटफॉर्म है, वरना इससे पहले वो फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करके अपना गुजारा कर रहे थे. वो कितने भी टैलेंटेड हैं, लेकिन उनको फिल्मों में अपना टैलेंट दिखाने का मौका नहीं मिल रहा था. लेकिन ओटीटी पर आते ही उनको जरूरी स्पेस मिला और उसकी वजह से वो आज सुपरस्टार बन गए हैं. पंकज की कीमत हर ओटीटी प्लेटफॉर्म जानता है. यही वजह है कि 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' के मेकर्स उनके नाम पर फिल्म की अच्छी कीमत पा सकते थे. 10 करोड़ की लागत में बनने वाली इस फिल्म को 30 से 50 करोड़ रुपए के बीच आसानी से बेचा जा सकता था. इस तरह लागत से तीन गुनी फिल्म की कमाई हो जाती और फिल्म सुपरहिट हो सकती थी.
बॉक्स ऑफिस पर रिलीज करना खुदकुशी करने जैसा है
इसके साथ ही फिल्म 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' जिस तरह के विषय पर बनी है, उसके दर्शक थियेटर की बजाए ओटीटी पर ज्यादा हैं. निश्चित तौर पर ओटीटी पर रिलीज करने की वजह से फिल्म को फायदा मिलने वाला था. सबसे पहले यदि इसकी आईएमडीबी रेटिंग अच्छी हो जाती, तो इसको बड़ी संख्या में दर्शक भी मिल जाते. इसके साथ ही पंकज त्रिपाठी के करियर के लिहाज से भी अच्छा रहता. कम से कम उनके नाम पर फ्लॉप फिल्म का ठप्पा तो नहीं लगता. साउथ सिनेमा की सुनामी के इस दौर पर जिस तरह से बॉलीवुड की फिल्में फ्लॉप हो रही हैं. बड़े-बड़े सुपरस्टार्स की फिल्में डिजास्टर साबित हो रही हैं. अक्षय कुमार, कंगना रनौत, अजय देवगन, टाइगर श्रॉप जैसे सितारों की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर औधें मुंह धाराशाई हो रही हैं. ऐसे में 'शेरदिल' जैसी फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर रिलीज करना खुदकुशी करने जैसा है. पता नहीं इसके मेकर्स को किस बात का भरोसा था.
'शेरदिल' जैसी फिल्म पंकज त्रिपाठी के लिए सबक है
फिल्म 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' अभिनेता पंकज त्रिपाठी के लिए एक सबक है. यदि उन्होंने इससे सीख नहीं ली, तो आगे चलकर उनको इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. अभिनेता को खुद अपने अतीत में जाकर अपने करियर के ग्राफ को देखकर समझना चाहिए कि उनको किस तरह से किस दिशा में आगे बढ़ना है. उनकी यदि कोई लीड एक्टर वाली फिल्म हिट भी हुई तो वो भी ओटीटी पर ही हुई है. उदाहरण के लिए 'मिमी', 'कागज' और 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' जैसी फिल्मों को देखना चाहिए. इन तीनों फिल्मों में वो लीड रोल में हैं, लेकिन तीनों ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम हुई हैं. 'मिमी' नेटफ्लिक्स पर, 'कागज' जी5 पर और गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' नेटफ्लिक्स पर देखी जा सकती है. तीनों ही फिल्मों में अपने जबरदस्त अभिनय की बदौलत पंकज ने दर्शकों का दिल जीता है. यही वजह है कि उनको बॉक्स ऑफिस की बजाए ओटीटी पर फोकस रखना चाहिए.
OTT ने पंकज त्रिपाठी को ऐसे बनाया सुपरस्टार
इतना ही नहीं पंकज त्रिपाठी का स्टारडम भी ओटीटी से ही है. उन्होंने अपना करियर साल 2004 में रिलीज अभिषेक बच्चन की फिल्म 'रन' से शुरू किया, लेकिन इस फिल्म में उनका इतना छोटा रोल था कि ज्यादातर लोगों को याद भी नहीं है. इसके बाद छोटे-छोटे रोल करते हुए वो आगे बढ़ते रहे, लेकिन असली ब्रेक अनुराग कश्यप की मल्टीस्टारर फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' से मिली. सुल्तान कुरैशी के उनके किरदार ने उनको एक नई पहचान दिलाई. उसके बाद लोग जानने लगे कि पंकज त्रिपाठी भी किसी कलाकार का नाम है. लेकिन उनको सुपरस्टार ओटीटी ने बनाया है. साल 2018 में रिलीज हुई उनकी दो वेब सीरीज 'सेक्रेड गेम्स' और 'मिर्जापुर' ने उनको लोकप्रियता के चरम पर पहुंचा दिया. 'कालीन भइया' उनके इस किरदार का नाम हर किसी के जुबान पर चढ़ गया. यही से उनकी किस्मत ने पलटी मारी और उनकी डिमांड बढ़ गई. आज उनको अधिकतर फिल्मों और वेब सीरीज में देखा जाता है.
फिल्मों के चुनाव में ध्यान रखना बहुत जरूरी है!
हर कलाकार को इसका बहुत गंभीरता से ध्यान रखना चाहिए कि उनको किस तरह की फिल्मों या वेब सीरीज का चुनाव करना है. यदि कलाकार हिट होता है, तो उसके पास फिल्मों और वेब सीरीज की लाइन लग जाती है. हर फिल्म मेकर्स उसको साइन करना चाहता है. ऐसे में मोटी-मोटी रकम ऑफर की जाती है. ऐसे में लालच में फंसकर कुछ कलाकार ऐसी फिल्मों का चुनाव कर लेते हैं, जो उनके करियर के लिए डिजास्टर साबित होती है. एक बार जब फ्लॉप का ठप्पा लग गया तो समझिए कि डिमांड तेजी से नीचे गिर जाती है. इसलिए डिमांड बनाए रखने और लंबे समय तक काम करने के लिए चुनाव में सतर्कता बरतने की जरूर होती है. पंकज त्रिपाठी को भी यही करना चाहिए. माना कि इस वक्त वो काफी डिमांड में हैं. लेकिन यदि 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' जैसी फिल्में उनके करियर में रोड़ा साबित हो सकती हैं. मेरा तो यही सुझाव है कि उनको ओटीटी पर फोकस होकर काम करना चाहिए.
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