अब पक्का हो गया, शेरशाह मूवी की कामयाबी विक्रम बत्रा के प्रति प्यार ही है
शेरशाह बॉलीवुड की पहली बायोपिक है जो कारगिल वार हीरो के जीवन पर बनी है. फिल्म में कैप्टन विक्रम बत्रा की कहानी दिखाई गई है. सिद्धार्थ मल्होत्रा ने निभाई है.
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विक्रम बत्रा के जीवन पर बनी शेरशाह (Shershaah Movie) स्ट्रीमिंग के एक महीने बाद भी ओटीटी पर दर्शकों का बेशुमार प्यार पा रही है. ये दर्शकों का प्यार ही है कि नई फिल्मों के आने के बावजूद शेरशाह कमजोर होती नहीं दिख रही. बल्कि इसके बाद जो बहुत सारी फिल्में और नए शोज ओटीटी पर आए हैं वे भी लोकप्रियता में शेरशाह से पीछे नजर आ रहे हैं. यही वजह है कि सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी (Sidharth Malhotra-Kiara Advani) की मुख्य भूमिका से सजी फिल्म ने अब तक कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए हैं. आईएमडीबी पर फिल्म हाइएस्ट रेटेड है. स्ट्रीमिंग व्यूज के मामले में भी शीर्ष पर बना हुआ है.
शेरशाह की वजह से सिद्धार्थ मल्होत्रा के दिन लौटते दिख रहे हैं. उन्होंने भी बेशुमार कामयाबी की अपेक्षा नहीं की जितना रिलीज के बाद फिल्म ने फिल्म ने पिछले कुछ हफ्तों में हासिल कर लिया है. रफ्तार अभी भी थमी नहीं है. आखिर विष्णुवर्धन के निर्देशन में बनी धर्मा प्रोडक्शन के फिल्म की कामयाबी का राज क्या है? क्या ये फिल्म सिद्धार्थ की आउटस्टैंडिंग परफोर्मेंस की वजह से चली उसकी इसकी सफलता के पीछे कुछ और ही वजह है?
शेरशाह 1999 की जंग में शहीद हुए देश के वॉर हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा की फिल्म है. विक्रम ने जंग में अद्भुत शौर्य का परिचय दिया था और मात्र 24 साल की उम्र में शहीद हुए. शहीद होने से पहले उन्होंने कारगिल की कई पोस्ट पाकिस्तान से छीन लिए थे. कारगिल की जंग के बारे में सबसे बड़ी बात यही है कि भारत के मुकाबले पाकिस्तानी सेना के घुसपैठिए सामरिक लिहाज से बहुत बेहतर स्थिति में थे बावजूद देश के जवानों की वीरता के आगे उनकी एक ना चली और उन्हें भागना पड़ा. जो नहीं भागे मारे गए.
विक्रम की चर्चा शेरशाह को लेकर जितनी आज है, 22 साल पहले भी जंग के दौरान भी उनकी उतनी ही चर्चा हुई थी. देश के लाडले बन गए थे. उनके कुछ इंटरव्यूज सामने आए थे. इसमें बरखा दत्त के साथ भी उनका इंटरव्यू था. बेखौफ विक्रम की बातों और उनकी बहादुरी ने पूरे देश को उनका मुरीद बना दिया था. भारत के सैन्य इतिहास में इतनी लोकप्रियता शायद ही किसी जवान को मिली हो. उनकी बहादुरी के किस्से अखबारों में छपते उन दिनों विक्रम युवाओं के रोल मॉडल बन चुके थे.
शेरशाह की कामयाबी सिद्धार्थ-कियारा से कहीं ज्यादा विक्रम की कामयाबी है. उस वॉर हीरो की कामयाबी है जिसे शहादत के 22 साल बाद भी देश के लोग नहीं भुला पाए हैं. शेरशाह कारगिल जंग में शहीद हुए किसी जवान पर बनी बॉलीवुड की इकलौती फिल्म भी है. युवा पीढ़ी को फिल्म ने मौका दिया है जंग को देखने का और उसके इतिहास को समझने का. एक शहीद की बहादुरी को जानने का भी. शहीद जो एक आम परिवार से निकलकर देश सेवा के लिए सेना में पहुंचा था और जब उसे मौका मिला, पीछे नहीं हटा. ना घर परिवार के बारे में सोचा और ना अपने जीवन की परवाह की. फिल्म की कामयाबी में इसी चीज का सबसे बड़ा योगदान है.
सबसे अहम यह भी है कि विक्रम बत्रा के जीवन में कारगिल की जंग के अलावा भी कई महत्वपूर्ण पहलुओं को दिखाया गया है. इसमें से एक डिंपल चीमा के साथ उनका प्रेम संबंध भी है. ये बहुत ही भावुक प्रेम कहानी है जो विक्रम के शहीद होने की वजह से अधूरी ही रह गई. डिंपल ने विक्रम को डूबकर प्यार किया और उनकी शहादत के बाद कभी शादी नहीं की.
सिद्धार्थ मल्होत्रा ने विक्रम बत्रा की भूमिका निभाई जबकि कियारा, डिंपल चीमा की भूमिका में हैं. दोनों का काम संतोषजनक है. मगर ऐसा भी नहीं कि उसे आउटस्टैंडिंग कहा जाए. फिल्म भी ठीक-ठाक है. शेरशाह के साथ अजय देवगन की वॉर मूवी भुज द प्राइड ऑफ़ इंडिया भी रिलीज हुई थी. लगा था कि देशभक्ति की भावना ओतप्रोत दोनों फ़िल्में एक दूसरे पहुंचाएंगी.शेरशाह तो नुकसान से बच गई पर भुज दर्शकों को प्रभावित करने में नाकाम रही. भुज में किसी विक्रम बत्रा जैसी कहानी नहीं थी.
साफ है कि तीन बड़ी वजहों ने शेरशाह को कामयाबी के शिखर पर पहुंचा दिया. कुल मिलाकर फिल्म की कामयाबी की जो प्रमुख वजहें नजर आती हैं वो हैं- कारगिल की जंग, विक्रम बत्रा की बहादुरी और उनका जीवन, डिंपल चीमा के साथ उनकी भावुक प्रेम कहानी. इन तीन वजहों ने ठीक-ठाक बनी फिल्म को बेशुमार लोकप्रियता दे दी है. ट्रेंड एक्सपर्ट का तो यहां तक कहना है कि शेरशाह अगर करोना से पहले सामान्य दिनों में आई होती तो बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी के कई कीर्तिमान ध्वस्त कर देती.
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