Sona Mohapatra की बिकनी पर तंज कसने वाले तो नग्न ही नजर आते हैं!
सोना महापात्रा (Sona Mohapatra) की बिकिनी (bikini) पर आए कुछ विचार समझ से परे हैं. इनके हिसाब से बिकनी सिर्फ अच्छे शरीर वाली महिलाओं को ही पहननी चाहिए और बिकिनी वाली महिलाओं को Metoo के खिलाफ आवाज नहीं उठानी चाहिए.
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सोना महापात्रा (Sona Mohapatra) ने बिकिनी पहनकर कुछ फोटो खिचवा लीं तो हंगामा हो गया. यूं तो भारत में कोई भी सेलिब्रिटी बिकिनी (bikini) पहन ले तो अजीब तरह का शोर मचने लगता है और आश्चर्य तो इस बात का है कि बिकिनी को आए 74 साल बीत जाने के बावजूद भी बिकिनी पहने महिलाओं को देखखर लोगों की आखों में आने वाली चमक में कोई कमी नहीं आई. 2020 में भी इस बात की गुंजाइश बाकी है कि एक सेलिब्रिटी बिकिनी पहने और उसे स्लट शेम किया जाए.
सोना महापात्रा (Sona Mohapatra) एक गायिका हैं और मीटू पर गंभीरता से आवाज उठाती आई हैं. इन्होंने अनू मलिक पर मीटू के आरोप लगाए थे. लेकिन सोना को बिकिनी में देखकर ट्विटर पर लोगों ने ठीक उसीतरह रिएक्ट किया जिस तरह वो करते आए हैं. कोई उन्हें उनकी उम्र बता रहा है तो कोई संस्कार सिखा रहा है. खैर सोना महापात्रा ने उनपर उंगली उठाने वालों को हमेशा की तरह बेबाकी से जवाब दिया. पहले सिर्फ दो तस्वीरें शेयर की थीं, लेकिन जवाब में पहले से भी ज्यादा और पहले से भी रिवीलिंग तस्वीरें शेयर कीं.
लोगों को जवाब देते हुए सोना ने ढेर सारी तस्वीरें शेयर कीं
ये होता ही आया है, लेकिन सोना महापात्रा(Sona Mohapatra) की बिकिनी पर आए कुछ विचारों ने मेरा ध्यान अपनी तरफ खींचा, जिसपर बात होनी चाहिए. पहली बात तो ये कि लोगों का कहना था कि 'एक तरफ तो वो मीटू पर बात करती हैं और दूसरी तरफ बिकिनी पहनती हैं.' और दूसरी बात ये कि 'बिकिनी सिर्फ अच्छे शरीर वाली महिलाओं को ही पहननी चाहिए'.
Bikini वाली महिलाओं को शोषण के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठानी चाहिए?
आश्चर्य होता है ये देखकर कि हमारे देश के युवा अभी भी उसी सोच में अटके हैं कि सिर्फ कपड़ों की वजह से ही महिलाओं के साथ यौन शोषण और बलात्कार किया जाता है. सोना महापात्रा ने अनु मलिक पर यौन शोषण का आरोप लगाया था, और वो metoo पर इसके खिलाफ काफी बोलती रही हैं. लेकिन जिस पल सोना महापात्रा का बिकिनी अवतार सामने आया, उनके MeToo के सारे आरोपों को गलत और फेक मान लिया गया.
यानी ये समाज आज भी यही सोचता है कि एक महिला की बात तभी गंभीरता से सुनी जाएगी अगर उसके कपड़े संस्कारी होंगे. बिकिनी असंस्कारी है और इसे पहनने वाली हर महिला जो यौन शोषण की बात करती है वो झूठी है. क्योंकि बिकिनी वाली महिलाओं का कोई शोषण कैसे कर सकता है. वाह रे मेरे देश के नौजवानों !
ये कहां लिखा है कि सिर्फ परफेक्ट बॉडी वाली महिलाएं ही बिकिनी पहन सकती हैं?
Bikini वही महिलाएं क्यों पहनें जिनका शरीर परफेक्ट हो?
सोना को ज्ञान देने वाले कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने उन्हें कम खाने की सलाह दी. और कहा कि 'आपके पास बिकिनी बॉडी नहीं है. बिकिनी इसलिए होती है जिससे कसे हुए शरीर को दिखाकर इठलाया जा सके. आपका शरीर वैसा नहीं है. और अगर नहीं है तो बेहतर है कि शरीर को ढक कर रखें.'
इनकी माने तो महिलाएं बिकिनी इसलिए पहनती हैं जिससे पुरुषों की अच्छा लग सके, और चूंकि वजनी महिलाएं पुरुषों को कम आकर्षित करती हैं इसलिए बिकिनी वही पहनें जिनका शरीर परफेक्ट हो. इनकी मानें तो कम आकर्षक महिलाओं को तो घर के अंदर ही रहना चाहिए. महिला को शरीर के आधार पर परफेक्ट और imperfect कहने का हक इन्हें दिया किसने?
इन समझदारों की समझ पर सिर्फ अफसोस किया जा सकता है कि ये हमारे देश के नौजवान हैं. ये आज भी आधुनिक महिलाओं से यही उम्मीद करते हैं कि वो समंदर और swimming pool में भी साड़ी पहने, सिर पर पल्लू लिए और हाथ जोड़कर डुबकी लगाएं. इन्होंने भारतीय संस्कारी नारी की छवि को 6 गज साड़ी में इसी तरह पानी में देखा है. बिकिनी तो केवल इनकी एरोटिक कल्पनाओं में ही होती है. लेकिन उसमें भी ये सनी लियोन को देखना पसंद करते हैं.
2020 में जहां उम्मीद की जा रही है कि इस तरह की पिछड़ी सोच को किनारे रख देश के युवा अपनी सोच का दायरा बढ़ाएंगे, आगे बढ़ेंगे. लेकिन लगता नहीं कि इस साल भी कुछ बदलाव आएगा. लेकिन इतना जरूर है कि सोना महापात्रा जैसी महिलाओं की संख्या में इजाफा जरूर होगा जो समयसमय पर इन लोगों को दिमाग से बड़े होने का अहसास दिलाती रहेंगी.
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