कोरोना कहर के बीच सिनेमाघरों में ही फिल्में रिलीज करने पर क्यों अड़े बड़े फिल्म मेकर्स?
एक तरफ 'द बिग बुल', 'गुलाबो-सिताबो', 'लक्ष्मी' और 'दिल बेचारा' जैसी फिल्में OTT प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई हैं, दूसरी तरफ 'सूर्यवंशी', 'राधे' और 'थलाइवी' फिल्मों के मेकर्स इन्हें सिनेमाघरों में ही रिलीज करने पर अड़े हैं. आखिर बॉक्स ऑफिस और OTT पर होने वाली कमाई के बीच अंतर क्या है?
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कोरोना के कहर के बीच लगी तमाम पाबंदियों की वजह से 'सूर्यवंशी', 'राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई', 'चेहरे' और 'थलाइवी' जैसी फिल्मों की रिलीज टाल दी गई है. कहा जा रहा है कि हालात ठीक होने पर मई-जून में इन फिल्मों को रिलीज किया जाएगा. कई फिल्में तो पिछले साल से बनकर तैयार हैं, लेकिन मेकर्स रिलीज नहीं कर पा रहे हैं. जबकि OTT प्लेटफॉर्म पर फिल्में रिलीज करने का एक विकल्प सभी फिल्म मेकर्स के पास है. 'द बिग बुल', गुलाबो-सिताबो और सड़क-2 जैसी तमाम बड़ी फिल्में OTT पर ही रिलीज हुई हैं. ऐसे में कुछ बड़े फिल्म मेकर्स अपनी फिल्में सिनेमाघरों में ही रिलीज करने पर आखिर क्यों अड़े हैं? आइए इसे समझते हैं.
कोरोना काल खंड में अन्य इंडस्ट्री की तरह फिल्म इंडस्ट्री ने भी बहुत कष्ट भुगते हैं. इसकी वजह से फिल्म मेकर्स को बहुत नुकसान हुआ है. लॉकडाउन के दौरान फिल्म इंडस्ट्री को करीब 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, बॉक्स ऑफिस से फिल्म इंडस्ट्री को हर साल करीब 5 से 6 हजार करोड़ रुपये का टर्नओवर आता है. सैटेलाइट और ओटीटी राइट्स से करीब 8-9 हजार करोड़ रुपए मिलते हैं. इसके अलावा म्यूजिक इंडस्ट्री से करीब 3-4 हजार करोड़ रुपए की कमाई हो जाती है. इस तरह बॉक्स ऑफिस से अरबों रुपए की कमाई करने वाली फिल्म इंडस्ट्री की कमर कोरोना के कहर के वजह से पूरी तरह टूट गई है.
'सूर्यवंशी' और 83 जैसी बड़ी फिल्मों की रिलीज कोरोना की वजह से लटकी हुई है.
बॉक्स ऑफिस पर कमाई कैसे होती है?
किसी भी फिल्म के बनने के दौरान होने वाले सभी खर्च प्रोड्यूसर करते हैं. इसलिए उनको फिल्म निर्माता कहा जाता है. फिल्म बनने के बाद डिस्ट्रीब्यूटर के जरिए दुनियाभर के सिनेमाघरों में रिलीज की जाती है. प्रोड्यूसर और थियेटर मालिक के बीच की कड़ी का काम डिस्ट्रीब्यूटर ही करता है. यहां डिस्ट्रीब्यूटर का रोल दो तरह से है. पहले प्रोड्यूसर अपनी फिल्म के बजट में अपना मुनाफा जोड़ने के बाद डिस्ट्रीब्यूटर को बेच देता था. इसके बाद डिस्ट्रीब्यूटर सर्किट वाइज सिनेमाघरों में हुए कलेक्शन को कलेक्ट करता था. इसी पैसे को बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कहा जाता है. मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन थियेटर मालिक वीकली कलेक्शन का एक निश्चित हिस्सा डिस्ट्रीब्यूटर को देते हैं. इसमें मनोरंजन कर भी काटा जाता है. वर्तमान समय में कई बड़े प्रोड्यूसर खुद ही फिल्मों के डिस्ट्रीब्यूशन का काम देखते हैं. इस तरह उनको फिल्मों से होने वाली कमाई सीधे मिल जाती है. फिल्म जितनी हिट हो, जितने ज्यादा से ज्यादा लोग देखें, उसका कलेक्शन उतना ही ज्यादा हो जाता है.
OTT प्लेटफॉर्म पर कमाई कैसे होती है?
ओटीटी प्लेटफॉर्मों पर फिल्मों की कमाई का गणित बहुत सीधा है. अमेजन प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स, MX प्लेयर, अल्ट बालाजी, वूट और ZEE5 जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म प्रोड्यूसर से फिल्म को रिलीज करने का राइट खरीदते हैं. प्रोड्यूसर जिस तरह अपनी फिल्में डिस्ट्रीब्यूटर को बेचते हैं, उसी तरह बजट में अपना मुनाफा जोड़कर ओटीटी प्लेटफॉर्म को बेच देते हैं. यहां डिस्ट्रीब्यूटर की भूमिका में ओटीटी प्लेटफॉर्म होते हैं. यह डील एक ही फिल्म की अलग-अलग भाषाओं के वर्जनों के लिए अलग होती है. वेब सीरीज की तरह ओटीटी प्लेटफॉर्म कुछ फिल्मों को प्रोड्यूस भी करते हैं. यानि फिल्म का निर्माण खुद कराते हैं. जैसे हालही में डिज्नी प्लस हॉटस्टार ने एक साथ कई फिल्मों के निर्माण के लिए करार किया था, जिनमें फिल्म 'दिल बेचारा', 'लूटकेस', 'खुदा हाफिज', 'सड़क 2', 'लक्ष्मी' और 'द बिग बुल' शामिल है.
ओटीटी पर रिलीज वेब सीरीज दिल्ली क्राइम की दुनियाभर में चर्चा हुई थी.
बॉक्स ऑफिस और OTT पर कमाई में अंतर
अब यहां सबसे बड़ा और दिलचस्प सवाल ये है कि बॉक्स ऑफिस और OTT प्लेटफॉर्म पर फिल्मों की कमाई में अंतर क्या होता है? जब OTT प्लेटफॉर्म फिल्म प्रोड्यूसर को उनका बजट और मुनाफा जोड़कर पैसे दे ही देते हैं, तो आखिर घाटा कैसे होता है? बड़े फिल्म मेकर्स OTT प्लेटफॉर्म की बजाए सिनेमाघरों में फिल्म रिलीज करना बेहतर क्यों समझते हैं? दरअसल, OTT प्लेटफॉर्म एक निश्चित रकम देकर फिल्मों के राइट खरीद लेते हैं. ऐसे में प्रोड्यूसर को एक निश्चित फायदा ही हो पाता है. वहीं, फिल्में जब सिनेमाघरों में रिलीज होती हैं और हिट हो जाती हैं, तो उनकी कमाई उसी हिसाब से बढ़ती जाती है. चूंकि अब ज्यादातर प्रोड्यूसर खुद ही डिस्ट्रीब्यूटर होते हैं, ऐसे में बॉक्स ऑफिस पर होने वाला मुनाफा सीधे उनकी पॉकेट में जाता है. बॉक्स ऑफिस पर हमेशा बेहिसाब कमाई होने की संभावना रहती है. इससे भी बड़ी बात ये है कि यदि कोई फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज भी हो गई, तो भी ओटीटी और सैटेलाइट राइट बेचने पर कई बार फिल्म की लागत निकल जाती है.
ओटीटी पर रिलीज बड़ी फिल्मों की कमाई
कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान जब सभी सिनेमाघर बंद कर दिए गए, तो कई फिल्म मेकर्स के सामने संकट पैदा हो गया. उसी दौरान ओटीटी प्लेटफॉर्म ने प्रोड्यूसरों को एक ऑफर देकर कहा कि आप अपनी फिल्म को एक्सक्लूसिव मेरे प्लेटफॉर्म पर रिलीज करें. पहले तो प्रोडक्शन हाउस वाले इस तरह के ऑफर से डरते थे कि कहीं उनकी फिल्म न चले या घाटा न हो जाए. लेकिन जब धीरे-धीरे अमेजन, नेटफ्लिक्स और जी5 जैसे ओटीटी प्लैटफॉर्म का विस्तार हुआ, कई देशों में इसकी स्ट्रीमिंग बढ़ी तो बॉलीवुड के बड़े-छोटे प्रोडक्शन हाउस ने भी अपनी छोटी-बड़ी फिल्मों को ओटीटी पर रिलीज करना शुरू कर दिया. अमिताभ बच्चन की फिल्म 'गुलाबो सिताबो', अक्षय कुमार की लक्ष्मी, संजय दत्त की सड़क 2, अजय देवगन की भुज, अभिषेक बच्चन की द बिग बुल और विद्युत जमवाल की खुदा हाफिज रिलीज हुई.
डिज्नी प्लस हॉटस्टार अभिषेक बच्चन की फिल्म द बिग बुल हाल ही में रिलीज हुई है.
फिल्म- कमाई (करोड़ रुपए)
गुलाबो सिताबो- ₹65
लक्ष्मी- ₹125
भुज- ₹110
द बिग बुल- ₹40
खुदा हाफिज- ₹10
शकुंतला देवी- ₹40
गुंजन सक्सेना- ₹50
सड़क 2- ₹70
लूटकेस- ₹10
दिल बेचारा- ₹40
OTT प्लेटफॉर्म मुनाफा कैसे होता है?
ओटीटी प्लेटफॉर्म को होने वाले मुनाफे या फायदे को तीन कैटेगरी में बांटा जा सकता है. पहला TVOD यानि हर यूजर किसी भी कंटेंट को जब डाउनलोड करता है, तो उसके लिए एक फीस देता है. उसको हर डाउनलोड पर पैसे चुकाने पड़ते हैं, जैसे थियेटर में पैसे देकर टिकट लेता है, वैसा ही कुछ समझ लीजिए. दूसरा SVOD, यानि यूजर किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म का कंटेंट देखने के लिए हर महीने या साल भर में एक बार पैसे चुकाता है. इस तरह यूजर उस प्लेटफॉर्म का मंथली या ईयरली सब्सक्रिप्शन लेता है. तीसरा है AVOD, यानि जिस प्लेटफॉर्म पर कंटेंट देखने के लिए यूजर को कोई पैसा नहीं देना होता है. उस ओटीटी प्लेटफॉर्म का सब्सक्रिप्शन फ्री होता है. लेकिन यहां यूज़र को विज्ञापन देखने होते हैं. जैसे MX प्लेयर का सब्सक्रिप्शन फ्री है, लेकिन इस पर दिखाई जाने वाली वेब सीरीज या फिल्मों में ऐड बहुत आते हैं. जिस तरह यूट्यूब पर हम सभी वीडियो फ्री में देखते हैं, लेकिन वीडियो के बीच में ऐड भी देखने पड़ते हैं. इन विज्ञापनों के ज़रिए ओटीटी की मोटी कमाई होती है.
तेजी से बढ़ रहा आकार और कारोबार
कोरोनाकाल में अमेजन प्राइम, नेटफ्लिक्स और डिज्नी प्लस हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेफॉर्म्स पर यूजर्स का टाइम स्पेंड 82.63% बढ़ा है. इसी दौरान यू-ट्यूब जैसे फ्री एक्सेस प्लेटफॉर्म पर देश के लोगों ने 20.5% ज्यादा समय खर्च किया. साल 2020 के पहले तीन महीने में भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को 30 हजार करोड़ व्यूज मिले. साल 2019 के अंतिम तीन महीनों यानी अक्टूबर से दिसंबर से ये 13% ज्यादा है. साल 2018 तक भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का मार्केट 2150 करोड़ रुपए का था. साल 2019 के अंत में ये बढ़कर 2185 करोड़ रुपए का हो गया. इसके बाद भी एकाउंटिंग फर्म प्राइसवाटर हाउस कूपर्स ने 2023 तक इस मार्केट के 11 हजार 977 करोड़ रुपए का होने का अनुमान लगाया था. लेकिन, कोरोनाकाल में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को जिस तेजी से यूजर मिले हैं, उससे ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता है.
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