The Kashmir Files के बाद 'सावरकर' पर फिल्म, बॉलीवुड बवाल ही मचाने जा रहा है!
Swatantryaveer Savarkar Movie: कश्मीरी पंडितों के पलायन और हिंदूओं के नरसंहार पर आधारित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के बाद अब विनायक दामोदर सावरकर पर एक फिल्म बनने जा रही है. इसका नाम 'स्वतंत्र वीर सावरकर' है. फिल्म में सावरकर का किरदार रणदीप हुड्डा निभाएंगे. फिल्म का निर्देशन महेश मांजरेकर कर रहे हैं.
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''हिंदू...हिंदी...हिदुस्तान, कभी न होगा पाकिस्तान''...लाल किले में ये नारा वीर सावरकर और उनके साथियों ने लगाया था. उस वक्त महात्मा गांधी की हत्या के बाद वीर सावरकर, नथूराम गोडसे और नारायण आप्टे सहित उनके कई साथियों को गिरफ्तार किया गया था. उनका मुकदमा लाल किले में चल रहा था. लेकिन जज ने वीर सावरकर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. वहीं, नथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी की सजा सुना दी गई. विनायक दामोदर सावरकर को हिंदुस्तान में हिंदूत्व का सबसे बड़ा पैरोकार माना जाता है. उन्होंने एक किताब लिखी थी, 'हिंदुत्व: हू इज हिंदू?' इसमें उन्होंने पहली बार हिंदुत्व को एक राजनीतिक विचारधारा के तौर पर इस्तेमाल किया था. इसी राजनीतिक विचारधारा की पोषक भारतीय जनता पार्टी है, जिसकी साल 2014 से केंद्र में सरकार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सावरकर के बहुत बड़े प्रशंसक माने जाते हैं.
विनायक दामोदर सावरकर पर बॉलीवुड में एक फिल्म बनने जा रही है. फिल्म 'स्वतंत्र वीर सावरकर' (Vinayak Savarkar) में उनका किरदार अभिनेता रणदीप हुड्डा निभाने जा रहे हैं. फिल्म का निर्देशन महेश मांजरेकर कर रहे हैं, जबकि संदीप सिंह और आनंद पंडित निर्माता हैं. देश में फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) की लहर के बीच अब 'सावरकर' पर फिल्म बनाकर बॉलीवुड बवाल ही मचाने जा रहा है. क्योंकि सभी जानते हैं कि भाजपा उनको अपना आदर्श मानती रही है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी सावरकर को हमेशा सम्मान देता रहा है. ऐसे में इस फिल्म पर विपक्षी दलों का विरोधी स्वर जरूर सुनने को मिलेगा. लेकिन राष्ट्रवादी विचारधारा को मानने वाले लोग इस फिल्म को खुद तो देखेंगे ही दूसरे लोगों को देखने के लिए प्रेरित भी करेंगे. जैसा कि इस वक्त विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के साथ हो रहा है.
फिल्म 'स्वतंत्र वीर सावरकर' विनायक दामोदर सावरकर के जीवन की अनकही दास्तान सामने लाएगी.
कश्मीरी पंडितों के पलायन और हिंदूओं के नरसंहार पर आधारित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' राष्ट्रवादी विचारधारा के पोषक लोगों के समर्थन की वजह से बॉक्स ऑफिस पर हर रोज नए रिकॉर्ड बना रही है. बड़ी संख्या में सिनेमाघरों में जाकर लोग इस फिल्म को देख रहे हैं. सड़क से सोशल मीडिया तक लोगों से इसे देखने की अपील कर रहे हैं. इसकी वजह से फिल्म रिलीज के बाद महज 11 दिनों में ही 200 करोड़ रुपए की कमाई कर चुकी है. महज 14 करोड़ रुपए में बनी इस फिल्म के मेकर्स ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि इतना कलेक्शन हो सकता है.
शायद इसी मौके को भुनाने के लिए फिल्म मेकर्स संदीप सिंह और आनंद पंडित ने 'वीर सावरकर' पर फिल्म बनाने का ऐलान किया है. उनको पता है कि इस समय देश में राष्ट्रवाद का स्वर बुलंद है. ज्यादातर लोग हिंदू और मुस्लिम के बीच बंटे हुए हैं. ऐसे में हिंदुस्तान के सबसे बड़े 'पोलराइजिंग फिगर' विनायक दामोदर सावरकर पर फिल्म बनाकर रिलीज करना फायदे का सौदा हो सकता है. संदीप और आनंद की जोड़ी इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक फिल्म भी बना चुकी है.
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज हुई इमरान हाशमी की फिल्म 'चेहरे' और अभिषेक बच्चन की फिल्म 'द बिग बुल' को प्रोड्यूस करने वाले आनंद पंडित राइट विंग के फिल्म मेकर माने जाते हैं. वहीं सुशांत सिंह राजपूत के दोस्त के तौर पर सुर्खियों में संदीप सिंह ने भी 'झुंड', 'अलीगढ़' और 'सरबजीत' जैसी फिल्मों को प्रोड्यूस किया है. उनको भी राइट विंग का माना जाता है. फिल्म 'स्वतंत्र वीर सावरकर' में सबसे दिलचस्प विनायक सावरकर के किरदार में अभिनेता रणदीप हुड्डा को देखना होगा. रणदीप इससे पहले आनंद पंडित की फिल्म 'सरबजीत' में भी लीड रोल कर चुके हैं.
उस फिल्म में उनके अभिनय की हर जगह तारीफ हुई थी. जेल के अंदर फिल्माए गए उनके सीन आज भी याद किए जाते हैं. जैसा कि हम जानते हैं कि वीर सावरकर ने भी अपने जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा अंडमान निकोबार में सलाखों के पीछे बिताया था. उनको 'काला पानी' की सजा दी गई थी. इस दौरान उन्होंने पत्थर से जेल की दीवारों पर 6000 से अधिक कविताएं लिखकर उसे याद कर लिया था. ऐसे में रणदीप को एक बार फिर इस तरह के सीन में देखना रोचक होगा.
बताया जा रहा है कि इस फिल्म की शूटिंग इसी साल जून से शुरू हो जाएगी. इसे लंदन, महाराष्ट्र और अंडमान और निकोबार में विभिन्न स्थानों पर शूट किया जाएगा. फिल्म एक अलग स्पेक्ट्रम से भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को उजागर करेगी. वीर सावरकर की इस अनकही कहानी का निर्देशन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता महेश वी मांजरेकर करेंगे. निर्माता संदीप सिंह का कहना है, ''भारत में बहुत कम अभिनेता हैं जो अपनी प्रतिभा से जादू बिखेर सकते हैं, और रणदीप उनमें से एक हैं.
वीर सावरकर को भारतीय इतिहास के सबसे विवादास्पद पात्रों में से एक मानते हुए, मैं केवल रणदीप के बारे में सोच सकता था. वीर सावरकर के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, मुझे आश्चर्य है कि हमारी इतिहास की किताबों में वीर सावरकर का कभी उल्लेख क्यों नहीं किया गया?'' संदीप की बातों से इतना तो साफ है कि फिल्म में सावरकर के अनकहे पक्ष को दिखाया जाएगा.
निर्देशक महेश वी मांजरेकर कहते हैं, ''यह उन कहानियों को बताने का सही समय है, जिन्हें हमने नज़रअंदाज़ किया था. स्वतंत्र वीर सावरकर एक नुकीला सिनेमाई आख्यान होगा जो हमें अपने इतिहास को फिर से देखने के लिए मजबूर करेगा. मैं संदीप सिंह के साथ काम करना चाहता था और मुझे खुशी है कि हम इस फिल्म को एक साथ कर रहे हैं.'' फिल्म अभिनेता रणदीप हुड्डा का कहना है, ''ऐसे कई नायक हैं जिन्होंने हमें हमारी स्वतंत्रता दिलाने में अपनी भूमिका निभाई है. हालांकि, सभी को उनका हक नहीं मिला है. विनायक दामोदर सावरकर इन गुमनाम नायकों में सबसे गलत समझे जाने वाले, प्रभावशाली हैं और उनकी कहानी जरूर बताई जानी चाहिए. स्वतंत्र वीर सावरकर के लिए फिल्म 'सरबजीत' के बाद संदीप सिंह के साथ काम करके मुझे बेहद खुशी हो रही है. इसे निभाना एक और चुनौतीपूर्ण भूमिका होगी.''
फिल्म के निर्माता, निर्देशक और मुख्य अभिनेता की बातों से पता चलता है कि किताबों में हमें सावरकर के बारे में जो पढ़ाया और बताया गया है, उसके विपरीत सावरकर की जिंदगी को सिनेमा के माध्यम से पेश किया जाने वाला है. सियासत और समाज का सिनेमा पर सीधा असर पड़ता है. यूं भी कह सकते हैं कि सिनेमा का समाज और सियासत पर भी असर होता है. सियासत और समाज में इस वक्त राष्ट्रवादी स्वर मुखर है, जिसकी वजह से सिनेमा में भी इसकी छाप दिखनी शुरू हो चुकी है.
शुरूआत के समय में कुछ डाक्यूमेंट्री टाइप की फिल्मों का निर्माण किया गया. लेकिन अब 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी फिल्मों के साथ गंभीर सिनेमा की शुरूआत हो चुकी है. ऐसी फिल्में किसी भी घटना या व्यक्ति के उस पहलू से रूबरू करा रही हैं, जो अभी तक लोगों को पता ही नहीं थी. या यह भी कह सकते हैं कि उसे जानबूझकर छुपा लिया गया था. यह बॉलीवुड में बदलाव का दौर है. हिंदुस्तान में सियासत और समाज के साथ सिनेमा बदल रहा है.
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