विजय की बीस्ट को खाड़ी देशों ने बैन किया था, अब वही फिल्म हिंदी में धमाका करने आ रही है!
दक्षिण के तमाम फिल्ममेकर्स ने बॉलीवुड की दुखती राग पकड़ ली है. दक्षिण के तमाम फिल्ममेकर अपनी फिल्मों का हिंदी बेल्ट में प्रमोशन भले ना करें मगर उसे बॉलीवुड फिल्मों के सामने रिलीज कर रहे हैं. विजय की वरिसु हिंदी में रिलीज होने वाली ऐसी ही एक फिल्म है. इसे अर्जुन कपूर की फिल्म के सामने लाया जा रहा है.
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"पावर कुर्सी में नहीं उसपर बैठने वाले में होती है"
तमिल सिनेमा के महानायक थलपति विजय की एक और मास एंटरटेनर फिल्म वरिसु (Varisu) का दमदार संवाद है. फिल्म रिलीज के लिए तैयार है. इसे अर्जुन कपूर की 'कुत्ते' के सामने हिंदी में भी रिलीज किया जा रहा है. चूंकि फिल्म विजय की ही है तो इसके दमदार संवाद और एक्शन सीन्स दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए पर्याप्त हैं. इससे पहले हिंदी दर्शकों की नजर उन्हीं की एक और एक्शन एंटरटेनर बीस्ट पर जरूर पड़ी होगी. इसे भी हिंदी बेल्ट में लाया गया था, मगर तब इसकी बहुत चर्चा नहीं हो पाई थी. हिंदी बेल्ट में फिल्म को लेकर जो चर्चा हुई असल में वह खाड़ी के कुछ देशों में बीस्ट पर प्रतिबंध लगाने की वजह से हुई. बीस्ट एक इंडियन सोल्जर की कहानी को दिखाने वाली फिल्म थी. उसमें इस्लामिक टेरर का प्लाट था. मगर यही प्लाट खाड़ी देशों को गैरइस्लामिक लगा.
बावजूद, विजय की वरिसु में ऐसा कुछ नहीं है. चूंकि यह एक फैमिली ड्रामा है और इसकी कहानी के केंद्र में एक बिजनेस फैमिली है तो शायद खाड़ी के देश विजय की फिल्म पर आपत्ति ना करें इस बार. रजनीकांत, कमल हासन और कुछ हद तक धनुष को छोड़ दिया जाए तो तमिल फिल्म मेकर्स हिंदी बेल्ट में अपनी फिल्मों के आक्रामक प्रमोशन को लेकर ज्यादा फिक्रमंद नजर नहीं आते. कम से कम दक्षिण से जिस तरह तेलुगु और कन्नड़ फिल्म मेकर नजर आते हैं वैसा तो नहीं दिखता. तेलुगु और कन्नड़ के फिल्ममेकर अब हिंदी बेल्ट में भी वैसा ही कैम्पेन करते दिखते हैं जैसे अपनी मातृभाषा में. बावजूद जो तमिल फ़िल्में यहां रिलीज हुई हैं, बिना प्रमोशन के उनका असर दिखता है.
थलपति विजय.
अर्जुन कपूर की कुत्ते के सामने वरिसु सबसे बड़ा खतरा
पिछले साल चोल साम्राज्य की ऐतिहासिक कहानी पर बनी मणिरत्नम की फिल्म PS-1 भी ऐसे ही हिंदी में रिलीज हुई थी. कोई ज्यादा प्रचार-प्रसार नहीं दिखा बावजूद PS-1 ने हिंदी बेल्ट से 25 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन निकालकर फिल्म ट्रेड सर्किल को हैरान कर दिया था. हिंदी बेल्ट में अब साउथ की फिल्मों को पर्याप्त स्क्रीन तक नहीं मिलते. वैसे भी तमिल में PS-1 ब्लॉकबस्टर थी और साल की सर्वाधिक कमाई करने वाली चार फिल्मों में शामिल थी. तमिल फ़िल्में हिंदी में क्लिक तो कर रही हैं, तमिल एक्टर्स का तगड़ा फैन बेस भी है. यहां हिंदी बेल्ट को लेकर उनकी क्या रणनीति है अभी इसका पता लगाना मुश्किल है. वरिसु भी रिलीज होने को है मगर उसकी चर्चा नहीं है. बावजूद आईचौक ने मुंबई और दिल्ली एनसीआर जैसे इलाकों में विजय की फिल्म के हिंदी वर्जन की एडवांस बुकिंग देखी तो वह लगभग अर्जुन कपूर की फिल्म के बराबर है. अर्जुन की फिल्म एक जनहित याचिका की वजह से कोर्ट में है. रिलीज पर आशंका जताई गई थी. आज फैसला भी आना था. विश्लेषण लिखे जाने तक अपडेट नहीं मिल पाया है. अर्जुन कपूर के सामने वरिसु एक खतरे की तरह मौजूद रहेगी.
दिल्ली और मुंबई के मल्टीप्लेक्स में तो यही दिख रहा है. इस लिहाज से अगर कहा जाए कि विजय की फिल्म बाजी मार ले जाएगी तो गलत नहीं होगा. हालांकि हिंदी बेल्ट में कुछेक फिल्मों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर फिल्में रनिंग ऑडियंस के जरिए ही चलती हैं. यानी ऐसा ऑडियंस जो प्लान कर किसी फिल्म का टिकट बुक नहीं करता. बल्कि घूमते-टहलते सिनेमाघर पहुंच जाता है. ऐसे ऑडियंस पर प्रमोशनल एक्टिविटीज का गहरा असर पड़ता है. यानी इस कमी की वजह से विजय की फिल्म को दर्शक मिलेंगे या नहीं, कुछ भी तय नहीं कहा जा सकता. हो सकता है कि बॉलीवुड के खिलाफ और दक्षिण के पक्ष में जो सिनेमाई ट्रेंड है उसकी वजह से दर्शक मिल जाए. इसका उलटा भी हो सकता है.
क्या यह बिना कुछ निवेश किए दक्षिण की प्रमोशनल रणनीति है?
या यह भी हो सकता है कि दक्षिण हिंदी बेल्ट में प्रमोशन पर जानबूझकर अतिरिक्त प्रयास नहीं कर रहा है. क्योंकि दक्षिण के फ़िल्ममेकर ने बॉलीवुड की दुखती रग पकड़ ली है. वे सिर्फ बॉलीवुड फिल्मों के सामने टिकट खिड़की पर प्रतिस्पर्धा करने चले आ रहे हैं और उन्हें भरोसा है कि एंटी बॉलीवुड माइंडसेट की वजह से उनका काम हो ही जाएगा. हाल ही में मणिरत्नम ने भी करण जौहर की एक फिल्म की सुरक्षित डेट पर ही अपनी PS-2 को रिलीज करने की घोषणा की. इससे पहले भी दक्षिण के तमाम निर्माताओं ने शायद जानबूझकर बॉलीवुड फिल्मों के साथ क्लैश चुना. बात दूसरी है कि तमाम मौकों पर बॉलीवुड के निर्माता पीछे हट गए और अपनी फिल्मों की रिलीज को रीशेड्यूल किया.
स्वाभाविक है कि किसी बॉलीवुड फिल्म के खिलाफ कैम्पेन चल रहा हो तो लोग उसके मुकाबले में विकल्प के रूप में दक्षिण के सिनेमा को हाथोंहाथ लेते नजर आते हैं. पठान के सामने एन बालकृष्ण की अखंडा को ही देख लीजिए. 25 जनवरी को आ रही पठान का तगड़ा विरोध है. अचानक से बालकृष्ण की सालभर पुरानी फिल्म को हिंदी में डबकर 20 जनवरी के दिन रिलीज करने की घोषणा की गई और बात जंगल में आग की तरह फैली. शायद यह पठान का विरोध ही हो कि दर्शकों ने बालकृष्ण की फिल्म को हाथोंहाथ लिया है. तो हो सकता है कि वरिसु के मेकर्स को लगा हो कि अर्जुन कपूर की कुत्ते के सामने फिल्म का रिलीज होना ही उसका प्रमोशन है.
तमिल फिल्म हिंदी मार्केट में क्या कारनामे दिखाती है- देखना दिलचस्प होगा. जहां तक बात तमिल रीजन की है वहां जबरदस्त माहौल है. फिल्म की समीक्षाएं जोरदार आई हैं. फिल्म तमिलनाडु में रिलीज हो चुकी है. थाला अजित की फिल्म के साथ क्लैश के बावजूद वरिसु ने पहले दिन 19.43 करोड़ का कलेक्शन निकाला है. इसे शानदार ओपनिंग कह सकते हैं.
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