Tandav Controversy: 'सुप्रीम' फैसले पर तांडव के बीच ये हकीकत भी जान लीजिए, आंखें खुल जाएंगी!
'न्याय के मंदिर का दरवाजा कभी भी बंद नहीं किया जा सकता', पिछले साल एक विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने ये कहा था. यह बात अपने आप में मुकम्मल बयान है कि सुप्रीम कोर्ट न्याय का मंदिर है. इस पर विश्वास बनाए रखा जाना चाहिए.
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सुप्रीम कोर्ट को न्याय का मंदिर कहा जाता है. हर तरफ से निराश जब कोई व्यक्ति किसी से यह कहता है 'See you in court', तो इन शब्दों से उसका कोर्ट के प्रति भरोसा झलकता है. उसको यह यकीन होता है कि कोर्ट में उसे न्याय जरूर मिलेगा. कोर्ट अपना फैसला सबूतों के आधार पर देता है. ऐसे में कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाना, उस भरोसे का कत्ल करने जैसा है, जिस पर लोकतंत्र का वजूद टिका है. लेकिन आजकल सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाना, उस पर तंज कसना एक फैशन सा बन गया है. ताजा मामला विवादास्पद वेब सीरीज 'तांडव' (Tandav Row) से जुड़ा है.
हुआ यूं कि वेब सीरीज 'तांडव' के मेकर्स, राइटर, डायरेक्टर और एक्टर अपने खिलाफ देशभर में दर्ज हो रहे FIR पर अंतरिम सरंक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि इस राहत के लिए वे हाईकोर्ट जाएं. इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा, 'आपने स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद कॉन्ट्रैक्ट स्वीकार किया होगा. आप धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं कर सकते.' मनमुताबिक फैसला नहीं आया तो कई लोगों की भावनाएं आहत हो गईं. उनका भरोसा डगमगा गया. यहां तक की कोर्ट के कमेंट पर परोक्ष रूप से तंज कसना शुरू कर दिया.
...तो क्या गिरफ्तार होगी वेब सीरीज तांडव की टीम?
इस कड़ी में सबसे पहले सामने आईं फिल्म एक्ट्रेस कोंकणा सेन शर्मा, ट्विटर पर उन्होंने लिखा, 'शो में शामिल लगभग सभी ने स्क्रिप्ट पढ़ी और कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किए हैं! चलो सभी कलाकारों और क्रू मेंबर्स को गिरफ्तार करो?' देखते ही देखते कोंकणा सेन शर्मा का ये ट्वीट वायरल होने लगा. इसी बीच एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा भी सामने आ गईं. उनसे रहा नहीं गया, तो उन्होंने सीधे कोर्ट के खिलाफ कुछ लिखने की बजाए, अपने मन की बात एक लाइन में लिखकर एक रिट्वीट किया. उन्होंने लिखा, 'कोर्ट की प्राथमिकताएं (Priorities of the apex court).'
कोंकणा सेन शर्मा का ट्वीट...
Almost all involved in the show have read the script and signed the contract! Let’s arrest the whole cast and crew? https://t.co/xbqbQ641D7
— Konkona Sensharma (@konkonas) January 28, 2021
विवादास्पद मामलों में कूदना और उस पर अपनी राय देना ऋचा चड्ढा के लिए कोई नई बात नहीं है, लेकिन कोंकणा सेन का कटाक्ष लोगों के गले नहीं उतर रहा. कोंकणा के ट्वीट पर लोग तेजी से अपनी प्रतिक्रिया देने लगे. अधिकतर लोग कोर्ट के कमेंट पर सहमत नजर आए. लोगों का कहना है कि कैरेक्टर की आड़ में किसी को भी धार्मिक भावनाएं आहत करने का अधिकार नहीं है. एक यूजर लिखते हैं, 'इन पर बैन नहीं लगाना चाहिए, बल्कि मेकर्स, राइटर और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 100-200 करोड़ रुपये का फाइन लगा देना चाहिए. एक्टरों का तो कोई जमीर ही नहीं, वे सिर्फ पैसे के लिए ऐसा करते हैं.'
ऋचा चड्ढा का ट्वीट...
Priorities of the apex court ! https://t.co/nJNH6tn6oO
— TheRichaChadha (@RichaChadha) January 28, 2021
क्या है विवाद की वजह?
14 जनवरी को अमेजन प्राइम पर रिलीज हुई वेब सीरीज 'तांडव' में बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान, जीशान अयूब, गौहर खान मुख्य भूमिकाओं में हैं. इसका डायरेक्शन अली अब्बास जफर ने किया है. फिल्म में एक प्ले के दौरान जीशान अयूब ने भगवान शिव की भूमिका निभाई है. एक दृश्य में वह मजाक करते और गाली देते हुए नजर आ रहे हैं. यह सीन देखने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने अपना आक्रोश जाहिर किया. देश भर में कई जगह मेकर्स के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है. आरोप है कि वेब सीरीज में जातियों को छोटा बड़ा दिखाकर उनमें विभाजन करने की कोशिश की गई है.
कई राज्यों में दर्ज है केस
इतना ही नहीं वेब सीरिज में महिलाओं को अपमानित करने वाले दृश्य भी हैं. प्रधानमंत्री जैसे गरिमामय पद को ग्रहण करने वाले व्यक्ति का चित्रण भी बेहद अशोभनीय ढंग से किया गया है. वेब सीरीज शासकीय व्यवस्था को भी क्षति पहुंचा रही है. लोगों की शिकायत के आधार पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में मेकर्स, राइटर, डायरेक्टर और एक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. इसके बाद अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए अमेजन प्राइम इंडिया की प्रमुख अपर्णा पुरोहित, निर्माता हिमांशु कृष्ण मेहरा, लेखक गौरव सोलंकी और एक्टर जीशान अयूब ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.
सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्या कहा?
अपने खिलाफ कई राज्यों में दर्ज मुकदमों के बाद 'तांडव' की टीम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और एफआईआर रद्द करने का आग्रह किया. उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एफआईआर कई राज्यों में हुई है, ऐसे में हर जगह जाना उनके लिए मुमकिन नहीं हो पाएगा. इसलिए सभी एफआईआर को मुंबई में ही क्लब कर दिया जाए. एक्टर जीशान अयूब ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, 'मैं एक अभिनेता हूं. मुझसे भूमिका निभाने के लिए संपर्क हुआ था. इस पर कोर्ट ने कहा, 'आपकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है. आप ऐसा किरदार नहीं निभा सकते हैं जो एक समुदाय की भावनाओं को आहत करता हो.'
आखिर कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत लिखित और मौखिक रूप से अपना मत प्रकट करने हेतु अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रावधान किया गया है. ऐसे में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारत के नागरिकों का मौलिक अधिकार है, लेकिन भारतीय संविधान ने इस पर विवेक-सम्मत सीमाएं भी लगाई हैं. भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता पर खतरे की स्थिति और न्यायालय की अवमानना की स्थिति में इस अधिकार को बाधित किया जा सकता है. चूंकि कोर्ट संविधान से चलता है. इसलिए संविधान के दायरे में ही सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह कमेंट किया है.
सुप्रीम कोर्ट पर सवाल क्यों?
बीते कुछ वर्षों में यह एक नया चलन चला है. सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर सवाल उठाने का. जिस पक्ष के खिलाफ फैसला जाता है, वो सवाल खड़े करने लगता है. चाहे राम मंदिर पर फैसला हो या राफेल विमान सौदे का, हर बार विवाद खड़े करने वालों ने सवाल भी खड़े किए. लेकिन लोग भूल जाते हैं कि यह न्याय का वही मंदिर है, जो इंसाफ के लिए रात 2 बजे भी खुलता है. साल 2015 में याकूब की फांसी से लेकर 2020 में निर्भया गैंगरेप के दोषियों की फांसी की सजा पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पूरी रात चलती रही. पिछले साल एक विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने कहा था, 'न्याय के मंदिर का दरवाजा कभी भी बंद नहीं किया जा सकता.' यह बात अपने आप में मुकम्मल बयान है कि सुप्रीम कोर्ट न्याय का मंदिर है. इस पर विश्वास बनाए रखना चाहिए.
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