Thappad movie: किसी फिल्म का इससे पवित्र प्रमोशन नहीं हो सकता
तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) की फिल्म थप्पड़ 28 फरवरी को रिलीज (Thappad movie release date) होनी है. एक सप्ताह पहले शुक्रवार को यूट्यूब पर इस फिल्म से जुड़ी एक वीडियो क्लिप उभरी. इसे आप फिल्म को प्रमोशन भी कह सकते हैं, या एक पवित्र अभियान के साथ जुड़ना भी. आइए, इस पर बात करते हैं:
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थप्पड़ फिल्म (Thappad movie) का बैकग्राउंड एक शादीशुदा महिला के साथ होने वाली घरेलू हिंसा पर आधारित है. मुल्क और आर्टिकल 15 जैसी फिल्में बनाने वाले अनुभव सिन्हा (Anubhav Sinha) फिर क्रांति के मूड में हैं. और तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) अपनी अदाकारी की ताकत इस फिल्म में दिखाती नजर आ रही है. इस फिल्म की एहमियत और उसके संदेश का अंदाजा तो हमें फिल्म के ट्रेलर (Thappad movie trailer) से ही लग गया था. लेकिन इस फिल्म के निर्माताओं ने घरेलू हिंसा से जुड़े पहलू को एक अभियान के साथ जोड़ा है.
टी-सीरीज के यूट्यूब चैनल पर शाम करीब 4 बजे एक वीडियो अपलोड हुआ. शीर्षक था- Thappad Pe Disclaimer? तापसी वीडियो के जरिए दर्शकों से मुखातिब हैं. और उनके पीछे फिल्म में तापसी के पति का किरदार निभा रहे में पवैल गुलाटी (Pavail Gulati). पवैल झुंझलाए हुए हैं और ऑफिस के किसी मसले को लेकर फोन पर बातें कर रहे हैं. तापसी दर्शकों को बखूबी समझा रही हैं कि पति अपने ऑफिस का फ्रस्ट्रेशन पत्नी पर यह कहकर जाहिर करते हैं कि उसे क्या समझ में आएगा. वीडियो में बारी-बारी से दो और सीन हैं. पहला पति के हाथ में शराब से भरा ग्लास और फिर पति के हाथ में सिगरेट. तापसी जाहिर करती हैं कि शराब और सिगरेट के सीन जब भी फिल्मों या टीवी पर आते हैं, तो स्वास्थ्य से जुड़ी चेतावनी के स्वरूप एक Disclaimer लगाना पड़ता है. जैसे, 'शराब या सिगरेट पीना स्वास्थ के लिए हानिकारक है'. लेकिन जिन फिल्मों में घरेलू हिंसा के सीन होते हैं, उनसे पहले तो ऐसा कोई Disclaimer नहीं आता, जैसा कि जानवरों के मामले में होता है कि 'No animals were harmed while making this film'. शायद किसी महिला को मारा गया थप्पड़ इन सबके सामने छोटी सी बात है. जिसके लिए चेतावनी देना कोई जरूरी नहीं.
वाकई सोचने वाली बात है कि शराब और सिगरेट पीने पर चेतावनी दी जाती है, लेकिन हिंसा का प्रदर्शन क्या सामान्य बात है?
फिर तापसी मुद्दे पर आती हैं. अपील करती हैं कि यदि शराब, सिगरेट की तरह घरेलू हिंसा को लेकर भी यदि Disclaimer आना चाहिए तो इससे जुड़ी ऑनलाइन पिटिशन साइन कीजिए. क्योंकि थप्पड़ बस जरा सकी बात नहीं है.
https://www.change.org/EkThappad
इस याचिका में शाहिद कपूर की फिल्म कबीर सिंह का भी जिक्र किया गया है, जिसमें महिला के साथ होने वाली हिंसा का महिमामंडन (glorification of violence) किया गया था. सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई थी. लेकिन इस ऐतराज को कई लोगों ने ये कह कर खारिज किया था कि 'महिलाओं के साथ तो सामान्यत: हिंसा होती ही है, इसमें हैरानी की क्या बात है'. कुछ लोग तो ये तक कह गए थे कि 'आखिर एक पुरुष अपनी आशिकी की हद दिखाने के लिए और क्या करेगा'.
फिल्मों में हिंसा दिखाने से पहले उसकी चेतावनी जारी करने की मुहिम ने जोर पकड़ लिया है.
Change.org पर यह याचिका रजिस्टर करने वाली महिका बनर्जी कहती हैं कि हम एक ऐसे दौर में रह रहे हैं, जब महिलाओं के विरुद्ध अपराध में बढ़ोतरी होती जा रही है. चाहे वह नवजात बच्ची हो, या बुजुर्ग महिला. और ऐसा हर अपराध रोंगटे खड़े करता है. ऐसे अपराधों को समान्य दृष्टि से देखने का समय अब गया. उन्होंने अपनी याचिका में सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी और सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को टैग किया है. ताकि टीवी हो या सिनेमा, महिलाओं और लड़कियों के साथ होने वाली हिंसा के किसी भी सीन के साथ एक पब्लिक वार्निंग जारी की जाए. किसी फिल्म के शुरू होने से पहले या इंटरवेल में 30 सेकंड का एक विज्ञापन भी दिखाया जाए, जिसमें किसी भी तरह की हिंसा की निंदा की गई हो.
Thappad से जुड़ी याचिका पर पूरा वीडियो यहां देखिए:
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