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Updated: 10 अप्रिल, 2021 06:24 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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फिल्म 'द बिग बुल' (The Big Bull Movie Review) OTT प्लेटफॉर्म डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है. इसमें बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन और एक्ट्रेस इलियाना डिक्रूज के साथ सोहम शाह, निखिल दत्ता, वरुण शर्मा, चंकी पांडे, कुमुद मिश्रा और लेखा प्रजापति मुख्य भूमिकाओं में हैं. इस फिल्म को अजय देवगन ने आनंद पंडित, विक्रांत शर्मा और कुमार मंगत पाठक के साथ मिलकर प्रोड्यूस किया है. रिलीज से पहले ही फिल्म 'द बिग बुल' और वेब सीरीज 'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' की तुलना शुरू हो गई थी. चूंकि दोनों की कहानी हर्षद मेहता शेयर मार्केट स्कैम पर आधारित है, ऐसे में कहा जा रहा था कि 'द बिग बुल' में नया दिखाने के लिए कुछ नहीं बचा है. हां, यदि अभिषेक बच्चन ने अपनी दमदार अदाकारी दिखाई, तो अंतर जरूर पैदा हो सकता है, क्योंकि कहानी के केंद्र में उनका ही किरदार है.

अजय देवगन ने वेब सीरीज 'स्कैम 1992' के पहले से ही 'द बिग बुल' की तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन अचानक कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान हंसल मेहता ने इसी विषय पर आधारित अपनी वेब सीरीज रिलीज कर दी, तो मेकर्स ने फिल्म की रिलीज आगे बढ़ा दी. अजय देवगन फिल्म इंडस्ट्री के मझे हुए खिलाड़ी हैं, उनको पता है फिल्म हिट कैसे करानी है. पूरी तैयारी के बाद जब फिल्म रिलीज हुई, तो तमाम आलोचकों के मुंह बंद हो गए. अभिषेक बच्चन ने ऐसी शानदार एक्टिंग की है कि फिल्म क्रिटिक्स भी हैरान रह गए हैं. तमाम फिल्म समीक्षकों ने उनके अभिनय की तारीफ की है. कोमल नाहटा ने तो यहां तक लिखा है कि ऐसा लगता है कि फिल्म में हेमंत शाह का किरदार केवल अभिषेक के लिए ही बना है. उनकी जगह कोई भी दूसरा कलाकार इस रोल के साथ इस तरह न्याय नहीं कर पाता.

untitled-1-650_040921074342.jpgबॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन ने अपनी दमदार अदाकारी से हर्षद मेहता को जीवंत कर दिया है.

'द बिग बुल' स्टॉक ब्रोकर हर्षद मेहता की बायोपिक नहीं है, बल्कि उनके जीवन से प्रेरित है, इसलिए फिल्म में किरदारों के नाम बदल दिए गए हैं. इसमें हर्षद मेहता के किरदार का नाम हेमंत शाह है. इस रोल को अभिषेक बच्चन ने निभाया है. उनके बात करने का तरीका, घूमना, बोलना, चलना, उनका घमंड, आत्मविश्वास, हाव-भाव और बॉडी लैंग्वेज, सबकुछ ऐसा है, जैसे लगता है कि हर्षद मेहता खुद रुपहले पर्दे पर जीवंत हो उठे हों. अभिषेक का अभिनय देखकर कहा जा सकता है कि अब वो किरदारों पर पकड़ बनाए रखना बखूबी सीख गए हैं. हम फिल्म 'गुरू' में उनका अभिनय देख चुके हैं. इस फिल्म में भी उन्होंने हेमंत शाह की सोच, फैसलों, बेचैनी और महत्‍वाकांक्षाओं को बहुत ही सधे हुए अंदाज में पेश किया है. इस शानदार परफॉर्मेंस के लिए यदि अभिषेक को अवॉर्ड मिला, तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा.

खोजी पत्रकार मीरा राव के रूप में इलियाना डीक्रूज जंच रही हैं. सोहम शाह हेमंत के भाई, वीरेन शाह के रूप में अद्भुत हैं. निकिता दत्ता की एक संक्षिप्त भूमिका है, लेकिन वह प्रिया पाटिल के रोल के साथ न्याय करती हैं. महेश मांजरेकर ट्रेड यूनियन लीडर राणा सामंत के रूप में एक छोटी भूमिका में हैं. सुप्रिया पाठक कपूर हेमंत और वीरेन शाह की मां अमीबेन के रूप में एक अलग छाप छोड़ती हैं. राम कपूर वकील अशोक मीरचंदानी के रूप में चमक रहे हैं. निगेटिव रोल में सौरभ शुक्ला वो नहीं कर पाए हैं, जिसके लिए वो जाने जाते हैं. वेंकटेश्वर की भूमिका में कानन अरुणाचलम शानदार हैं. मीरा राव के बॉस के रूप में शिशिर शर्मा प्रभावी हैं. संजीव कोहली के रूप में समीर सोनी ने अच्छा काम किया है. इस तरह अभिषेक बच्चन की तरह अन्य कलाकारों ने भी शानदार काम किया है, जो फिल्म में चार चांद लगा देता है.

फिल्म की कहानी

इस फिल्म की कहानी तो वैसे अधिकतर लोगों को पहले से ही पता है. कुछ लोगों ने पढ़ा होगा, तो कुछ लोगों ने वेब सीरीज में देख भी लिया होगा. हेमंत शाह (अभिषेक बच्चन) एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से है, लेकिन बड़े सपने देखता है. वह बहुत जल्दी एक अमीर आदमी बनना चाहता है. उसका एक भाई है, वीरेन शाह (सोहम शाह). उसको पता होता है कि शेयर बाजार में निवेश करके पैसों को कई गुना बढ़ाया जा सकता है. उसकी सीख के बाद हेमंत भी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सब-ब्रोकर बन जाता है, फिर ब्रोकर. उनकी कंपनी फलती-फूलती जाती है. वह बैंकिंग प्रणाली में खामियों का फायदा उठाने लगता है. तेजी से अमीर बनता जाता है. बहुत जल्द ही शेयर बाजार का बेताज बादशाह बन जाता है. वह आम आदमी को भी शेयर बाजार में निवेश के तरीके समझाता है. इससे लाखों लोग पैसा कमाते हैं.

इस तरह से वह जनता के बीच भी बहुत लोकप्रिय हो जाता है. इसी बीच उसके निजी जीवन में एक लड़की आती है. नाम प्रिया पाटिल (निकिता दत्ता) है, जिसे वह प्यार करने लगता है, उससे शादी करना चाहता है, लेकिन लड़की के पिता अपनी बेटी की शादी एक शेयर ब्रोकर से नहीं करना चाहते. इधर, तेजी से उड़ रहा हेमंत तब हिचकोले खाने लगता है, जब उसके खिलाफ एक पत्रकार मीरा राव (इलियाना डीक्रूज़) लिखने लगती है. मीरा हेमंत शाह के व्यवसाय के संचालन के तरीकों के बारे में लेख लिखती है. उसके द्वारा किए जा रहे घोटालों को उजागर करती है. इस तरह एक दिन हेमंत शाह कानून की गिरफ्त में आ जाता है. इसके बाद उसके साथ क्या होता है? क्या वह दोबारा सफलता की सीढियां चढ़ पाता है या फिर हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो जाता है? इनका जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी चाहिए.

फिल्म की समीक्षा

फिल्म को सुपरहिट बनाने में पांच बातें सबसे महत्वपूर्ण हैं. कहानी, कैरेक्टर, एक्टिंग, एडिटिंग और म्यूजिक. फिल्म 'द बिग बुल' के केस में कहानी और कैरेक्टर तो सबको पहले ही पता है. ऐसे में एक्टिंग, एडिटिंग और म्यूजिक पर सफलता निर्भर है. फिल्म 'द बिग बुल' की पूरी टीम को शायद ये बात पहले से पता थी, यही वजह है कि इन सभी बातों पर विशेष ध्यान दिया गया है. जैसा कि पहले ही बताया कि एक्टिंग की बात तो पूछिए मत, ऐसा लगता है कि कलाकारों ने अपनी अदाकारी के दम पर पूरी फिल्म को लिफ्ट कर लिया है. गाने सिचुएशन के हिसाब से डिसेंट लग रहे हैं. कैरी मिनाटी का टाइटल ट्रैक 'द बिग बुल' ठीक है. कुंवर जुनेजा का लिखा गाना 'इश्‍क नमाजा' कर्णप्रिय है. डायरेक्‍टर कूकी गुलाटी ने निर्देशन के साथ ही कहानी और पटकथा पर मेहनत की है. कुल मिलाकर यह फिल्म आपको जरूर देखनी चाहिए.

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कोमल नाहटा: आकर्षक-मनोरंजक पारिवारिक फिल्म

कूकी गुलाटी और अर्जुन धवन ने एक रोचक कहानी और पटकथा लिखी है, जो दर्शकों को जोड़े रखती है. इस फिल्म में जिस समयावधि को दिखाया गया है, कहानी और स्क्रीनप्ले दर्शकों को उस युग में ले जाते हैं, उन्हें वैसा ही महसूस कराते हैं. फिल्म शेयर बाजार पर आधारित है, ऐसे में तकनीकी दृश्यों, शब्दों और संवादों का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन इसे देख या सुनकर दर्शकों को बिल्कुल भी नहीं लगेगा कि वे इनके बारे में नहीं जानते हैं. दूसरे शब्दों में, तकनीकी रूप से कमजोर दर्शक भी उतने मजे लेकर फिल्म देखेंगे, जितना कि शेयर बाजार में काम करने वाले लोग. रितेश शाह के संवाद कई स्थानों पर उत्कृष्ट हैं. व्यंग्य के संवाद, विशेष रूप से, उत्कृष्ट लगते हैं. कुल मिलाकर, द बिग बुल एक आकर्षक और मनोरंजक पारिवारिक फिल्म है. इसे दर्शकों द्वारा पसंद किया जाएगा. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कारोबार कर सकती थी.

नीरज वर्मा: अभिषेक बच्चन की दमदार ऐक्टिंग

अभिषेक बच्चन की ऐक्टिंग की आपको तारीफ करनी पड़ेगी जबकि आपको पता है कि उनके किरदार को और गहराई दी जा सकती थी. अभिषेक बच्चन ने अपने कैरक्टर के साथ पूरा न्याय किया है और उनकी मेहनत भी दिखती है. हालांकि कुछ सीन बेहद लाउड फिल्माए गए हैं जो नाटकीय लगते हैं. अभिषेक-निकिता की प्रेम कहानी भी फिल्म की स्टोरी में कई बार ब्रेक लगाती सी नजर आती है. जर्नलिस्ट मीरा राव के किरदार में इलियाना डिक्रूज जमती हैं. फिल्म में सौरभ शुक्ला और राम कपूर भी हैं, लेकिन कम स्क्रीनस्पेस के चलते उनके किरदार जाया हो जाते से लगते हैं. कुल मिलाकर यह एक ड्रमैटिक फिल्म है जिसमें आपको बताया गया है कि एक आम आदमी भी घोटालेबाज बन सकता है. हर्षद मेहता के घोटाले की कहानी तो सबको पता है, लेकिन फिर भी अभिषेक बच्चन की परफॉर्मेंस के लिए इसको देख सकते हैं.

अमित कर्ण: फिल्म की जान अभिषेक का किरदार

हर्षद मेहता प्रकरण से इंस्‍पायर्ड 'द बिग बुल' मिडिल क्‍लास के उस वर्ग के छलांग लेने की कहानी है, जो सिर्फ नाइन टू फाइव जॉब में यकीन नहीं रखता. यह उस तबके की गाथा है, जो उद्यमी बनना चाहता है. किसी की चाकरी करने वाला नहीं, बल्‍क‍ि नौकरी देने वाला बनना चाहता है. फिल्म की जान है अभिषेक बच्चन का किरदार. अभिषेक की किरदारों पर पकड़ है. इस फिल्म में हेमंत शाह की सोच, फैसलों, बेचैनी, महत्‍वाकांक्षाओं को सधे हुए अंदाज में पेश किया है. 'गुरू' में गुरूकांत देसाई को उन्‍होंने आक्रामक और कुछ हद तक लाउड रखा था, लेकिन हेमंत शाह को उन्‍होंने ऊपरी तौर पर शांत और संयत रखा है. डायरेक्‍टर कूकी गुलाटी ने इसकी कहानी और पटकथा अर्जुन धवन के साथ मिलकर लिखी है. 'द बिग बुल' एक संजीदा प्रयास है कि सिस्‍टम और समाज अपने अंदर झांके और ऐसे सवालों के जवाब ढूंढे.

यमन शर्मा: बाजा फाड़ काम किए हैं अभिषेक भैया

'द बिग बुल' फिल्म हर्षद मेहता की कहानी से प्रेरित है. पिछले साल हर्षद की कहानी पर सीरीज़ भी आई थी. ‘स्कैम 1992’. ज़ाहिर है ‘द बिग बुल’ की तुलना उस सीरीज़ से होनी तय थी. दुख की बात है कि ये फिल्म ‘स्कैम’ से की गई तुलना से नहीं बच पाएगी. जबकि ये अपने पैरों पर खड़े होने में समर्थ है. ‘स्कैम’ के डायरेक्टर हंसल मेहता खुद कह चुके हैं कि हमारे पास हर्षद की कहानी बताने के लिए 10 घंटे थे. यहां कूकी के पास सिर्फ ढाई थे. बावजूद इसके, उन्होंने कहानी के साथ पूरा न्याय किया है. दूसरा सबसे जरूरी और मजबूत फैक्टर हैं अभिषेक बच्चन. यानी फिल्म के हेमंत. ऐसा आदमी जिसकी आंखों से पैसे की बात सुनकर हवस टपकने लगती है. वो हर बात कहना जरूरी नहीं समझता. बस आंखें घूमती हैं और सामने वाले के साथ-साथ ऑडियंस भी इशारा समझ जाती है. ऐसा बाजा फाड़ काम किए हैं अभिषेक भैया.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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