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Updated: 31 अगस्त, 2021 05:29 PM
अनुज शुक्ला
अनुज शुक्ला
  @anuj4media
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डिजनी प्लस हॉटस्टार की सीरीज "द एम्पायर" में एशिया के सबसे महत्वपूर्ण राजवंश की कहानी दिखाई जा रही है. शो के पहले सीजन में मुगलिया सल्तनत की नींव रखने वाले बाबर की कहानी है. हालांकि सीरीज एक फिक्शनल किताब से प्रेरित है जिसमें मुग़ल साम्राज्य के तथ्यों को कल्पना के साथ मनोरंजक तरीके से प्रस्तुत किया गया है. स्वाभाविक रूप से द एम्पायर में मुगलों से जुड़े कई तथ्य गायब हैं और इस पर आपत्तियां भी सामने आ रही हैं. मगर शो चर्चा में है. शो का प्लस पॉइंट उसकी कास्टिंग है. द एम्पायर को लेकर ऐतिहासिक तथ्यों पर हो रही बहस को छोड़ दें तो सबसे ज्यादा चर्चा कलाकारों के काम पर ही है.

इसमें कोई शक नहीं कि कुछ कलाकारों के काम ने द एम्पायर को ख़ास बना दिया है. कुणाल कपूर और डिनो मोरिया के अलावा सीरीज के दो बड़े किरदारों बाबर की नानी दौलत बेगम और बाबर की बड़ी बहन खानजादा की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्रियों की तारीफ़ में कसीदे गढ़े जा रहे हैं. सीरीज के दोनों किरदार मुग़ल सल्तनत के लिहाज से बाबर के बराबर और कई मर्तबा उससे भी अहम नजर आते हैं. हिंदी सिनेमा में अभिनय से एक अलग मुकाम बनाने वाली शबाना आजमी ने दौलत बेगम की भूमिका निभाई है जबकि दृष्टि धामी ने खानजादा का किरदार निभाया है.

शबाना आजमी ने बाबर की चंगेजी नानी को हूबहू जिया

द एम्पायर में दिखाया गया है कि वक्त से बहुत पहले बाबर के सिर से पिता का साया उठ चुका है और मां की मानसिक हालत वैसी नहीं कि बेटे को सलाह दे और उसे सल्तनत के दांवपेंच सिखाए. यहां नानी के रूप में दौलत बेगम बाबर की राजनीतिक सलाहकार, प्रेरणास्रोत नजर आती है. शबाना आजमी का लुक असरदार है. उनकी टेढ़ी और ऊपर की ओर उठी भौहें उनके लुक को चंगेजों के करीब लाती हैं. संवाद बोलने के दौरान उन्होंने अपने चेहरे और भौहों का इस्तेमाल भी कुछ उसी मकसद से किया है. स्वाभाविक रूप से उनका किरदार चंगेजी बर्बरता के करीब नजर आता है. दौलत बेगम मध्य एशिया के खूंखार चंगेज वंश की 13वीं पीढ़ी से ही थीं. सल्तनत के लिए उनके दिल में ना तो किसी के लिए रहम है और ना ही भावनाएं. दौलत बेगम विपरीत परिस्थियों में भी ना झुकने वाली शातिर, वादा और एहसान फरामोश औरत है. अपने मकसद में इतनी स्पष्ट दिखती है कि तख़्त में संभावित पारिवारिक अड़चनों के क़त्ल से भी उसे परहेज नहीं है. बाबर या खानजादा की तुलना में वो बिल्कुल भी रहमदिल नहीं है. सही गलत का फैसला सिर्फ तख़्त की कसौटी से करती है. उसकी नजर में आदर्श बादशाह की ताकत बस उसकी तलवार में है. बादशाह युद्ध में जितने ज्यादा नतीजे हासिल करेगा तख़्त के पाए उतने ही मजबूत बने रहेंगे. उसका मानना है बादशाह को बिल्कुल भी नर्म दिल नहीं होना चाहिए. दौलत बेगम रक्त शुद्धता की वकालत करती है.

shabana-azmi-vs-dras_083121043305.jpgदृष्टि धामी और शबाना आज़मी, फोटो- डिजनी प्लस हॉटस्टार से साभार.

द एम्पायर में दौलत बेगम का जो भी रूप दिखा है शबाना आजमी ने उसे परदे पर हूबहू उतारा है. उनके उम्दा परफोर्मेंस का ही असर है कि कई मर्तबा उनसे घृणा होने लगती है. पहले सीजन में शयबानी विलेन हैं लेकिन आखिर में अपने भयावह अतीत और खानजादा से प्रेम की वजह से दर्शकों की संवेदनाएं खींचने में एक हद तक कामयाब दिखता है, जबकि दौलत बेगम किसी तरह की सिम्पैथी नहीं बटोर पाती और अमानवीय बनी रहती है. निश्चित ही द एम्पायर में दौलत बेगम की भूमिका शबाना आजमी से बेहतर शायद ही कोई और अभिनेत्री कर पाती.

पहले ही बड़े प्रोजेक्ट ने दृष्टि को बेशुमार शोहरत दे दी है

द एम्पायर के पहले सीजन की दूसरी अहम महिला किरदार खानजादा की भूमिका में दृष्टि धामी का काम भी सराहनीय है. हैसियत में खानजादा, दौलत बेगम के बराबर नजर आती है. वो एक ऐसी महिला के रूप में सामने आकर खड़ी होती है जो परिवार और तख़्त के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करती है. बाबर, परिवार और सल्तनत के लिए शयबानी के साथ यातनापूर्ण समझौते करती है. खानजादा को लेकर पहला सीजन तो यही साफ़ करता है कि असल में स्वतंत्र रूप से उसका खुद का कोई वजूद है ही नहीं. उसका पहला और अंतिम मकसद अपने समुदाय के साथ भाई को बादशाह के रूप में देखना है. और उसे सुरक्षित बनाना है. इसके लिए वो ना सिर्फ अपनी निजी स्वतंत्रता की बलि दे देती है बल्कि भाई की जीत के लिए शयबानी को प्रेम में झंसकर उसे मौत के कुएं में झोंक देती है. जबकि शयबानी उसका पति है. और आखिर में तो बेइंतहा प्यार करने लगता है.

शयबानी के मृत्यु का सीक्वेंस और ऐसे ही कुछ चुनिंदा दृश्यों को छोड़ दिया जाए तो खानजादा के रूप में दृष्टि परफेक्ट कही जा सकती हैं. शयबानी के रूप में पति की मौत के दौरान उनके चेहरे के भाव में वो कुटिलता नहीं दिखती, भाई बाबर की जीत के लिए जिसके साजिश की पटकथा उन्होंने लिखी थी. दृश्य में दिखा गिल्ट खानजादा के रूप में दृष्टि को कमजोर बनाके रख देता है. ऐसे कुछ सीक्वेंस को छोड़ दिया जाए तो दृष्टि धामी का द एम्पायर में काम सराहनीय ही कहा जाएगा.

क्या द एम्पायर में मंगोल लुक वाले अभिनेता ज्यादा बेहतर होते?

दृष्टि का अभिनय अपनी जगह सही है, लेकिन वो शक्ल सूरत की वजह से मंगोल-चंगेज वंश की नजर नहीं आतीं. बाबर और दूसरे कुछ किरदारों में भी ऐसा ही दिखता है. इस पर लोग बात भी कर रहे हैं कि अभिनय भले ही ठीक-ठाक हो पर मध्य एशिया के नहीं दिखते. आम भारतीय उपमहाद्वीप के नजर आते हैं. द एम्पायर के लिहाज से यह कितना सही या गलत होता अलग विषय है. मगर सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने मंगोल लुक के एक्टर्स को कास्ट किए जाने की जरूरत बताई है. वैसे मेकर्स अगर शबाना के लुक की तरह दृष्टि या बाबर के लुक पर भी काम करते तो बेहतर लगता.

खैर जो भी हो, अभिनय फ्रंट पर द एम्पायर को सराहना मिल रही है. कुणाल कपूर, डिनो मोरिया और दृष्टि धामी जैसे एक्टर्स के लिए तो डिजनी का शो नए दरवाजे खोलता दिख रहा है. डिजनी के लिए द एम्पायर को निखिल आडवाणी ने क्रिएट किया है. निर्देशन मीताक्षरा कुमार का है.

लेखक

अनुज शुक्ला अनुज शुक्ला @anuj4media

ना कनिष्ठ ना वरिष्ठ. अवस्थाएं ज्ञान का भ्रम हैं और पत्रकार ज्ञानी नहीं होता. केवल पत्रकार हूं और कहानियां लिखता हूं. ट्विटर हैंडल ये रहा- @AnujKIdunia

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