The Kerala Story क्या मुस्लिम विरोधी है? इस पर प्रोड्यूसर विपुल शाह का जवाब जोरदार है!
बॉक्स ऑफिस पर बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद फिल्म 'द केरल स्टोरी' का लगातार विरोध हो रहा है. तमिलनाडु के बाद इसे वेस्ट बंगाल में भी बैन कर दिया गया है. फिल्म पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लग रहा है. इस पर फिल्म के प्रोड्यूसर विपुल शाह का कहना है कि 'शोले' में विलेन गब्बर सिंह हिंदू था, तो क्या फिल्म हिंदू विरोधी थी.
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सिनेमा समाज और सियासत दोनों को प्रभावित करता है. खासकर हिंदुस्तान जैसे देश में, जहां ज्यादातर राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की सक्रियता फिल्मों के ईर्द-गिर्द ही घूमती है. यकीन न हो तो विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' से लेकर सुदीप्तो सेन की 'द केरल स्टोरी' तक को देख लीजिए. दोनों ही फिल्मों को लेकर पूरा समाज दो धड़ों में विभाजित हो चुका है. दोनों ही धड़े पूरे जोर के साथ फिल्म का विरोध और समर्थन कर रहे हैं. किसी राज्य में फिल्म को टैक्स फ्री किया जा रहा है, तो किसी में बैन किया जा रहा है. फिल्म पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप भी लग रहा है. ऐसे में इसके प्रोड्यूसर ने विपुल शाह ने जो जवाब दिया है. वो जायज है.
बॉक्स ऑफिस पर बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद फिल्म 'द केरल स्टोरी' का लगातार विरोध हो रहा है.
क्या फिल्म 'द केरल स्टोरी' मुस्लिम विरोध है? इस सवाल का जवाब विपुल शाह ने बहुत तार्किक ढंक से दिया है. उनका कहना है कि भारतीय सिनेमा की कालजयी फिल्म 'शोले' में विलेन का किरदार गब्बर सिंह हिंदू था. ऐसे में क्या ये फिल्म हिंदू विरोधी हो गई या फिर इसके डायरेक्टर और प्रोड्यूसर हिंदू समाज के खिलाफ हो गए. विपुल शाह ने कहा, ''किसी भी फिल्म का जो विलेन होता है, वो किसी न किसी धर्म का होता है. लोग उसकी बुराई की बात करते हैं न कि उसका मजहब देखते हैं. गब्बर सिंह हिंदू था तो क्या रमेश सिप्पी साहब हिंदू समाज के खिलाफ थे. यदि कल को मैं दाऊद इब्राहिम पर फिल्म बनाऊं तो हम उसे धर्म के चश्मे से थोड़ी देखेंगे. मैं इस फिल्म का सिर्फ प्रोड्युसर ही नहीं, क्रिएटिव भी हूं. हमने काफी डिटेल में बात की थी कि हमारी फिल्म का पोट्रेयल क्या हो.'' देखा जाए तो विपुल की बातों में दम है, जिसे विरोध करने वालों को समझना होगा.
यदि हम विपुल शाह की बातों को ये मानकर खारिज भी कर दें कि वो इस फिल्म के प्रोड्यूसर हैं, तो क्या हम हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों की बात भी नकार देंगे. इस फिल्म को बैन कराने के लिए केरल हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. इसे खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि ये फिल्म इस्लाम के खिलाफ नहीं है, बल्कि आतंकी संगठन आईएसआईएस पर है. इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है. इस याचिका की सुनवाई जस्टिस एन नागरेश और सोफी थॉमस की बेंच ने की थी. जस्टिस एन नागरेश का कहना था, ''निर्माताओं ने बता दिया है कि यह काल्पनिक फिल्म है. यदि फैक्ट की बात करें तो भूत नाम की कोई चीज नहीं होती, लेकिन कई फिल्में इनको लेकर बनाई जा रही हैं. ऐसी कई फिल्में बनाई गई हैं, जिनमें हिंदू सन्यासियों को तस्कर और बलात्कारी के रूप में दिखाया गया है. इस पर कोई कुछ नहीं कहता. बहुत पहले एक फिल्म बनी थी, जिसमें एक पुजारी एक मूर्ति पर थूकता है. इससे किसी को कोई समस्या नहीं हुई. क्या आप कल्पना कर सकते हैं? बाद में इसी फिल्म को फेमस अवॉर्ड भी दिया गया था.''
इतना ही नहीं केरल हाई कोर्ट के अलावा मद्रास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक याचिकाएं दाखिल की गई, लेकिन हर जगह से खारिज कर दिया गया. देश में न्याय व्यवस्था पर यकीन करने वाले लोग जो इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं, क्या उन्होंने इसे देखा है? या बिना देखे, एक सियासी एजेंडे के तहत फिल्म का विरोध कर रहे हैं. वैसे भी विरोध का फिल्मों पर सकारात्मक असर ज्यादा होता है. जो पक्ष आज 'द केरल स्टोरी' का समर्थन कर रहा है, वो शाहरुख खान की फिल्म 'पठान' की रिलीज के वक्त उसके विरोध में था. सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक फिल्म का बहिष्कार किया गया. इसे बैन करने की मांग की गई, लेकिन परिणाम क्या हुआ, सबके सामने हैं. ये फिल्म इस साल की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर है. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर करीब 1100 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया. इस उदाहरण से 'द केरल स्टोरी' का विरोध करने वालों के सबक लेना चाहिए.
इसके बावजूद कानून-व्यवस्था का हवाला देकर फिल्म 'द केरल स्टोरी' को पहले तमिलनाडु में बैन किया गया. उसके बाद अब वेस्ट बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने फिल्म पर पाबंदी लगा दी है. उनका कहना है कि सूबे में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए फिल्म पर प्रतिबंध लगाया गया है. इस फिल्म में दिखाए गए सभी दृश्य सूबे की शांति व्यवस्था के लिए खतरनाक हो सकते हैं. कोलकाता सहित राज्य के हर जिलों में शांति बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है. इसके पहले केरल में भी बैन की मांग की गई, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद ऐसा किया नहीं जा सका. फिर भी वहां के सिनेमाघर मालिकों ने बहुत ही कम स्क्रीन पर फिल्म को दिखाने का फैसला किया. इस वजह से वहां फिल्म महज 23 स्क्रीन पर ही रिलीज हो पाई है. हालांकि, इसके मुकाबले दूसरे राज्यों में फिल्म के स्क्रीन की संख्या में तेजी देखी गई है. फिल्म 1300 स्क्रीन्स पर दिखाई जा रही है.
"In Kerala we are so secular. There was a movie where a pujari spit on an idol and no problem was created. Can you imagine? It is a famous award winning movie", Justice Nagaresh, #KeralaHighCourt #TheKeralaStory
— Dhirendra Rai (@dhirendrarai_) May 5, 2023
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