The Tenant Trailer Review: एक 'अकेली महिला' की समस्याओं पर प्रकाश डालती एक फिल्म
फिल्म 'द टेनेंट' 10 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है, जिसका प्रभावी ट्रेलर लॉन्च किया गया है. इसके जरिए शिल्पा शेट्टी की बहन शमिता शेट्टी लंबे समय बाद रुपहले पर्दे पर वापसी करने जा रही है. फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे पुरुषवादी समाज में महिलाओं की आजादी और उनकी आत्मनिर्भरता के बारे में सोचा जाता है.
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पिछलों कुछ वर्षों में भारत में सिंगल वूमेन की संख्या तेजी से बढ़ी है. एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसी महिलाओं की संख्या में 70 फीसदी इजाफा हुआ है. लेकिन समाज में आज भी अकेली महिला को शंका भरी नजरों से देखा जाता है. अकेली महिला हर स्थिति में समाज की ओर से एक तरह का दबाव और आलोचना झेलने के साथ सवालिया निगाहों में रहती है. चाहे वह घर किराए पर लेने की परेशानी हो, या आपके डॉक्टर द्वारा चारित्रिक हनन, या फिर अपनी शारीरिक इच्छाओं की अपनी पसंद से पूर्ति पर अपमान झेलना, चाहे फिर आप एक सफल महिला ही क्यों न हो, यह समाज एक अकेली महिला के जीवन को लेकर पसंद-नापसंद को आसानी से चकनाचूर कर देता है. इस समस्या पर प्रकाश डालती एक फिल्म 'द टेनेंट' 10 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है, जिसका प्रभावी ट्रेलर लॉन्च किया गया है.
शमिता शेट्टी की फिल्म 'द टेनेंट' 10 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है
फिल्म 'द टेनेंट' के जरिए बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी की बहन शमिता शेट्टी लंबे समय बाद वापसी करने जा रही है. उनके साथ स्वानंद किरकिरे, शीबा चड्ढा और अतुल श्रीवास्तव जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. इस फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे एक पुरुषवादी समाज में महिलाओं की आजादी और उनकी आत्मनिर्भरता के बारे में नकारात्मक तरीके से सोचा जाता है. यहां तक आसपास रहने वाले बच्चे से लेकर बूढ़े तक उसे कैरेक्टर सर्टिफिकेट देते हैं. यदि उसके घर में कोई पुरुष आ जाए तो ये समझा जाता है कि वो महिला खराब चरित्र की है. यहां तक कुछ लड़के उसे डोरे डालते हुए भी दिख जाते हैं. महिलाओं भी अकेली महिला के चरित्र पर शक करती हैं. उसके बारे में तरह तरह की बातें करती हैं. फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद ये समझ में आता है कि इस समाज में सिंगल वूमेन का रहना कितना मुश्किल है.
सुश्रुत जैन इस फिल्म के जरिए निर्देशन की दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं. फिल्म की कहानी भी उन्होंने ही लिखी है. फिल्म 'द टेनेंट' के 2 मिनट 5 सेकेंड के ट्रेलर की शुरूआत में एक सोसाइटी को दिखाया जाता है. इसमें कई परिवार रहते हैं. बच्चे खेल रहे होते हैं. सोसाइटी के लोग मीटिंग कर रहे होते हैं. उसी समय एक नौजवान सुंदर लड़की कार से उतरती है. सभी लोग उसकी तरह हैरानी से देखने लगते हैं. ये जानकर की वो लड़की उनकी सोसाइटी में किराएदार होने वाली है, कुछ लोगों की बांछे खिल उठती हैं, तो वहीं कुछ लोग परेशान हो जाते हैं. एक बुजुर्ग उत्सुकता वश पूछते हैं कि ये लड़की कहां से आई है. वहीं कुछ महिलाएं आपस में कहती है कि एक अकेली अविवाहित लड़की कैसे उनकी सोसाइटी में रहने के लिए आ गई है. इतना ही नहीं सोसाइटी के लड़के और उनके पापा लोग उसके बारे में फैंटेसी देखने लगते हैं.
फिल्म का ट्रेलर देखिए...
एक लड़के को तो उस लड़की से क्रश हो जाता है. वो उसके घर पहुंचकर पूछता कि वो अकेले यहां कब रहने का प्लान कर रही है. वो उसके साथ क्या घूमने चलेगी? लड़की उस लड़के की बातों को इजी लेती है और उसके साथ घूमने चली जाती है. क्योंकि उसके मन में कुछ भी गलत नहीं होता. लेकिन लड़का तो दिन में ही उसके बारे में सपने देखने लगता है. सभी लोग उससे इम्पेस हो जाते हैं. लेकिन इसी बीच एक लड़के को उसका असली नाम और उसकी जिंदगी के बारे में पता चल जाता है. इसके बाद हर कोई उससे नफरत करने लगता है. लोग बात करना तक बंद कर देते हैं. यहां तक कि उसे सोसाइटी से बाहर निकालने तक की बातें होने लगती है. लेकिन आखिर वो राज क्या होता है, जो अचानक उस लड़की की जिंदगी बदल देता है. ये जानने के लिए तो फिल्म की रिलीज का इंतजार करना होगा, जो कि 10 फरवरी को रिलीज होगी.
साल 2001 में फिल्म 'मोहब्बतें' से अपना करियर की शुरू करने वाली शमिता शेट्टी ने अभी तक 13 फिल्मों में काम किया है. साल 2008 में उनकी आखिरी फिल्म 'हैरी पुत्तर' आई थी. अब 14 साल बाद वो किसी फिल्म में नजर आने वाली हैं. अपनी नई फिल्म के बारे में अभिनेत्री का कहना है, ''द टेनेंट एक आधुनिक, स्वतंत्र, अकेली महिला के दृष्टिकोण से समाज का आईना है. भारत में हर महिला को उसके जीवन के किसी न किसी मोड़ पर अनुभव और सीख मिलती है. फिल्म की संवेदनशील और यथार्थवादी कहानी ने मुझे इसके साथ जुड़ने के लिए प्रेरित किया. मुझे विश्वास है कि हर महिला और उसके आसपास के लोग इस कहानी से प्रभावित होंगे. मुझे यकीन है कि हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं, जो अपने जीवन के किसी न किसी पड़ाव पर सफर कर रहे हैं और मैं समाज की शक्ल और नामों से जानी जाने वाली चीजों को जानती हूं.''
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