New

होम -> सिनेमा

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 22 जनवरी, 2021 04:09 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
  • Total Shares

तूने मुझे बुलाया शेरा वालिये, मैं आया मैं आया शेरा वालिये, ज्योता वालिये, पहाड़ा वालिये, मेहरा वालिये, तुने मुझे बुलाया शेरा वालिये...बचपन में हर सुबह ये गीत जरूर सुनाई दे जाता था. धीरे-धीरे इस गीत के जरिए इसे गाने वाली आवाज भी चिरपरिचित हो गई. जी हां, ये आवाज किसी और कही नहीं बल्कि भजन सम्राट नरेंद्र चंचल की थी. इनकी आवाज इस बात का सबूत होती थी कि कानों में सुनाई देने वाला भजना या धार्मिक गीत ही होगा. नरेंद्र चंचल और देवी गीत एक-दूसरे के पर्याय बन गए. लेकिन अफसोस आज ये मधुर आवाज हमारे बीच हमेशा-हमेशा के लिए खामोश हो गई. दिल्ली के अस्पताल में गायक नरेंद्र चंचल का निधन हो गया है. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

narender-chanchal-65_012221034840.jpgमशहूर गायक नरेंद्र चंचल अब हमारे बीच नहीं रहे.

नरेंद्र चंचल के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है. फिल्म इंडस्ट्री से लेकर स्पोर्ट्स फर्टीनिटी तक के लोग श्रद्धांजलि दे रहे हैं. मशहूर गायक दलेर मेहंदी ने ट्वीट किया है, 'हम सबके प्यारे महान गायक नरेंद्र चंचल जी इस दुनिया में नहीं रहे. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. उनके परिजनों और फैंस को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें.'

क्रिकेटर हरभजन सिंह ने भी नरेंद्र चंचल के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, 'यह जानकर गहरा दुख हुआ कि प्रतिष्ठित और सबसे ज्यादा प्यारे हमारे नरेंद्र चंचल जी हमें छोड़कर स्वर्ग सिधार गए हैं. हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं. उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करते हैं.'

प्रख्यात गायक नरेंद्र चंचल का जन्म पंजाब के अमृतसर के नमकमंडी नामक जगह पर 16 अक्टूबर, 1940 को एक धार्मिक परिवार में हुआ था. उनके घर में पूजा-पाठ के साथ ही धार्मिक माहौल हुआ करता था. बचपन से ही उन्होंने अपनी मां कैलाशवती को मातारानी के भजन गाते हुए सुना था. यही वजह है कि उनकी रुचि गायन की तरफ बढ़ी. हालांकि, वह स्वभाव से शरारती और चंचल थे. इसलिए उनको लोग 'चंचल' कहकर बुलाते थे. नरेंद्र ने बाद में अपने नाम के साथ हमेशा के लिए चंचल जोड़ लिया था.

गायकी सीखने के बाद चंचल गाना गाने लगे. उन्होंने मुंबई का भी रुख किया, लेकिन कई सालों के संघर्ष के बाद उनको बॉलीवुड में ब्रेक मिला. साल 1973 में आई ऋषि कपूर की फिल्म 'बॉबी' से उनके करियर की शुरुआत हुई. फिल्म बॉबी के लिए उन्होंने 'बेशक मंदिर-मस्जिद तोड़ो...' गाना गाया. इसके लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट मेल प्लेबैक अवार्ड भी मिला था. इसके बाद उन्होंने अमेरिकी राज्य जॉर्जिया की मानद नागरिकता भी अर्जित की थी. 'मिडनाइट सिंगर' नामक एक आत्मकथा भी चंचल ने लिखी थी.

फिल्म बॉबी का मशहूर गाना बेशक मंदिर-मस्जिद तोड़ो...

मशहूर फिल्मकार राज कपूर की फिल्म बॉबी का 'बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो' गाना लोगों की जुबान पर ऐसा चढ़ा कि नरेंद्र चंचल रातों-रात मशहूर हो गए थे. इसके बाद नरेंद्र को एक नई पहचान मिली फिल्म 'आशा', में गाए माता के भजन 'चलो बुलावा आया है' से जिसने उनको और ज्यादा मशहूर बना दिया. नरेंद्र चंचल की माता वैष्णो देवी को लेकर खास आस्था थी. साल 1944 से लगातार माता वैष्णो देवी के दरबार में आयोजित होने वाली वार्षिक जागरण में 29 दिसंबर को हाजिरी लगाते थे, लेकिन इस बार कोरोना की वह से ये संभव नहीं हो पाया.

नरेंद्र चंचल का गाया माता का भजन 'चलो बुलावा आया है'... 

#नरेंद्र चंचल, #नरेंद्र चंचल भजन, #माता का जगराता, Narendra Chanchal Passes Away, Narendra Chanchal Jagraata Songs, Narendra Chanchal Bhajan

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय