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Updated: 19 जून, 2021 05:37 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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कम हैं ऐसे एक्टर बॉलीवुड में, जो अपने दम पर फ़िल्म को हिट कराने का दम रखते हैं. एक्ट्रेस तो और भी कम हैं. इतनी की उन्हें अंगुलियों पर गिन लिया जाए. इंडस्ट्री के मद्देनजर हमें इस बात को समझना होगा कि पुरुषों के वर्चस्व वाली इस इंडस्ट्री में अगर कोई महिला अपना मुकाम बना ले तो ये कहीं से भी छोटी बात नहीं है. एक्टर विद्या बालन को ही देख लीजिए. अमेजन प्राइम पर उनकी फ़िल्म "शेरनी' को रिलीज हुए चंद ही घंटे हुए हैं. लेकिन जैसे रिव्यू क्रिटिक्स की तरफ से फ़िल्म और विद्या की एक्टिंग को मिले हैं उन्होंने अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा लिया है.

विद्या के मद्देनजर यूं तो तमाम बातें हो सकती हैं मगर जिस बात को लेकर बात होनी चाहिए वो ये कि विद्या की सफलता ने हमें ये बताया है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.आज भले ही विद्या का शुमार बॉलीवुड की सबसे सफल एक्ट्रेस में हो लेकिन ऐसा नहीं था कि सफलता का सुख उन्हें हमेशा ही मिला. शुरुआती दौर में विद्या को भी तमाम तरह की चुनैतियों का सामना पड़ा. ध्यान रहे विद्या ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत जी टीवी के लोकप्रिय शो 'हम पांच' से की. साथ ही बात अगर बॉलीवुड में सफल होने की हो तो संजय दत्त और सैफ अली खान स्टारर परिणीता को विद्या को मील का पत्थर कहा जाएगा.

Vidya Balan, Amazon Prime, Sherni, Bollywood, Actress, Stardom, Film, Successविद्या बालन का शुमार उन एक्टर्स में है जिन्होंने हमेशा रोल के साथ इंसाफ किया

हो सकता है आप यकीन न करें लेकिन हम पांच से जो सफर विद्या बालन ने शुरू किया वो जब परिणीता तक पहुंचा तो राह में इतनी चुनौतियां आईं कि अगर कोई साधारण आदमी होता तो बीच राह में ही अपना सफर रोक देता. शुरुआती दौर में 1 या 2 प्रोजेक्ट्स ऐसे थे जिनसे विद्या को हाथ धोना पड़ा और नौबत यहां तक आ गयी कि इंडस्ट्री में उन्हें मनहूस तक कहा गया. इसका खुलासा खुद एक इंटरव्यू के किया था.

इस बारे में बात करते हुए विद्या ने कहा था कि, मैंने हम पांच 1996 में किया था और मैंने परिणीता में काम करना साल 2004 में किया था. इसके बीच के आठ सालों में मैंने सेंट जेवियर से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी और अपने एमबीए की पढ़ाई के लिए गई. मैंने सोचा था कि और कुछ नहीं तो पढ़ाई तो होगी कहीं कुछ नौकरी मिल जाएगी. क्योंकि मेरे मां-बाप कहते थे कि ग्रेजुएशन जरूरी है.'

अपनी आपबीती बताते हुए विद्या कहती हैं कि, साउथ में मैंने एक मलयालम फिल्म की थी सुपरस्टार मोहनलाल और डायरेक्टर कमन के साथ. उन दोनों की जोड़ी बहुत सफल और फेमस थी. उन्होंने आठ फिल्में साथ में की थीं और नौवीं फिल्म में मैं थी. लेकिन फिर उन दोनों के बीच पंगा हो गया तो उन्होंने कहा कि अच्छा फिल्म क्यों बंद पड़ गई क्योंकि इस फिल्म में ये थी. उन्होंने सारा इल्जाम मुझपर डाल दिया और कहा कि मैं मनहूस हूं.

विद्या ने आगे ये भी बताया था कि कैसे मोहनलाल की फिल्म बंद पड़ने के बाद उन्हें बाकी प्रोजेक्ट्स से निकाल दिया गया. उन्होंने कहा, 'उसके बाद 12 की 12 फिल्मों से मैं धीरे-धीरे निकाली गई. क्योंकि सबको लगा था कि अगर इसकी पहली ही फिल्म में दिक्कत हो गई तो शायद इस लड़की को लेना नहीं चाहिए. विद्या के मुताबिक उन्हें कुछ फिल्में तमिल की भी मिलीं लेकिन उनमें से भी उन्हें निकाल दिया गया. विद्या ने ये सब तीन सालों तक झेला फिर उनके जीवन में एक मूमेंट वो भी आया जब उनके दिमाग में ये बात घर कर गयी कि वो मनहूस हैं.

शुरुआती दौर विद्या के लिए न केवल फिल्मों के लिहाज से बुरा था बल्कि इस दौरान उन्हें विज्ञापनों तक से निकाल दिया गया. जैसा कि हम बता चुके हैं विद्या कामयाब हैं इसलिए भी ये बताना बहुत ज़रूरी है कि उन्हें अपने हार्ड वर्क से इस कामयाबी की पूरी कीमत चुकाई है. परिणीता के बाद से शेरनी तक विद्या की किसी भी फ़िल्म को उठाकर देख लीजिए कहीं भी विद्या अपने को रिपीट नहीं करती हैं. रोल चाहे जितना भी चैलेंजिंग क्यों न हो विद्या ने पूरी शिद्दत और ईमानदारी से न केवल उसे निभाया बल्कि उसमें जान साल दी.

यूं तो देने के लिए हमारे पास तमाम उदाहरण हैं लेकिन हम यहां भूल भुलैया और डर्टी पिक्चर का जिक्र ज़रूर करेंगे. इन दोनों ही फिल्मों को देखिए साथ ही इसमें विद्या की एक्टिंग का अवलोकन कीजिये. लगेगा ही नहीं कि एक दूसरे से जुदा दो रोल कोई एक्टर इतनी खूबसूरती से निभा सकती है. कह सकते हैं कि चैलेंज को चैलेंज की तरह लेना ही विद्या सरीखी एक्टर की खूबी है.

इम्प्रोवाइजेशन का जो गुण विद्या में है वो कमाल का है जिससे बॉलीवुड की अन्य अभिनेत्रियों को न केवल प्रेरणा लेनी चाहिए बल्कि उसे अमली जामा भी पहनाना चाहिए. विद्या की काबिलियत उनकी है. चाहे तारीफ हो या आलोचना उसकी एकमात्र हकदार वो खुद हैं. कुल मिलाकर हमारे साथ साथ इंडस्ट्री को भी विद्या ने यही बताया कि जो कोशिश करता है उसे हरा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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