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Updated: 25 सितम्बर, 2022 03:49 PM
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सितंबर का आखिरी शुक्रवार बॉलीवुड के लिए सिरदर्द ही लेकर आने वाला साबित हो सकता है. लोग हैरान हैं कि रितिक रोशन और सैफ अली खान स्टारर फिल्म रिलीज होने को तैयार है. मगर सोशल मीडिया पर बॉलीवुड फिल्मों का बायकॉट ट्रेंड नहीं दिख रहा. क्या बायकॉट करने वाले थक गए या फिर बात कुछ और है? खामोशी ध्यान देने लायक इसलिए भी है कि पिछले कुछ महीनों के दौरान रितिक रोशन और सैफ अली खान निगेटिव कैम्पेन के निशाने पर नजर आ रहे थे. मगर जब उनकी फिल्म रिलीज होने को तैयार है- दूसरी फिल्मों की तरह उसके सामने विरोध नजर नहीं आ रहा. यहां तक कि एडवांस बुकिंग भी शुरू हो चुकी है.

एक तरह से मौजूदा ट्रेंड में हैरानी की बात है यह. बायकॉट गैंग चुप क्यों है- आगे चर्चा होगी इसपर. विक्रम वेधा साल 2017 में सेम टाइटल से आई तमिल की थ्रिलर की आधिकारिक रीमेक है. पुष्कर-गायत्री के निर्देशन में आर माधवन और विजय सेतुपति की जोड़ी ने अपने परफॉर्मेंस से सिनेमाघरों को हिलाकर रख दिया था. हिंदी रीमेक में आर माधवन की भूमिका सैफ और विजय की भूमिका रितिक रोशन कर रहे हैं. बायाकॉट कैम्पेन विक्रम वेधा के लिए कोई चुनौती नहीं है. सिनेमाघरों में विक्रम वेधा के सामने पहली सबसे बड़ी चुनौती उसका अपना कंटेंट और परफॉर्मेंस ही रहने वाला है. फिल्म का ट्रेलर आने के बाद ही इसके संकेत मिलने शुरू हो गए थे.

Vikram Vedha vs PS 1PS 1 से भिड़ंत में विक्रम वेधा को कई चीजें नुकसान पहुंचा सकती हैं.

बायकॉट ट्रेंड में विक्रम वेधा के खिलाफ नजर आ रहे सन्नाटे को समझिए

साफ़ दिख रहा कि बॉलीवुड की विक्रम वेधा के विरोध के लिए दूसरा तरीका अपनाया जा सकता है. सीधे 'बायकॉट बॉलीवुड' की बजाए उसके कंटेंट/परफॉर्मेंस पर बात होने की ज्यादा संभावना है. और तय मान सकते हैं कि विक्रम वेधा के लिए निगेटिव कैम्पेन की जमीन यही होगी. यानी मूल फिल्म से तुलना होगी. चूंकि निशाने पर रितिक और सैफ ही रहने वाले हैं तो दोनों कलाकारों के काम की तुलना मूल फिल्म के एक्टर्स के साथ होगी. पिछले महीनों में लगातार हुए बायकॉट ट्रेंड से अंदाजा लगाया जा सकता है कि विरोध करने वाला धड़ा तुलनात्मक निष्कर्ष में सैफ और रितिक को खारिज कर देगा.

वैसे भी विक्रम वेधा पहले से ही तमाम प्लेटफॉर्म पर मौजूद है. ट्रेंड में दूसरी फिल्मों के खिलाफ यह ट्रिक बहुत असरदार दिखी और विक्रम वेधा को नुकसान पहुंचा सकती है. ये दूसरी बात है कि हिंदी वर्जन का भी निर्देशन मूल फ़िल्म के निर्देशक ही कर रहे हैं. और मनोज मुन्तशिर ने इसका बायकॉट ना करने की भी सार्वजनिक अपील की थी. अगर गौर किया होगा तो विक्रम वेधा का ट्रेलर आने के बाद ही ऐसी तुलनाएं होने लगी थीं. लोगों ने विजय और माधवन से तुलना में रितिक के परफॉर्मेंस को औसत बताया था. रितिक सैफ की फिल्म के साथ मूल फिल्म का खूब प्रचार भी हुआ.

मूल फिल्म ओटीटी पर मौजूद है और उसकी वजह से सिनेमा देखने वाले दर्शक शायद ही बचे हों, जिन्होंने मूल फिल्म को ना देखी हो. अब जिसने एक बार मूल फिल्म देख ली हो, भला वह रीमेक में नाम, शहरों और घटनाओं में थोड़े बहुत बदलाव के बाद देखी दिखाई फिल्म के लिए सिनेमाघर में सैकड़ों रुपये क्यों बर्बाद करेगा? कहा जा सकता है कि रितिक सैफ की फिल्म के हश्र को लेकर बायकॉट धड़ा पहले से ही आश्वस्त नजर आ रहा है.

बायकॉट धड़े की चुप्पी की सबसे बड़ी वजह वह तूफ़ान है जो दक्षिण से उत्तर की तरफ निकल चुका है

बायकॉट धड़े की आश्वस्ति का दूसरा और सबसे बड़ा कारण भी है. और इसी वजह से बॉलीवुड की किसी फिल्म के लिए उसकी मेहनत नजर नहीं आ रही है. सन्नाटा दिख रहा है. असल में 30 सितंबर को ही दक्षिण से एक असाधारण महागाथा आ रही है जो जिसकी रोशनी से भारतीय सिनेमा की आंखें चुंधिया सकती हैं. फिल्म है PS 1 जिसका निर्देशक दिग्गज मणिरत्नम ने किया है. फिल्म की कहानी भारत के सबसे महान और प्राचीन चोल साम्राज्य की है. यह भारतीय इतिहास का वह हिस्सा है जिसके बारे में लोगों को बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है. एक ऐसा इतिहास जिसे दुनिया खारिज नहीं कर सकती.

PS 1 के रूप में इतिहास की महान गाथा, विक्रम वेधा के लिए माउंट एवरेस्ट की तरह ही माना जाए. PS 1 पैन इंडिया रिलीज हो रही है. दर्शक अपने इतिहास से चोलों की कहानी जरूर देखना चाहेंगे. वैसे भी मणिरत्नम के सिनेमा से हिंदी दर्शक वाकिफ हैं. फिल्म की स्टारकास्ट में भी जाने माने सितारे हैं. विक्रम, ऐश्वर्या राय बच्चन, जयम रवि और कार्ति जैसे सितारे एपिक पीरियड ड्रामा से दर्शकों को आकर्षित करने में सक्षम हैं. फिल्म को व्यापक रूप से बनाया गया है. ट्रेलर आने के बाद हर तरफ मेकिंग की प्रशंसा देखने को मिल रही है.

चूंकि विक्रम वेधा के सामने PS 1 के रूप में एक तगड़ी फिल्म का विकल्प मौजूद है तो बायकॉट धड़े के सामने ब्रह्मास्त्र या दूसरी फिल्मों की तरह बहुत श्रम करने की जरूरत नहीं दिख रही शायद. यह बॉलीवुड और दक्षिण के संघर्ष में भी लोगों को क्लिक करने वाली है. देखी दिखाई फिल्म की तुलना में लोग भला दशहरा के त्योहारी माहौल में भारत के महान इतिहास की कहानी क्यों नहीं देखना चाहेंगे? वैसे सवाल यह बड़ा होगा कि विक्रम वेधा के सामने हिंदी बेल्ट में PS 1 को कितने स्क्रीन्स मिलते हैं? कुछ ना कुछ स्क्रीन्स पर तो फिल्म रहेगी ही और दक्षिण से PS 1 के पक्ष में जो जनादेश तैयार होगा वह उत्तर में माउथ पब्लिसिटी की तरह काम करेगा. दर्शक आकर्षित होंगे.

PS 1 का कंटेंट एग्जीबिटर पर भी दबाव डाल सकता है. विक्रम वेधा को इसका सीधा-सीधा नुकसान पहुंचेगा. सन्नाटे की वजह यही है. टिकट खिड़की पर तूफ़ान जो आने वाला है.

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