कौन हैं शालिनी खन्ना, जिन्होंने 'द कश्मीर फाइल्स' की रिलीज रोकने की मांग की थी?
शालिनी खन्ना के पति रवि खन्ना स्क्वैड्रन लीडर के रूप में भारतीय वायु सेना के अफसर थे. वे मूलत: पंजाब के अमृतसर के थे. शालिनी खुद जम्मू से थीं. 1978 में दोनों की शादी हुई थी.
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विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी द कश्मीर फाइल्स को लेकर तमाम तरह के विवाद देखने को मिल रहे हैं. और इसी के साथ सामने आ रही एक ऐसी शाहदत की कहानी जिसे बहुत लोग नहीं जानते होंगे. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की हत्या पर द ताशकंत फाइल्स के बाद विवेक का लगातार दूसरा काम सुर्खियां बटोर रहा है. द कश्मीर फाइल्स को आज ही सिनेमाघरों में रिलीज किया गया है. इससे पहले फिल्म रिपब्लिक डे वीक में रिलीज के लिए शेड्यूल थी, मगर तीसरी लहर की आशंका में मेकर्स ने तारीख पोस्टफोन कर दी. द कश्मीर फाइल्स में अनुपम खेर, पल्लवी जोशी, मिथुन चक्रवर्ती जैसे कलाकार हैं.
अब जबकि सामने है, समीक्षकों ने इसकी तारीफ़ की है. विवेक अग्निहोत्री पर भाजपा समर्थक फिल्ममेकर होने का आरोप लगता रहा है. और वे भाजपा और उसकी सरकार के पक्ष में तर्कों को गढ़ने में संकोच भी नहीं करते. उनकी फ़िल्में बोल्ड मानी जा सकती हैं और दूसरे फिल्मकार जिस तरह राजनीतिक विचार देने से बचते दिखते हैं, विवेक बात कहने में संकोच नहीं करते. द ताशकंत फाइल्स में भी उन्होंने तमाम स्थापित राजनीतिक धारणाओं को चुनौती दी है. खासकर गांधी परिवार के नेतृत्व को ही शक के कठघरे में खड़ा कर दिया है.
द कश्मीर फाइल्स की रिलीज रोकने को लेकर कोर्ट में याचिकाओं और द कपिल शर्मा शो में फिल्म के प्रमोशन को मौका ना मिल पाने की वजह से विवेक की फिल्म चर्चा में है. फिल्म में कश्मीर के उस हालात को दिखाया गया जिसके बाद कश्मीरी पंडितों का बड़े पैमाने पर कत्लेआम हुआ जिसके बाद उन्हें घाटी छोड़कर भागना पड़ा. फिल्म के सुर्ख़ियों में आने के बाद तीन किरदार चर्चा में आ गए हैं. ये तीन किरदार हैं- पूर्व आतंकी और अलगाववादी नेता यासीन मलिक, जम्मू की शालिनी खन्ना और उनके पति भारतीय वायुसेना के स्क्वैड्रन लीडर रवि खन्ना. तीन किरदार फिल्म में संदर्भ के रूप में किस तरह इस्तेमाल है पंक्तियों के लेखक को फिलहाल जानकारी नहीं है.
द कश्मीर फाइल्स
शालिनी खन्ना ने 4 मार्च को स्पेशल स्क्रीनिंग में फिल्म देखने के बाद कोर्ट में एक याचिका दायर कर रिलीज रोकने की मांग की थी. शालिनी का आरोप है कि एक दृश्य में उनके पति को गलत तरीके से फीचर किया गया है. यह दृश्य पूरी तरह से तथ्यों परे है. आपत्ति पर कोर्ट ने निर्माताओं को वह दृश्य हटाने का आदेश दिया है. अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि द कश्मीर फाइल्स जो आतंकवाद और कश्मीरी पंडितों के पलायन की कहानी है उसके साथ शालिनी समेत ऊपर के सभी तीन किरदार किस तरह जुड़े हैं.
यासीन मलिक के गुर्गों ने स्क्वैड्रन लीडर को मारी थीं 27 गोलियां
दरअसल, शालिनी खन्ना के पति रवि खन्ना स्क्वैड्रन लीडर के रूप में भारतीय वायु सेना के अफसर थे. वे मूलत: पंजाब के अमृतसर के थे. शालिनी खुद जम्मू से थीं. 1978 में दोनों की शादी हुई थी. भारतीय वायुसेना का अफसर एक खुशहाल जिंदगी जी रहा था. इसी बीच साल 1987 में स्टाफ कॉलेज ट्रेनिंग के लिए उनकी पोस्टिंग घाटी में हुई. यह उनके जीवन की आख़िरी पोस्टिंग साबित हुई और आतंकियों के हाथों वे मारे गए. आरोप है कि यासीन मालिक के नेतृत्व में आतंकी गुट ने उनपर हमला किया था.
यासीन मालिक हीरो होंडा बाइक और जिप्सी से आतंकियों के समूह को लेकर आया था. सभी खतरनाक हथियारों से लैस थे. समूह ने रवि खन्ना और उनके साथियों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी. निर्मल खुद हत्याकांड की गवाह हैं. उन्होंने बताया था कि यासीन मालिक ने उनके पति को 27 गोलियां मारी थीं. हत्याकांड में रवि के अलावा तीन और अफसर मारे गए थे. करीब 10 गंभीर रूप से जख्मी हुए थे. निर्मल खन्ना को पति की मौत के बाद बहुत संघर्ष से गुजरना पड़ा है. हत्याकांड के सालभर के अंदर उनके सास-ससुर का भी निधन हो गया.
करीब चार साल से ज्यादा वक्त तक निर्मल को पेंशन नहीं मिली. उनके दो छोटे बच्चे थे. अधिकारों के लिए उन्हें कई मोर्चे पर संघर्ष करना पड़ा. एक तरफ परिवार संभालना, दूसरी तरफ पेंशन और दूसरी चीजों के लिए संघर्ष करना और तीसरा पति को शहीद का दर्जा दिलवाने और आरोपियों को उनके किए की सजा दिलवाना. ताज्जुब कर सकते हैं कि मौत के सालों बाद तक रवि खन्ना को शहीद का दर्जा नहीं मिला था. युद्ध स्मारक पर भी उनका नाम दर्ज नहीं था. आरोपी कहके घूम रहे थे. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के दखल के बाद वायुसेना ने करीब 29 साल बाद स्क्वैड्रन लीडर को शहीद का दर्जा दिया. इसके बाद वॉर मेमोरियल में रवि खन्ना का भी नाम दर्ज हुआ. पति के हत्यारों को अभी सजा दिलवाने में कामयाब नहीं मिली हैं.
यासीन मलिक कहां है?
यासीन मलिक जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का मुखिया था. इस संगठन के ऊपर कई संगीन आरोप हैं. यासीन मालिक शुरू-शुरू में राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय था. धीरे-धीरे वह अलगाववादी राजनीति के मुद्दे पर आतंकी संगठन का हिस्सा बन गया और घाटी के तमाम इलाकों में ऑपरेशन करने लगा. इस दौरान उसने कई वारदातों को अंजाम दिया. सुरक्षाबालों ने यासीन को 1990 में गिरफ्तार किया था. वह 1994 तक जेल में रहा. रिहा होने के बाद मलिक ने शांतिपूर्ण तरीके से अलगाववादी आंदोलन को आगे बढ़ाने की घोषणा की. पाकिस्तान का समर्थक आतंकी कश्मीर के दोनों हिस्सों की आजादी की मांग करता रहा है.
साल 2020 में विशेष कोर्ट ने रवि खन्ना समेत चार वायुसेना अफसरों की हत्या के मामले में यासीन को आरोपी बनाया. यासीन के साथ छह और लोग भी आरोपी बनाए गए हैं. यासीन को टाडा कोर्ट में पेश किया गया और वह तभी से जेल में है. यासीन पर बहुचर्चित रुबैया सईद किडनैपिंग मामले में भी इस वक्त ट्रायल चल रहा है.
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