क्यों 'एंटी इस्लामिक' है बाजीराव-मस्तानी...
आखिर क्यों इस फिल्म को लेकर विवाद है और पाकिस्तान को क्यों लग रहा है कि ये फिल्म 'एंटी इस्लामिक' है? आईए नजर डालते हैं इतिहास के पन्नों और कहानियों में दर्ज बाजीराव-मस्तानी की 'विवादित' जिंदगी पर...
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कोई फिल्म ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनी हो और विवाद न हो! संजय लीला भंसाली की आने वाली फिल्म बाजीराव-मस्तानी पर भारत में पहले से ही विवाद गहराया हुआ है. लेकिन उधर पाकिस्तान ने इस फिल्म पर बैन लगा दिया है. 18 दिसंबर को रिलीज होने जा रही है इस फिल्म के बारे में पाकिस्तान सेंसर बोर्ड का मानना है कि यह 'एंटी-इस्लामिक' है.
आखिर क्यों इस फिल्म को लेकर विवाद है और पाकिस्तान को क्यों लग रहा है कि ये फिल्म 'एंटी इस्लामिक' है? फिल्म में क्या दिखाया गया है ये तो रिलीज के बाद ही पता चल सकेगा. लेकिन, आईए नजर डालते हैं इतिहास के पन्नों और कहानियों में दर्ज बाजीराव-मस्तानी की 'विवादित' जिंदगी पर...
1. मुस्लिम नहीं हिंदू थीं मस्तानी- महाराजा बाजीराव पेशवा-प्रथम और मस्तानी की प्रेम कहानी को लेकर कई कहानियां हैं. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि मस्तानी मुस्लिम थीं और एक नर्तकी भी, जिसके इश्क में बाजीराव गिरफ्तार हुए. दोनों का इश्क परवान तब चढ़ा जब बाजीराव ने तमाम परंपराओं को तोड़कर उनसे शादी की और अपनी दूसरी पत्नी बनाया. हालांकि एक दूसरा मत ये भी है कि मस्तानी मुस्लिम नहीं बल्कि क्षत्रिय थीं और उनके पिता ने मस्तानी का हाथ बाजीराव को सौंपा था. इस कहानी के अनुसार मस्तानी के पिता का नाम महाराजा क्षत्रसाल बुंदेला था.
2. कृष्ण की भक्त थीं मस्तानी- ऐसी कहानियां भी हैं कि वे भगवान कृष्ण की भक्त थीं और उनके भजन गाया करती थी. कई बार इसमें वो इतना रम जाती कि भजन गाते-गाते नृत्य करने लगतीं.
3. दोनों धर्मों को मानती थीं मस्तानी- एक कहानी ये भी प्रचलित है कि मस्तानी के पिता राजा क्षत्रसाल 'प्रणामी संप्रदाय' के प्रचारक थे. माना जाता है कि प्रणामी करीब 400 साल पुराना संप्रदाय है. यह हिंदू और मुस्लिम मान्यताओं को साथ लेकर चलने की वकालत करता है. इस परिवेश में अपना बचपन गुजारने के कारण मस्तानी भी इससे प्रभावित हुईं और इसलिए कहा जाता है कि वे एक ओर जहां हिंदुओं के व्रत करती थीं वहीं रोजा रखने में भी विश्वास रखती थीं.
4. राजनीतिक समझौते के तहत हुआ बाजीराव और मस्तानी का विवाह- एक कहानी के अनुसार मस्तानी के पिता महाराजा क्षत्रसाल ने मुगलों के खिलाफ एक जंग में बाजीराव की मदद ली. बाद में इस मदद के लिए आभार व्यक्त करते हुए क्षत्रसाल ने अपनी बेटी मस्तानी का हाथ और अपने राज्य का एक तिहाई हिस्सा उपहार स्वरूप बाजीराव को सौंप दिया.
5. मस्तानी के विरोधियों ने उनकी छवि खराब की- यह भी कहा जाता है कि बेहद खूबसूरत होने के साथ-साथ राजकुमारी मस्तानी एक सर्व गुण संपन्न महिला थीं. युद्ध कौशल से लेकर राजनीति और कूटनीति के अलावा उनकी संगीत की समझ भी काफी गहरी थी. वे एक अच्छी नर्तकी भी थीं. इस कारण कुछ लोग उनसे ईर्ष्या करते थे और उन्होंने मस्तानी को दरबार में नाचने-गाने वाली एक महिला के तौर पर प्रचारित करना शुरू कर दिया.
6. बाजीराव और मस्तानी के पुत्र का विरोध- कहा जाता है कि बाजीराव के बेटों के उपनयन संस्कार के समय ब्राह्मणों ने मस्तानी के बेटे कृष्णराव का विरोध किया था. इससे नाराज बाजीराव ने पूरे समारोह में हिस्सा नहीं लिया. बाद में कृष्णराव ही शमशेर बहादुर के नाम से प्रचलित हुए. मस्तानी और बाजीराव की मृत्यु के बाद कृष्णराव की सौतेली मां काशीबाई ने उन्हें गोद लिया.
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7. बाजीराव और मस्तानी की मौत- इन दोंनों प्रेमियों की मौत से भी कई कहानियां जुड़ी हैं. कई लोग कहते हैं कि मस्तानी ने अपने पति की मौत की खबर सुनने के बाद जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. दूसरी कहानी यह है कि मस्तानी की मृत्यु बाजीराव के मरने से काफी पहले हो गई थी. मस्तानी तब नजरबंद थी लेकिन उनके निधन की बात को कई दिनों तक छिपा कर रखा गया. बाद में जब बाजीराव को इसकी भनक लगी तो वे इस सदमें को बर्दाश्त नहीं कर सके और दुनिया से चल बसे.
मस्तानी की समाधी |
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